मंत्री बोले- अफसर बिना बताए कैबिनेट में भेज देते हैं हमारे विभाग के प्रस्ताव और हमें पता ही नहीं चलता

भोपाल
कैबिनेट में बुधवार को मंत्रियों और अफसरों के बीच पटरी न बैठने की बात एक बार फिर से खुलकर सामने आ गई। मंत्रियों की आपत्ति थी कि उन्हें बताए बगैर उनके विभागों में पदस्थ अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव विभाग का प्रस्ताव कैबिनेट में शामिल करने मुख्य सचिव को भिजवा देते हैं। उन्हें पता ही नहीं चलता कि उनके विभाग में क्या हो रहा है। अफसर मनमानी करते हैं जो ठीक नहीं है। चिकित्सा शिक्षा मंत्री डाॅ. विजय लक्ष्मी साधौ का कहना था कि अफसरों को विभाग में संचालित हो रही योजनाओं या प्रमुख निर्णयों की जानकारी उन्हें देना चाहिए, जो नहीं दी जाती।
खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल का कहना था कि विभाग का सर्वेसर्वा जब मंत्री है तो अफसर जानकारियां उनके संज्ञान में क्यों नहीं लाते, बायपास कर क्यों जानकारी सीधे मुख्य सचिव को भेजी जाती है। श्रम मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने कहा कि उनके विभाग में शुरू से ही एेसे अफसर पदस्थ किए गए, जाे काम करने के बजाय उसे अटकाने में ज्यादा भूमिका निभाते है। इस व्यवस्था में सुधार होना चाहिए। प्रद्युम्न सिंह तोमर ने भी इसका समर्थन किया। मंत्रियों की इन आपत्तियों पर सामान्य प्रशासन मंत्री डाॅ. गोविंद सिंह ने व्यवस्था दी कि आगे इस बात का ध्यान रखा जाए कि मंत्रियों के संज्ञान में लाने के बाद ही प्रस्ताव कैबिनेट में भेजे जाएं। यह गलत है। मुख्यमंत्री अफसरों को निर्देशित करें कि इस तरह की गलती आगे न हो।
कैबिनेट में अपर मुख्य सचिव वित्त अनुराग जैन ने बजट प्रस्ताव का प्रजेंटेशन किया। करीब आधा घंटे के इस प्रजेंटेशन में मंत्रियों की आपत्ति थी कि वे पाॅलिटिकल बैकग्राउंड से आते हैं, उन्हें जनता को जवाब देना होता है। पर्यटन मंत्री सुरेंद्र सिंह बघेल का कहना था िक उनके क्षेत्र के प्रस्तावों और उनमें आने वाली लागत को शामिल करना चाहिए। जनजातीय मंत्री ओमकार सिंह मरकार का कहना था कि बजट में ट्राइबल बेल्ट की अनदेखी होती है, जिसे दूर किया जाना चाहिए। इस पर जैन का कहना था कि चूंकि बजट तकनीकी विषय है।
हम वित्तीय अनुशासन (एफआरबीएम) से बंधे हुए हैं। जो नियम के हिसाब से हो सकता है वही कर सकते हैं। इस बार वर्ष 2019-20 का बजट अनुमान दो लाख करोड़ से ज्यादा होने की संभावना है। इस बारे में आगामी कैबिनेट बैठक में भी चर्चा होगी। मंत्रिपरिषद ने सूचना एवं प्रौद्योगिकी योजना की निरंतरता वर्ष 2019-20 के लिए रखने 41.65 करोड़ रुपए की स्वीकृति प्रदान कर दी।
इन विधेयकों का भी अनुमोदन
- वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हो सकेगी गवाही : कैबिनेट ने दंड विधि विधेयक 2019 का अनुमोदन कर दिया। इसके तहत राज्य की अदालतों का आधुनिकीकरण किया जाना है। इसमें कांफ्रेंसिंग के जरिए अदालतों में होने वाली गवाही मान्य होगी। इससे अदालतों का समय बचेगा और न्याय करने में आसानी होगी।
- मध्यप्रदेश पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक।
- मप्र विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2019(छिंदवाड़ा जिले में छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय का अनुमोदन।
- मध्यप्रदेश अधिवक्ता कल्याण निधि संशोधन विधेयक 2019 के अनुमोदन के संबंध में।
- लॉजिस्टिक एवं वेयरहाउसिंग हब पार्क को भूमि आवंटन की स्वीकृति।
- जीएसटी व्यवस्था लागू होने के बाद औद्योगिक परियोजनाओं को उद्योग संवर्धन नीति अंतर्गत सुविधाएं दिए जाने की स्वीकृति।
- मध्यप्रदेश पावर जेनरेटिंग कंपनी लिमिटेड जबलपुर के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) से राशि 500 करोड़ रुपए लोन लिए जाने के लिए राज्य सरकार गारंटी दिए जाने को मंजूरी।
- भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग के अंतर्गत अस्थाई पदों को स्वीकृति दिए जाने के बारे में।