रूस के S-400 से इजरायल के बैरक-8 मिसाइल तक, भारत अपनी सैन्य क्षमता को कर रहा मजबूत

नई दिल्ली
इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) ने बुधवार को घोषणा की कि इसने 777 मिलियन डॉलर (करीब 5687 करोड़ रुपये) की बैरक-8 मिसाइल डिफेंस सिस्टम डील की है। भारत में इसे एलआरएसएएम के नाम से भी जाना जाता है। यह डील सरकारी कंपनी भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड के साथ हुई है, जो इस प्रॉजेक्ट में मुख्य कॉन्ट्रैक्टर के तौर पर काम करेगी। बैरक-8 लंबी दूरी का सर्फेस टु एयर मिसाइल सिस्टम हैं, जिसे डीआरडीओ और इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने मिलकर बनाया है। यह जहाजों के लिए एक सुरक्षित वाहक और लॉन्च मिसाइल है और इसे लंबवत रूप से लॉन्च किया जा सकता है। चीन की हिंद महासागर में बढ़ती सक्रियता के मद्देजनजर यह बैरक-8 भारत के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
लेकिन भारत की सेना बैरक-8 से अनभिज्ञ नहीं हैं। 2017 में, भारत और इजरायल ने 2 बिलियन डॉलर की डील साइन की थी, जो इस मिसाइल का जमीनी वर्जन था। जिसे एमआरएसएएम के नाम से जाना जाता है। आईएआई ने इसके बाद कहा कि भारत और इजरायल के बीच यह सबसे बड़ा सिंगल कॉन्ट्रैक्ट है। एलआरएसएएम को आईएनएस विक्रांत और नेवी के कोलकाता-क्लास डेस्ट्रॉयर्स पर इंस्टॉल किया जाएगा। अमेरिका और रूस के साथ अब इजरायल भी भारत के लिए हथियारों का सबसे बड़ा सप्लायर बन गया है। पिछले साल इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज ने भारतीय थल सेना और भारतीय जल सेना के साथ 2 बिलियन डॉलर की डील साइन की थी। इससे पहले भारत ने रूस के साथ एस-400 डिफेंस मिसाइल सिस्टम की डील साइन की थी, जो देश को होस्टाइल जेट, बम, ड्रोन और मिसाइलों से बचा सकता है। भारत इसे पाकिस्तान और चीन से लगी सीमा पर तैनात कर सकता है। यह डील इसी महीने के पहले हफ्ते में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान फाइनल हुई थी। एस-400 एक साथ 36 जगह टारगेट बना सकती है। एक साथ 72 मिसाइल लॉन्च कर सकती है।