फरवरी में मोदी सरकार को अंतरिम बजट, टैक्स रेट बदल सकती है सरकार

फरवरी में मोदी सरकार को अंतरिम बजट, टैक्स रेट बदल सकती है सरकार

 नई दिल्ली 
सरकार पुरानी लीक पर चलते हुए फाइनैंशल ईयर 2020 के लिए फरवरी में अंतरिम बजट पेश कर सकती है। इस बजट के जरिए सरकार देश को बता सकती है कि उसने लोगों की बेहतरी के लिए कौन से बड़े काम किए हैं और अगले पांच वर्षों के लिए उसका विजन क्या है।  
 
हालांकि सरकार चुनाव से पहले के इस बजट में टैक्स पर कुछ कदम उठाए जाने से इनकार नहीं कर रही है। इसके लिए वह पहले की बातों का हवाला दे रही है, जब इस तरह के बजट में ऐसे कदम उठाए गए थे। एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने कहा, 'यह अंतरिम बजट होगा। अभी इस बजट पर चर्चा शुरू नहीं हुई है।' अंतरिम बजट को वोट ऑन अकाउंट भी कहा जाता है। यह फाइनैंस मिनिस्टर अरुण जेटली के लिए लगातार छठा बजट होगा। बजट पहली फरवरी 2019 को पेश किया जा सकता है। 

बुधवार को फाइनैंस मिनिस्ट्री ने विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों से जेटली के बजट भाषण के लिए इनपुट मांगे थे। ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि सरकार फरवरी के अंत के बजाय फरवरी की शुरुआत में बजट पेश करने के अपने पिछले निर्णय का लाभ लेते हुए पूर्ण बजट पेश कर सकती है। हालांकि अधिकारी ने कहा कि ये रिपोर्ट्स सही नहीं हैं। परंपरा यही रही है कि अंतरिम बजट में फोकस निवर्तमान सरकार की उपलब्धियों पर रहता है और भविष्य के बारे में उसकी सोच का खाका पेश किया जाता है। आमतौर पर किसी नई योजना की घोषणा नहीं की जाती है और फाइनैंस बिल के जरिए मौजूदा टैक्स रेट्स को जारी रहने दिया जाता है। 

अंतरिम बजट के साथ पेश किए जाने वाले लेखानुदान से सरकार वित्त वर्ष के एक हिस्से का खर्च चलाने के लिए संसद की मंजूरी लेती है। आमतौर पर यह चार महीने की अवधि के लिए होता है। हालांकि अनुमान आम बजट की तरह पूरे साल के लिए पेश किए जाते हैं। बाद में बनने वाली नई सरकार चाहे तो इन अनुमानों को पूर्ण बजट में पूरी तरह बदल सकती है। हालांकि अंतरिम बजट में एलोकेशन दिखाकर एनडीए सरकार आने वाले दिनों के लिए अपने इरादे जता सकती है और जिन बातों को वह जरूरी समझे, उनके लिए ज्यादा आवंटन का प्रस्ताव रख सकती है। 

अंतरिम बजट में पिछले साल के टैक्स रेट्स को अगले वित्त वर्ष के लिए जस का तस रखने की परंपरा रही है, जब तक कि नई सरकार शासन अपना बजट पेश न कर दे। हालांकि अंतरिम बजट में टैक्स के मामले में कदम उठाने के उदाहरण भी हैं। तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने वित्त वर्ष 2015 के लिए अंतरिम बजट में ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए सेंट्रल एक्साइज टैक्स में कमी की घोषणा की थी। 

तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने वित्त वर्ष 2010 के अंतरिम बजट के लिए लेखानुदान पर अपने जवाब में एक्साइज ड्यूटी और सर्विस टैक्स रेट्स में 2 पर्सेंटेज पॉइंट्स की कमी की थी। तत्कालीन वित्त मंत्री जसवंत सिंह ने 2004 में लेखानुदान के कुछ ही दिनों पहले इनडायरेक्ट टैक्स में कमी की घोषणा की थी। हालांकि जीएसटी लागू होने के बाद अब जेटली के पास कस्टम्स ड्यूटी या डायरेक्ट टैक्सेज में ही बदलाव की गुंजाइश है।