बेतिया
पश्चिम चंपारण के सांसद सह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने सफलता सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़कर हासिल की है। वर्ष 1990 में पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1994 में वे भाजपा के नगर अध्यक्ष बने। उनके बेहतर काम को देखत हुए पार्टी ने अगले ही साल 1996 में उन्हें मेडिकल सेल का प्रदेश मंत्री बना दिया। 1997 में वे जिला युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष बने।
बेहतर काम का उन्हें इनाम मिला और पार्टी ने 1999 में उन्हें पश्चिम चंपारण से लोकसभा का टिकट दे दिया। 2003 में जिलाध्यक्ष बने। 2010 में उन्हें मेडिकल सेल का राष्ट्रीय प्रभारी बनाया गया। 2014 में एक बार फिर उन्होंने लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की। इस बार उन्हें लोकसभा में सचेतक बनाया गया। इस तरह उनकी राजनीतिक ताकत दिनोंदिन बढ़ती चली गई। 2017 में उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया। इस बार लोकसभा चुनाव में उन्होंने रेकॉर्ड तीन लाख से अधिक वोट से जीत दर्ज की।
दादा की विरासत को पिता व पोते ने बढ़ाया
डॉ. संजय जायसवाल के दादा रामयाद राम अखिल भारतीय हिंदू महासभा के सदस्य थे। 1942 में उन्हें इस कारण जेल भी जाना पड़ा था। वे कांग्रेस के सख्त खिलाफ थे। इसी पीढ़ी के डॉ. मदन जायसवाल ने पारिवारिक विरासत को आगे बढ़ाया। वे भी कांग्रेस के घोर विरोधी थे। तीन बार वे सांसद रहे। एक बार वे राजद के रघुनाथ झा से चुनाव हार गये। इस बदला डॉ. संजय जायसवाल ने अगले ही लोस चुनाव में ले लिया।
चंपारण से पार्टी को मिला दूसरा प्रदेश अध्यक्ष
चंपारण से भाजपा को दूसरा प्रदेश अध्यक्ष मिला है। इससे पहले पूर्वी चंपारण के सांसद राधा मोहन सिंह प्रदेश अध्यक्ष बने थे। अब पश्चिम चंपारण को प्रदेश के नेतृत्व की जिम्मेवारी मिली है। डॉ. संजय जायसवाल हमेशा विवादों से दूर रहे। जिले में दूसरे दल के नेता भी उनका सम्मान करते हैं।
बेतिया आवास पर बधाई देने वालों का तांता लगा
प्रत्येक बूथ पर दो सौ कार्यकर्ताओं को तैयार किया जाएगा। उनके साथ बैठक करने का प्रयास करेंगे। इसमें उनसे सीधा संवाद होगा। पार्टी को मजबूत बनाना मेरी प्राथमिकता है। इसके लिए पूरी लगन से काम करेंगे। ये बातें भाजपा के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने शनिवार को अस्पताल रोड स्थित आवास पर कही।