सरकारी नहीं ये जनता का कार्यक्रम, पढ़ें पीएम मोदी के मन की बड़ी बातें
नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि भारत का मूल-प्राण राजनीति या राजशक्ति नहीं बल्कि समाजनीति और समाज-शक्ति है तथा ऐसे में सब कुछ ‘राजनीति’ हो जाना, स्वस्थ समाज के लिए एक अच्छी व्यवस्था नहीं है। आकाशवाणी पर प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा कि जब ‘मन की बात’ शुरू हुई थी तभी उन्होंने तय किया था कि न तो इसमें राजनीति हो, न ही इसमें सरकार की वाहवाही हो और न ही इसमें कहीं मोदी हो । उन्होंने कहा कि उनके इस संकल्प के लिए सबसे बड़ा संबल, सबसे बड़ी प्रेरणा लोगों से मिली। प्रधानमंत्री ने मन की बात के 50वें एपिसोड को संबोधित करते हुए अपने कुछ व्यक्तिगत अनुभव भी साझा किए।
मोदी के मन की खास बातें
मोदी आएगा और चला जाएगा, लेकिन यह देश अटल रहेगा, हमारी संस्कृति अमर रहेगी। 130 करोड़ देशवासियों की छोटी-छोटी यह कहानियां हमेशा जीवित रहेंगी और देश को नई प्रेरणा तथा उत्साह से नई ऊंचाइयों पर ले जाती रहेंगी।
‘मन की बात’ के 50वें एपिसोड की सबसे बड़ी सिद्धि यही है कि जनता प्रधानमंत्री से नहीं, बल्कि अपने एक निकटतम साथी से सवाल पूछ रही है। यही तो लोकतंत्र है।
कभी-कभी ‘मन की बात’ का मजाक भी उड़ता है लेकिन मेरे मन में हमेशा ही 130 करोड़ देशवासी बसे रहते हैं। उनका मन मेरा मन है। ‘मन की बात’ सरकारी बात नहीं है-यह समाज की बात है।
लोगों के पत्रों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि वे जब भी कोई पत्र पढ़ते हैं तो पत्र लिखने वाले की परिस्थिति, उनके भाव.. विचार का हिस्सा बन जाते हैं। वह पत्र सिर्फ एक कागज का टुकड़ा नहीं रहता।
आकाशवाणी, एफ.एम. रेडियो, दूरदर्शन, अन्य टीवी चैनल, सोशल मीडिया को भी धन्यवाद देना चाहते हैं जिन्होंने स्वच्छता, सड़क सुरक्षा, मादक पदार्थ मुक्त भारत, सेल्फी विद डॉटर जैसे कई विषयों को नवोन्मेषी तरीके से एक अभियान का रूप देकर आगे बढ़ाया।
‘मन की बात’ ने लोगों की बातों को एक सूत्र में पिरोकर कर हल्की-फुल्की बातें करते-करते 50 एपिसोड का सफर तय कर लिया।
संविधान दिवस से एक दिन पूर्व देशवासियों से संवैधानिक मूल्यों को आगे बढ़ाने की अपील करते हुए मोदी ने कहा कि यदि हम संविधान में दिए गए कर्तव्यों का पालन करें तो अधिकारों की रक्षा अपने-आप हो जाएगी।
वर्ष 2020 में एक गणतंत्र के रूप में हम 70 साल पूरे करेंगे और 2022 में हमारी आजादी के 75 वर्ष पूरे हो जाएंगे। हम सभी अपने संविधान के मूल्यों को आगे बढ़ाएं और देश में शांति, उन्नति और समृद्धि सुनिश्चित करें।
संविधान दिवस उन महान विभूतियों को याद करने का दिन है जिन्होंने भारत का संविधान बनाया।
संविधान को 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया था। संविधान का प्रारूप करने के ऐतिहासिक कार्य को पूरा करने में दो साल, 11 महीने और 17 दिन लगे। जिस असाधारण गति से उन विभूतियों ने संविधान का निर्माण किया वह आज भी समय प्रबंधन और उत्पादकता का एक उदाहरण है।
डॉ. भीमराव अंबेडकर का 6 दिसंबर को महा-परिनिर्वाण दिवस है और वह सभी देशवासियों की ओर से बाबा साहब को नमन करते हैं।
लोकतंत्र बाबा साहब के स्वभाव में रचा-बसा था। वह कहते थे कि हम भारतीय भले ही अलग-अलग पृष्ठभूमि के हों, लेकिन हमें देशहित को सभी चीजों से ऊपर रखना होगा।