वाशिंगटन
पीएम नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच हुई वार्ता के बाद अमेरिकी प्रशासन ने कोरोना के खिलाफ भारत की मदद को एक मिशन के तौर पर लिया है। बाइडन प्रशासन ने सभी नौकरशाही बाधाओं को भी हटा दिया है। इस बीच, अमेरिका की शीर्ष 40 कंपनियों को सीईओ भी भारत की मदद के लिए वैश्विक कार्यबल के गठन को लेकर एकजुट हुए हैं।
बाइडन प्रशासन ने भारत की जरूरतों को पहचानने के लिए रक्षा, स्वास्थ्य, मानव संसाधन, अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी (यूएसएआईडी) और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधियों समेत कई विंग सक्रिय कर दिए हैं।
इन एजेंसियों को कहा गया है कि वे सभी नौकरशाही बाधाओं को हटा दें और भारत में मेडिकल से जुड़ी जरूरतों को जल्द से जल्द पहुंचाएं। ये सभी एजेंसियां भारतीय अधिकारियों के साथ निकटतम संपर्क बनाने में जुटी हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हम अपने सहयोगी, मित्रों और क्वाड सहयोगियों से भी इस बात पर समन्वय कर रहे हैं कि भारत का इस घड़ी में कैसे समर्थन कर सकते हैं।
इस बीच, यूएस चैम्बर ऑफ कॉमर्स की भारत-अमेरिका व्यापार परिषद और भारत-अमेरिकी रणनीतिक व साझेदारी फोरम की सामूहिक पहल से बने कार्यबल ने भारत में 20,000 ऑक्सीजन कन्संट्रेटर्स भेजने की प्रतिबद्धता जताई है। डेलॉइट कंपनी के सीईओ पुनीत रंजन ने बताया कि महामारी पर यह वैश्विक कार्यबल भारत को अहम चिकित्सा सामान, टीके, ऑक्सीजन और अन्य जीवनरक्षक सहायता मुहैया कराएगा।
किसी अन्य देश में जन स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए बने अपनी तरह के पहले वैश्विक कार्य बल को अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने संबोधित किया। डेलॉइट के सीईओ ने कहा, पहली 1,000 ऑक्सीजन कन्संट्रेटर्स मशीनें इस हफ्ते तक भारत पहुंच जाएंगी और पांच मई तक अन्य 11,000 मशीनों के पहुंचने की संभावना है। दूसरा मुद्दा 10 और 45 लीटर क्षमता से ऑक्सीजन सिलेंडर भेजने का है।
अमेरिकी प्रशासन भारत के अनुरोध पर ऑक्सीजन और संबंधित आपूर्ति के लिए विकल्प तलाश रहा है। रक्षा मंत्रालय और यूएसएआईडी ऑक्सीजन उत्पादन प्रणाली देने के लिए विकल्प देख रहे हैं। इसमें बड़े व छोटे पैमाने की इकाइयां शामिल हैं। पेंटागन ऑक्सीजन सांद्रता और वेंटिलेटर प्रदान करने के विकल्प भी तलाश रहा है। अमेरिका इस संबंध में भारत को प्रशिक्षण भी प्रदान करेगा।
फ्रांस ने मंगलवार को भारत के लिए ‘एकजुटता मिशन’ के तहत ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र, वेंटीलेटर्स और अन्य चिकित्सा सामान भेजने की घोषणा की है। फ्रांस ने कहा है कि वह भारत को 8 उच्च क्षमता के ऑक्सीजन जनरेटर देगा जिनमें से प्रत्येक में 10 वर्षों के लिए 250 बिस्तर वाले अस्पताल को ऑक्सीजन की अबाधित आपूर्ति शामिल है।
इसके साथ ही फ्रांस पांच दिनों के लिए 2000 रोगियों के लिए तरल ऑक्सीजन, 28 वेंटिलेटर और आईसीयू के लिए उपकरण प्रदान करेगा। फ्रांसीसी राजदूत ने बताया कि फ्रांस न सिर्फ तत्काल राहत बल्कि दीर्घकालिक जरूरतें भी भारत को मुहैया कराएगा।
कोरोना की दूसरी लहर से निपटने के लिए ब्रिटेन से आए 100 वेंटिलेटर और 95 ऑक्सीजन कन्संट्रेटर की पहली खेप आज भारत पहुंच गई है। भारतीय विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट करके इसकी पुष्टि की। इससे पहले रविवार को ब्रिटिश उच्चायोग ने कहा था कि भारत को 600 से अधिक चिकित्सा उपकरण भेजे जाएंगे।
भारतवंशियों की सर्वाधिक आबादी वाले राज्य कैलिफोर्निया भारत को जीवन रक्षक ऑक्सीजन की आपूर्ति करेगा। कैलिफॉर्निया के गवर्गर गैविन न्यूसम ने कहा, हम भारत के लोगों की आवाज सुनेंगे और उनकी मदद करेंगे।
कैलिफोर्निया से भेजी जाने वाली मदद में 275 ऑक्सीजन कन्संट्रेटर्स , 440 ऑक्सीजन सिलेंडर, 240 ऑक्सीजन रेगुलेटर, 210 पल्स ऑक्सीमीटर और एक डेप्लॉयबल ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर सिस्टम (सीओसीएस) शामिल है, जो प्रति मिनट 120 लीटर ऑक्सीजन पैदा करने की क्षमता रखता है। इसका इस्तेमाल आम तौर पर बड़े सिलेंडरों को भरने के लिए किया जाता है।
बिहार और झारखंड से संबंध रखने वाले डॉक्टरों के एक भारतवंशी समूह ने कोविड-19 रोगियों को घर बैठे नि:शुल्क परामर्श कराने के लिए एक हेल्पलाइन शुरू की है। उत्तरी अमेरिका के बिहार-झारखंड एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर अविनाश गुप्ता और अन्य डॉक्टरों के नेतृत्व में यह समूह कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों को इंटरनेट और ऐप के जरिये नि:शुल्क स्वास्थ्य परामर्श देता है।
अमेरिका में बोस्टन स्थित भारत-अमेरिकी चैम्बर ऑफ कॉमर्स (यूएसएआईसी) ने व्हाइट हाउस और कांग्रेस से भारत में लोगों की जान बचाने में मदद के लिए अपने सभी संसाधनों का इस्तेमाल करने का अनुरोध किया है।
साथ ही उसने आगाह किया कि अमेरिका की ओर से किसी भी तरह की देरी किए जाने से भारत का कोविड-19 आपातकाल एक वैश्विक स्वास्थ्य एवं आर्थिक संकट बन सकता है। यूएसएआईसी के अध्यक्ष करुण ऋषि ने कहा, भारत को पश्चिमी देशों से तत्काल मदद की जरूरत है और यदि अमेरिका इस मदद में नाकाम रहा तो भारत में कई जानें जा सकती हैं।