पहली बार 26 जनवरी की परेड में नहीं दिखेंगे 21 बहादुर बच्चे

नई दिल्ली
बाल वीरता पुरस्कार के लिए देशभर से चुने गए 21 बच्चे राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड में शामिल नहीं हो सकेंगे. ऐसा देश में 1957 के बाद पहली बार हो रहा है.
इन बच्चों को चुनने वाली इंडियन काउंसिल फॉर चाइल्ड वेलफेयर (आईसीसीडब्ल्यू) पर वित्तीय गड़बड़ी के आरोप लगाए जाने के चलते ये फैसला लिया गया है. उसके बाद महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने काउंसिल से अपने आपको अलग कर लिया है. उस सबका खामियाजा 21 बहादुर बच्चों को भुगतना पड़ेगा.
आजतक से बातचीत के दौरान बच्चों को परेड में शामिल नहीं करने के सवाल पर काउंसिल की अध्यक्ष गीता सिद्धार्थ ने कहा कि परेड में शामिल होने के लिए इनके बच्चों को इस बार कोई न्योता नहीं मिला है. रक्षा मंत्रालय ने अभी तक लिखित में कोई सूचना नहीं दी है.
उन्होंने कहा कि मंत्रालय अगर अलग से अवॉर्ड दे रही है तो यह बहुत ही खुशी की बात है, लेकिन हमारा यह प्रोग्राम पिछले 61 सालों से चल रहा है. हम देश भर से बहादुरी दिखाने वाले बच्चों को अवार्ड देते रहे हैं. मुझे इस बात का दुख है कि बच्चे शायद इस साल गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल न हों.
उनका कहना है कि उन्हें अभी भी उम्मीद है कि बहादुर बच्चों के हित में सरकार सही कदम उठाएगी. क्योंकि चुने गए बच्चों में दो ऐसे बच्चे भी हैं जिन्होंने सुंजवां कैप में आतंकी हमले के दौरान आतंकियों से मुकाबला करते हुए आतंकियों के हमले में कई लोगों की जान बचाई.
गुरुगु हिमाप्रिया, भारत अवार्ड
10 फरवरी 2018 को आतंकियों ने सुंजवां आर्मी कैंप में हमला कर दिया लगातार आतंकी फायरिंग कर रहे थे और घर में घुसने की कोशिश कर रहे थे. उसी दौरान एक जवान की बेटी हिमाप्रिया ने अपनी मां के साथ आतंकियों का विरोध किया.
काफी देर टकराव के बाद आतंकी ने अंदर एक ग्रेनेड फेंका. जिससे हिमा प्रिया के बाएं हाथ में काफी घाव हो गए उसकी मां भी गंभीर रूप से घायल होकर जमीन पर गिर गई. बहादुरी के साथ लड़ते हुए इस भारत की बेटी ने आतंकियों के दांत खट्टे कर दिए. इसके इस अनुकरणीय साहस के लिए हिमा प्रिया को इस साल भारत अवॉर्ड दिया गया.
सौम्यादीप जना, भारत अवार्ड
सौम्यदीप जना ने बहादुरी दिखाते हुए सुंजवां आर्मी कैंप में तीन आतंकियों ने जब हमला कर दिया तो उस दौरान अपने परिवार के साथ सुंजवां कैंप में रुके हुए थे. शोरगुल सुनकर सौम्य दीप ने अपनी जान की परवाह किए बगैर अपनी मां और बहन को अंदर कमरे में धकेल दिया और दरवाजा बंद कर दिया. गोलीबारी करते हुए आतंकियों ने बंद दरवाजा तोड़ने की कोशिश की, लेकिन दीप ने स्टील का संदूक दरवाजे पर अड़ा दिया. आतंकियों से जान बचाने के लिए सौम्यदीप के शरीर का एक हिस्सा पैरालाइज हो गया. उसकी इस बहादुरी को देखते हुए इस साल वीरता का पुरस्कार दिया गया है.