बच्चों को आए तेज बुखार, तो कराएं कोविड की जांच

बच्चों को आए तेज बुखार, तो कराएं कोविड की जांच

जबलपुर
शहर में कोरोना के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं, इन बढ़ते हुए आंकड़ों के पीछे लोगों की जागरुकता भी है कि वे खुद से अपना टेस्ट करा रहे हैं, इससे पहले कोरोना के ज्यादा मरीज सामने नहीं आए थे, क्योंकि ज्यादातर लोग अपना टेस्ट ही नहीं करा रहे थे। इन दिनों बच्चों में भी कोरोना बढ़ रहा है।

इसका कारण है कि इस बार कोरोना के वायरस ने अपने आप में कुछ बदलाव किए हैं और नए स्वरूप में सामने आया है। जिससे कि बच्चों में भी यह बीमारी हो रही है। पिछले साल सिर्फ उन्हीं बच्चों का कोरोना टेस्ट किया था जिस घर में बड़े लोग पॉजीटिव हुए थे। अब शहर में ऐसे केस भी देखने मिल रहे हैं जहां पर बच्चा पॉजीटिव है, लेकिन घर के अन्य सदस्यों को कोरोना नहीं है।

इसका मतलब साफ है कि इस बार बच्चों में घर के बाहर जाकर संक्रमित हुए हैं। इस दौरान हर किसी को अपना बेहतर ध्यान रखना है। यदि बच्चे को दो से तीन दिनों तक लगातार बुखार आ रहा है, तो उसका भी कोरोना का टेस्ट कराएं। शिशु रोग विशेषज्ञ ने बताया कि इसमें ज्यादातर बच्चे घर पर ही ओपीडी लेवल के इलाज से ठीक हो रहे हैं। लेकिन बच्चों के साथ अभिभावकों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अव्यक्त अग्रवाल ने बताया कि ज्यादातर बच्चों में कोरोना के कोई लक्षण देखने को नहीं मिलते। सर्दी, खांसी, बुखार होता है जिसे ओपीडी के इलाज से ही ठीक कर दिया जाता है। इसके अलावा यदि बच्चा बहुत ज्यादा चिड़चिड़ा रहा है तब भी हमें इसे नजरअंदाज नहीं करना है। यह भी कोरोना के कारण हो सकता है। कोरोना संक्रमण बहुत ज्यादा होने पर बच्चे की सांस चल चलती है। इन सभी लक्षणों को इन दिनों अभिभावकों को ध्यान में रखकर बच्चों की देखभाल करना चाहिए।

बच्चों में कोरोना हो रहा है क्योंकि इस बार उनकी भी जांच हो रही है। ज्यादातर बच्चे और युवा इस बार कोरोना की चपेट में हैं इसकी वजह है कि 60 व 45 साल के लोगों का टीकाकरण हो गया है। उनकी इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग है, लेकिन युवाओं औेर बच्चों का वैक्सीनेशन नहीं हुआ है यह भी कोरोना के मामले बढ़ने का एक बड़ा कारण हो सकता है।

इन बातों का रखें ध्यान

  • यदि मां कोरोना संक्रमित है, तब भी वह अपने बच्चे को फीड कराए।
  • बच्चा यदि कोरोना से संक्रमित है, तो उसे हम ज्यादा अलग नहीं रख सकते, इसलिए रात के समय जब हम उसे सुलाएं तो कोशिश करें कि उसे अलग से एक ही कमरे में सुला लें। मास्क लगाकर रखें।
  • बच्चा यदि होम आइसोलेशन में हैं तब ध्यान रखना है कि कमरे में वेंटिलेशन अच्छा हो, कमरा साफ हो।

हर वायरल अलग-अलग होता है। घर में यदि बड़ों की तबीयत खराब है और फिर बच्चा बीमार हो रहा है तब यह न सोंचे की यह वायरल है। जांच जरूर कराएं। लोग अब पहले से ज्यादा जागरुक हो गए है, पहले जब वे चिकित्सक के पास पहुंचते थे और कोरोना टेस्ट कराने के लिए बोला जाता था, तो वे इस बात को स्वीकार ही नहीं करते थे। अब वे खुद से जांच करा रहे हैं। जांच कराना जरूरी है तभी बच्चों को बेहतर इलाज मिल सकेगा।