मिर्ज़ापुर के बहाने, पूर्वांचल के वे डॉन जिनसे अपराध भी थर्राता है

मिर्ज़ापुर के बहाने, पूर्वांचल के वे डॉन जिनसे अपराध भी थर्राता है

 
नई दिल्ली 

जुर्म की दुनिया हो या राजनीति के गलियारे या फिर कोई बड़ा कारोबार, हर जगह बाहुबली अपराधियों का असर और दखल रहा है. सत्ता से जुडे लोग भी इनके प्रभाव से नहीं बच सके. हाल ही में रिलीज हुई अमेजन की वेब सीरीज 'मिर्जापुर' में इसकी झलक साफ देखी जा सकती है. उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल से कई ऐसे बाहुबली निकलकर सामने आए, जिनके नाम का सिक्का लंबे समय तक चलता रहा. कई बाहुबली ताकतवर बनकर उभरे जिन्होंने पूर्वांचल में पुलिस को परेशान करके रखा. जानिए पूर्वांचल के कुछ ऐसे ही कुख्यात माफियाओं और गैंगस्टर्स के बारे में...

श्रीप्रकाश शुक्ला

गोरखपुर के मामखोर गांव में उसका जन्म हुआ था. उसके पिता एक शिक्षक थे. वह अपने गांव का मशहूर पहलवान हुआ करता था. साल 1993 में श्रीप्रकाश शुक्ला ने उसकी बहन को देखकर सीटी बजाने वाले राकेश तिवारी नामक एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी. 20 साल के श्रीप्रकाश का यह पहला जुर्म था. फिर उसने पलट कर नहीं देखा और वो जरायम की दुनिया में आगे बढ़ता चला गया. अपने गांव में एक मर्डर करने के बाद श्रीप्रकाश ने देश छोड़कर बैंकॉक भाग गया. जब वह लौट कर आया तो उसने अपराध की दुनिया में ही ठिकाना बना लिया. वो बिहार के सूरजभान गैंग में शामिल हो गया था. शुक्ला अब जुर्म की दुनिया में नाम कमा रहा था. उसने 1997 में राजनेता और कुख्यात अपराधी वीरेन्द्र शाही की हत्या कर दी. ये सब हरि शंकर तिवारी के इशारे पर हुआ था. एक एक करके न जाने कितनी हत्या, अपहरण, अवैध वसूली और धमकी के मामले श्रीप्रकाश शुक्ला के नाम लिखे गए. उसका नाम उससे भी बड़ा बन गया था. पुलिस के पास नाम पता था लेकिन उसकी कोई तस्‍वीर नहीं थी. कारोबारियों से उगाही, किडनैपिंग, कत्ल, डकैती, पूरब से लेकर पश्चिम तक रेलवे के ठेके पर एकछत्र राज. बस यही उसका पेशा था. और इसके बीच जो भी आया उसने उसे मारने में जरा भी देरी नहीं की. लिहाजा लोग तो लोग पुलिस तक उससे डरती थी. बाद में उसे गाजियाबाज में एसटीएफ ने मार गिराया था.

सुभाष ठाकुर

ऐसा कहा जाता है कि सुभाष एक ऐसा गैंगस्टर है, जिसके गैंग में रहकर ही दाऊद इब्राहिम ने जुर्म का सबक सीखा था. उसके बाद ही दाऊद अंडरवर्ल्ड डॉन बना. बाद में उसकी दाऊद से दुश्मनी हो गई. ठाकुर ने पिछले साल बनारस कोर्ट में याचिका दायर कर दाऊद से खदु को खतरा बताते हुए बुलेट प्रूफ जैकेट और सिक्यूरिटी की मांग की थी. उसके खिलाफ हत्या, फिरौती, रंगदारी, और लूट जैसे कई संगीन मुकदमें चल रहे हैं. उसे पूर्वांचल का कुख्यात गैंगस्टर माना जाता है. हाल के दिनों में उसे माफिया डॉन छोटा राजन का साथ मिल गया है. अब ये दोनों मिलकर भारत के मोस्ट वॉन्टेड डॉन दाऊद इब्राहिम के खिलाफ साजिश रच रहे हैं. बताया जाता है कि माफिया सरगना सुभाष ठाकुर जेल से अपना गैंग ऑपरेट कर रहा है. कुछ माह पहले ही उसे यूपी की फतेहगढ़ सेंट्रल जेल से मुंबई जेल शिफ्ट कर दिया गया. हालांकि वह मुंबई नहीं जाना चाहता था. सुभाष पिछले कई सालों से यूपी की जेल में बंद था.

मुख्तार अंसारी

कई कुख्यात अपराधियों का गढ़ माना जाता है यूपी का पूर्वांचल. यूं तो पूर्वांचल से कई नेता आए लेकिन एक ऐसा नाम इस क्षेत्र से आता है जो अपराध की दुनिया से राजनीति में आकर पूर्वांचल का रॉबिनहुड बन गया. उस बाहुबली नेता का नाम है मुख्तार अंसारी. प्रदेश के माफिया नेताओं में मुख्तार अंसारी का नाम पहले पायदान पर है. उनका जन्म यूपी के गाजीपुर जिले में हुआ था. किशोरवस्था से ही निडर और दबंग मुख्तार छात्र राजनीति में सक्रीय रहे. पूर्वांचल के विकास को लेकर कई योजनाएं जब शुरु हुई तो वहां जमीन कब्जाने को लेकर दो गैंग बन गए. मुख्तार अंसारी के सामने साहिब सिंह गैंग के ब्रजेश सिंह ने अपना अलग गैंग बनाया. ब्रजेश सिंह के साथ मुख्तार की दुश्मनी हो गई थी. छात्र राजनीति के बाद जमीनी कारोबार और ठेकों की वजह से वह अपराध की दुनिया में कदम रख चुके थे. पूर्वांचल के मऊ, गाजीपुर, वाराणसी और जौनपुर में उनके नाम का सिक्का चलने लगा था. 2002 दोनों गैंग ही पूर्वांचल के सबसे बड़े गिरोह बन गए. एक दिन ब्रजेश सिंह ने मुख्तार अंसारी के काफिले पर हमला कराया. गोलीबारी हुई. हमले में मुख्तार के तीन लोग मारे गए. ब्रजेश सिंह इस हमले में घायल हो गया था. उसके मारे जाने की अफवाह थी. इस घटना के बाद बाहुबली मुख्तार अंसारी पूर्वांचल में अकेले गैंग लीडर बनकर उभरे. मुख्तार अब चौथी बार विधायक हैं.

मुन्ना बजरंगी

यूपी के कुख्यात माफिया डॉन और बाहुबली मुख्तार अंसारी के साथ मुन्ना बजरंगी का नाम लिया जाता है. मुन्ना बजरंगी का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह है. उसका जन्म 1967 में यूपी के जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में हुआ था. उसने 5वीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी. किशोर अवस्था में जुर्म की दुनिया में पहुंच गया. उसे हथियार रखने का बड़ा शौक था. वह एक बड़ा गैंगेस्टर बनना चाहता था. उसे जौनपुर के स्थानीय दबंग माफिया गजराज सिंह का संरक्षण मिला. 1984 में मुन्ना ने लूट के लिए एक व्यापारी की हत्या की. फिर जौनपुर के भाजपा नेता रामचंद्र सिंह का कत्ल किया. 90 के दशक में वो बाहुबली माफिया और राजनेता मुख्तार अंसारी के गैंग में शामिल हो गया. वो सरकारी ठेकों को प्रभावित करने लगा. मगर बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय उनके लिए चुनौती बनने लगे. मुन्ना ने मुख्तार के कहने पर 29 नवंबर 2005 को कृष्णानंद राय को भून डाला था. पिछले कई साल से वह जेल में बंद था.