सलाखों से बाहर नहीं जाना चाहता आईएसआई एजेंट, खुफिया एजेंसियां सतर्क
लखनऊ
जिला जेल में बंद आईएसआई एजेंट तासीन अंजीम उर्फ लारेब खां खुद ही सलाखों से बाहर नहीं आना चाहता है। सजा पूरी होने के बाद पाकिस्तान भेजे जाते समय पुलिस स्कोर्ट पर हमला करके उसने खुद को गिरफ्तार करवा लिया था। जेल की हाई सिक्यॉरिटी बैरक में बंद लारेब अब फिर रिहा होने वाला है। खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक आईएसआई के चंगुल में जाने से बचने के लिए वह फिर से कोई हरकत कर सकता है। इस आशंका को देखते हुए उसकी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। सुरक्षा एजेंसियों ने उसका सिंडीकेट खंगालना भी शुरू कर दिया है। जेलों में बंद अन्य आतंकियों से उसकी करीबियों को लेकर भी छानबीन की जा रही है।
इसलिए जेल से बाहर नहीं जाना चाहता?
मिलिट्री इंटेलिजेंस की सूचना पर पुलिस ने नार्थ कराची निवासी रहीस आलम के पुत्र तासीन अंजीम उर्फ लारेब खां को 13 सितंबर 2006 को कैंट इलाके से दबोचा था। आईएसआई एजेंट लारेब खां पर सेना से जुड़ी जानकारियां एकत्र करने का आरोप था। कैंट कोतवाली में उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 352, 504 और 506 के अलावा विदेशी अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया। छानबीन में उसके पास से मिले दस्तावेजों से आईएसआई एजेंट साबित होने पर कोर्ट ने आठ साल की सजा सुनाई थी। सजा पूरी होने पर 1 सितंबर 2014 को रिहा किया गया।
लिस लारेब को जिला जेल से लेकर बाघा बार्डर के लिए रवाना हुई। इस दौरान उसने मोहनलालगंज में पुलिसकर्मियों से मारपीट कर ली। पुलिसकर्मियों ने मोहनलालगंज कोतवाली में दो सितंबर 2014 को आईपीसी की धारा 353, 504 व 506 के तहत मुकदमा दर्ज करवाया और अगले ही दिन फिर जेल भेज दिया था। खुफिया एजेंसी के एक अधिकारी ने बताया कि जेल में पूछताछ के दौरान लॉरेब ने बताया कि वह दोबारा आईएसआई के दलदल में फंसना नहीं चाहता है। पिछले सप्ताह मंडलायुक्त कार्यालय में सुरक्षा एजेंसियों की हुई गोपनीय बैठक में भी पुलिस अफसरों ने लॉरेब के प्रकरण से मंडलायुक्त अनिल गर्ग को अवगत करवा दिया है। इसके बाद जेल में उसकी निगरानी बढ़ा दी गई है।