शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद ग्रहण करना चाहिए या नहीं, जानें सच

शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद ग्रहण करना चाहिए या नहीं, जानें सच


हर भक्त मंदिर जाकर भगवान के दर्शन के बाद उनके आशीर्वाद के तौर पर प्रसाद पाने की इच्छा रखता है। ऐसा सभी देवी देवताओं के मंदिरों में देखा जाता है कि भक्त प्रसाद लेने के लिए लंबी लंबी कतारें लगा लेते हैं। मगर वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो मानते हैं कि शंकर जी के प्रतीक शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद को ग्रहण नहीं करना चाहिए। इस लेख के माध्यम से जानने का प्रयास करते हैं कि आखिर क्यों शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद को ग्रहण करने से मना करते हैं।

चंडेश्वर का भय
चंडेश्वर को शिव के प्रसाद का अंश माना जाता है। भूत पिशाच के देवता के रूप में चंडेश्वर जाने जाते हैं और शिवलिंग पर चढ़ा हुआ प्रसाद चंडेश्वर का भाग होता है। लोगों के मुताबिक यदि शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद को ग्रहण कर लिया जाए तो व्यक्ति उसके साथ भूत प्रेत का अंश भी ग्रहण कर लेता है। चंडेश्वर के प्रकोप से बचने के लिए लोग इस प्रसाद को ग्रहण नहीं करते हैं।

क्या है हकीकत
इस बात को जानना जरूरी है कि चंडेश्वर शिव के प्रसाद का अंश जरूर है लेकिन सभी प्रसाद का नहीं। कुछ प्रसाद ऐसे हैं जिनमें उनका अंश नहीं पाया जाता है।

शिव पुराण में तो शिव जी के प्रसाद को सभी प्रकार के पापों को दूर करने वाला बताया गया है। इतना ही नहीं, व्यक्ति को यदि सिर्फ शिव जी के प्रसाद के दर्शन मात्र हो जाए तो उससे उसे अपने असंख्य पापों से मुक्ति मिल जाती है। ऐसे में शिव जी के प्रसाद को ग्रहण करके मिलने वाले फायदों के बारे में सोच पाना ही मुश्किल है।

शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद में चंडेश्वर का अंश होने की बात सही है लेकिन ऐसा सभी शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद के साथ नहीं है।

ऐसे प्रसाद में नहीं होता चंडेश्वर का अंश
शिव जी के मंदिरों में अलग अलग धातु का इस्तेमाल करके शिवलिंग तैयार किया जाता है। शिव जी के चाहने वाले अपने सामर्थ्य के अनुसार इसका निर्माण करते हैं। आपको प्रसाद ग्रहण करने से पहले ये देखने की जरूरत है कि शिवलिंग किस चीज से तैयार किया गया है। शिवलिंग का निर्माण यदि साधारण पत्थर, चीनी मिट्टी एवं मिट्टी से किया गया हो तो उस पर चढ़े प्रसाद का सेवन ना करें। इन शिवलिंगों पर चढ़ाया प्रसाद नदी या फिर किसी जलाशय में प्रवाहित कर देना चाहिए।

वहीं यदि शिवलिंग धातु एवं पारद से बना है तो उसपर चढ़े प्रसाद में चंडेश्वर का अंश नहीं होता है। यह भोलेनाथ का भाग होता है इसलिए इस प्रसाद को ग्रहण करने से दोष नहीं लगता है।

ऐसे दोष होगा समाप्त
यदि शिवलिंग के साथ शालग्राम है तो भी दोष समाप्त हो जाता है। शालग्राम के साथ शिवलिंग की पूजा करके उसपर चढ़ा हुआ प्रसाद ग्रहण करने से किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता है।

शिवलिंग के बजाय यदि शिव जी की साकार मूर्ति को प्रसाद अर्पित किया गया हो तो उसके सेवन से भी किसी तरह की हानि नहीं होती है। इससे शिव की कृपा आप पर बनी रहेगी।