प्रदेस में 5 साल में 7 लाख बेरोजगार, रोजगार दफ्तर से केवल 965 को मिली नौकर
भोपाल
मध्यप्रदेश में बेरोजगारो की तादाद सुरसा की तरह बढ़ती जा रही है और सरकार इन्हें नौकरी देने में नाकामयाब रही है। बवर्ष 2014 में प्रदेश में 3 लाख 84 हजार 879 बेरोजगार पंजीकृत थे वहीं वर्ष 2018 में इनकी संख्या बढ़कर 7 लाख 46 हजार 818 हो गई है। वहीं इन पांच सालों में रोजगार दफ्तरों के जरिए केवल 965 बेरोजगारों को ही रोजगार मिल पाया है। जॉब फेयर के जरिए नियुक्ति हेतु 4 लाख 70 हजार 279 बेरोजगारों का चयन किया गया लेकिन इनमें से कितनों ने नौकरी ज्वाइन की इसकी जानकारी सरकार के पास नहीं है।
प्रदेश में भाजपा शासन के कार्यकाल में वर्ष 2014 में रोजगार कार्यालय में पंजीकृत बेरोगारों की संख्या 3 84 हजार 879 थी जो अगले साल बढ़कर 4 लाख 23 हजार को पार कर गई। इसके बाद पंजीयन में गिरावट दर्ज की गई वर्ष 2016 में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या घटकर 3 लाख 45 हजार 377 हो गई। पिछले साल बेरोजगारों का आंकड़ा बढ़कर 7 लाख 46 हजार 818 पर पहुंच गया है।
वर्ष 2014 के मामले में यह संख्या दुगनी हो गई है। प्रदेश में जिस तेजी से पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या बढ़ रही है सरकार उन्हें स्थाई नौकरी देने में नाकामयाब रही है। बेरोजगारों को पंजीयन के बाद नौकरी दिलवाने में मदद करने के लिए गठित रोजगार कार्यालय बेरोजगारों को सीधे नौकरी दिलाने में नाकामयाब रहे है।
रोजगार कार्यालयो के जरिए वर्ष 2014 में केवल 422 बेरोजगारों को नौकरी मिली। इसके बाद वर्ष 2015 में 251, वर्ष 2016 में 129 और 2017 में 109 बेरोजगारों को और 2018 में 54 बेरोजगारों को नौकरी मिल पाई है। इस तरह पूरे पांच साल में रोजगार कार्यालयों के जरिए केवल 965 बेरोजगारों को रोजगार कार्यालयों के जरिए नौकरी मिल पाई।
निजी कंपनियों के जरिए लगाए गए जॉब फेयर के दौरान पूरे पांच साल में 6 लाख 70 हजार 279 बेरोजगारों का नौकरी के लिए चयन किया गया। लेकिन इनमें से कितनों को नौकरी मिली इसका आंकड़ा सरकार के पास नहीं है। वर्ष 2014 में 49 हजार 376, वर्ष 2015 में 78 हजार 756, वर्ष 2016 में 75 हजार 194, वर्ष 2017 में 85 हजार 46, वर्ष 2018 में एक लाख 81 हजार 907 बेरोजगारों का चयन निजी कंपनियों में नियुक्ति के लिये किया गया। लेकिन इनमें से चयन होंने के बाद कितनों ने नौकरी ज्वाइन की इसका कोई आंकड़ा सरकार के पास नहीं है।
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