श्री लंका के कट्टरपंथी मौलवी के कस्बे में कैसे फूला-फला आतंकवाद?
कट्टनकुडी
सिलसिलेवार बम धमाकों से श्री लंका को दहलाने वाले आतंकी संगठन नैशनल तौहीद जमात (NTJ) का सरगना जाहरान हाशिम हमले में ही मारा जा चुका है। बताया जाता है कि हाशिम ने ही शंगरी-ला होटल पर हुए हमले की अगुआई की थी। दरअसल, ईस्टर धमाकों की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट (IS) ने ली है और NTJ इससे जुड़ा बताया गया है। हमलों के मास्टरमाइंड के बारे में न्यू यॉर्क टाइम्स ने विस्तार से रिपोर्ट प्रकाशित की है। इसके मुताबिक कट्टर वहाबी विचारधारा को कट्टनकुडी में फलने-फूलने का पूरा मौका मिला। गौरतलब है कि दुनियाभर में आतंकवाद के लिए कट्टर वहाबी विचारधारा को ही जिम्मेदार ठहराया जाता है। देश के इस पूर्वी हिस्से में मौलवी जाहरान हाशिम ने धीरे-धीरे अपना प्रभाव बढ़ाया। वह अपने अनुयायियों को इस्लाम न मानने वालों की हत्या करने के लिए उकसाता था। उसके निशाने पर दूसरे धर्म के लोग ही नहीं कुछ मुस्लिम भी थे।
टाउन की अर्बन काउंसिल के उपाध्यक्ष मोहम्मद इब्राहिम जशीम कहते हैं, 'कट्टरपंथ बढ़ा लेकिन हम कट्टनकुडी में ये सब नहीं चाहते हैं। हम श्री लंका में रह रहे हैं, किसी खलीफा शासन में नहीं।' श्री लंका पुलिस का कहना है कि हमलों में शामिल कम से कम दो आत्मघाती हमलावर कट्टनकुडी से ताल्लुक रखते थे। तीन गिरजाघरों और तीन होटलों पर हुए हमले में 250 से अधिक लोगों की जान चली गई थी। रिपोर्टों में हाशिम की उम्र 40 वर्ष के आसपास बताई जा रही है। वह बट्टीकालोआ के पूर्वी तटीय क्षेत्र कट्टनकुडी का रहने वाला था। उसने बीच में ही कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी थी।
हाशिम की पत्नी और बच्ची घायल
इस बीच, श्रीलंका के पूर्वी तटीय शहर संथमारुथु में शुक्रवार रात पुलिस और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ में छह आतंकियों के साथ 10 नागरिक मारे गए जिनमें छह बच्चे भी शामिल थे। इस दौरान जाहरान की पत्नी और बच्ची भी घायल हो गए। माना जा रहा है कि मरने वालों में जाहरान के भाई और परिवार के दूसरे सदस्य थे, जिन्होंने सुरक्षाबलों से घिरने के बाद खुद को उड़ा लिया। इस्लामिक स्टेट ने इस शूटआउट से भी कनेक्शन का दावा किया है।
इस इलाके में सऊदी से भारी फंडिंग
80 के दशक में कट्टनकुडी बौद्ध बहुल श्री लंका के कुछ प्रमुख मुस्लिम कस्बों में से एक हुआ करता था। आगे चलकर यह इस्लामिक सेंटर के रूप में चर्चित हुआ। इस इलाके में सऊदी अरब से काफी फंडिंग होती है। इसी पैसे से यहां कई मस्जिदें और मदरसे बने, विदेश में काम के ठेके और विश्वविद्यालय स्कॉलरशिप दी गईं। श्री लंका में विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं लेकिन वहाबी विचारधारा ने माहौल को बिगाड़ने का काम किया। सऊदी अरब में पनपी यह विचारधारा न सिर्फ इस्लाम को न मानने वालों से नफरत का पाठ पढ़ाती है बल्कि दूसरे मुस्लिम संप्रदाय भी इसके टारगेट पर होते हैं।
US अटैक के ज्यादातर गुनहगार सऊदी के
हालांकि सऊदी का कहना है कि यह हिंसा की बात नहीं करता लेकिन आलोचक दुनियाभर में आतंकवाद के लिए इसे जिम्मेदार ठहराते हैं। 11 सितंबर 2001 को अमेरिका में हमला करने वाले ज्यादातर अपहरणकर्ता और अल कायदा का सरगना ओसामा बिन लादेन भी सऊदी से ही थे। यहां तक कि इस्लामिक स्टेट ने सीरिया और इराक में अपने कब्जे वाले इलाके में सऊदी की धार्मिक पुस्तकें ही पढ़ने का नियम बनाया था।
45,000 आबादी और 60 से ज्यादा मस्जिदें
कट्टनकुडी में 60 से भी ज्यादा मस्जिदें हैं और आबादी 45,000 हैं। इनमें से ज्यादातर वहाबी विचारधारा के साथ कट्टर इस्लाम को मानते हैं। न्यू कट्टनकुडी की ग्रैंड जुमा मस्जिद के सेक्रटरी इरफान बताते हैं, '7 साल की उम्र के बाद हर व्यक्ति को दिन में पांच बार नमाज पढ़ना जरूरी होता है इसलिए हमें ज्यादा मस्जिदों की जरूरत पड़ी।'
NTJ ने कहा, हाशिम से संबंध नहीं
आपको बता दें कि श्री लंका के पूर्व राष्ट्रपति और बौद्ध राष्ट्रवादी महिंदा राजपक्षे ने ही कट्टनकुडी ग्रैंड जुमा मस्जिद की आधारशिला रखी थी। सऊदी और खाड़ी के दूसरे देशों ने कट्टनकुडी के एक व्यक्ति हिज्बुल्ला के उसके कस्बे में इस्लामिक कानून के हिसाब से विश्वविद्यालय खोलने के प्लान का समर्थन किया था। फिलहाल हिज्बुल्ला पूर्वी प्रांत के गवर्नर हैं। पिछले हफ्ते अधिकारियों ने जाहरान के कट्टरपंथी समूह को लेकर पूछताछ भी की थी। वहीं, NTJ का कहना है कि उसने दो साल पहले ही जाहरान के साथ संबंधों को तोड़ लिया था।
2004 से शुरू हुए थे छिटपुट हमले
2004 में वहाबी विचारधारा से प्रभावित युवाओं ने कट्टनकुडी में सूफियों पर हमले करना शुरू किया था। गालियां दी जाती थीं और ग्रेनेड भी फेंके गए। बाद में सैकड़ों की संख्या में सूफी इस्लाम को मानने वाले लोगों को मजबूरन अपना घर छोड़ना पड़ा। जाहरान ने लंबे समय तक सूफियों के खिलाफ अभियान चलाया। कट्टनकुडी की