सिखों के लिए क्या है कृपाण की अहमियत?
बॉलीवुड एक्टर शाहरुख खान की आने वाली फिल्म 'जीरो' के पोस्टर ट्रेलर से सिख समुदाय नाराज है. इसमें शाहरुख को जिस तरह कृपाण पहने दिखाया गया है. उसके बाद दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति ने कानूनी नोटिस भेजा है.
'जीरो' में फिल्म के पोस्टर और ट्रेलर में एक्टर शाहरुख खान को कृपाण पहने दिखाया गया है. जिस पर सिखों को आपत्ति है. दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का कहना है कि इस फिल्म में शाहरुख ने 'कृपाण' को साधारण चाकू की तरह इस्तेमाल करके करोड़ों सिखों की भावनाएं आहत की हैं. इसे मजाकिया तरीके से दिखाया गया है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.
क्या है कृपाण का महत्व
सिखों के पवित्र पांच ककारों में से एक है. गुरु गोविंद सिंह ने सिखों के लिए पांच चीजें अनिवार्य की थीं - केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कच्छा.
इन सभी को सिखों को अनिवार्य तौर पर धारण करना चाहिए. वीरता और साहस की निशानी समझे जाने वाले कृपाण को सिख अक्सर कमर पर लटकाते हैं या फिर या फिर बैग आदि में रखते हैं. आजकल कृपाण की जगह छोटे-छोटे चाकू रखने का रिवाज है.
कृपाण का मतलब
कृपाण दो शब्दों से बना है 'कृपा' और 'आन'. सिख धर्मानुसार, एक सिख के अंदर संत और सिपाही दोनों के गुण होने चाहिए.
गुरु गोविन्द सिंह जी ने जिस खालसा पंथ की स्थापना की थी, उसका एक अंग लड़ाका भी था, जिसका काम जनता पर हो रहे अत्याचार को रोकना था. ऐसे में कृपाण उनकी रक्षा के लिए बेहद विशेष अस्त्र माना गया. ये सुरक्षा की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण अस्त्र होता है.
कब शुरू हुई ये प्रथा
सिख धर्म में कृपाण या तलवार रखने की शुरुआत छठे सिख गुरु हरगोबिन्द सिंह ने की. उन्होंने सिखों को समाज या आसपास हो रहे अधर्म के खिलाफ आवाज उठाने के लिए तैयार रहने के लिए कहा. इसके बाद सिखों के लिए कृपाण रखना अनिवार्य कर दिया.
कृपाण ही क्यों ?
कई लोग सोचते हैं कि अगर गुरु गोबिन्द सिंह जी सिखों के लिए एक अस्त्र रखना अनिवार्य करना चाहते थे तो उन्होंने बंदूक या किसी अन्य अस्त्र को क्यों नहीं चुना? वजह ये है कि कृपाण या तलवार हमारी सभ्यता और संस्कृति से जुड़े हैं. पांचवें सिख गुरु अर्जन सिंह ने अपनी तमाम लेखनी में सैन्य उपमाओं का इस्तेमाल किया.