होली दहन की तिथि, मुहूर्त और रंग लगाने का शुभ समय

होली दहन की तिथि, मुहूर्त और रंग लगाने का शुभ समय

पूरे हिंदुस्तान में जिस तरह से दीपावली की धूम रहती है ठीक उसी प्रकार लोगों में होली पर्व के लिए भी उत्सुकता देखी जाती है। होली और दीपावली दोनों ही त्योहार पूरे भारत में श्रद्धा और बड़ी धूमधाम के साथ मनाए जाते हैं। होली से कई दिन पहले ही तरह तरह के रंग गुलाल और पिचकारियों से दुकानें सज जाती हैं। इस बार यानि 2019 में रंगों का त्योहार 21 मार्च को मनाया जाएगा और 20 मार्च की रात को होलिका दहन किया जाएगा। चलिए जानते हैं इस बार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या है और होली पर रंग लगाने का शुभ समय कब है।

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
होली का त्योहार फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है जिसे बुरी आत्माओं के जलने के रूप में देखा जाता है। इसी का जश्न अगले दिन होली के रंगों के साथ मनाया जाता है। होलिका दहन का कार्यक्रम कभी भी भद्रा काल में नहीं होता है। 20 मार्च को सुबह 10 बजकर 45 मिनट से रात के 8 बजकर 59 मिनट तक भद्रा काल रहेगा। इस वजह से होलिका दहन के लिए शुभ समय रात 9 बजे से हैं।

रंग खलेने का शुभ मुहूर्त
21 मार्च को रंग खेला जाएगा। रंग खलेने का भी शुभ मुहूर्त है जिसकी शुरुआत प्रातः 4 बजे से हो जाएगी और सुबह 8 बजे तक रहेगा। इसके बाद सुबह 11 बजे से दोपहर 3.50 तक रंग खेल सकते हैं। शाम 5 बजे से लेकर रात 9.30 बजे तक रंग लगाने का शुभ समय रहेगा।

14 मार्च से लगेगा होलाष्टक
होली से आठ दिन पहले होलाष्टक लग जाता है और इस दौरान कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। इस बार होलाष्टक 14 मार्च को सूर्योदय के साथ ही शुरू हो जाएगा और इसकी समाप्ति फाग के दिन हो जाएगी।

जानें होली पर्व का महत्व और इसकी कथा
होलिका दहन के दिन लोग खास पूजा भी करते हैं ताकि परिवार के सभी सदस्य खासतौर से बच्चे और बुजुर्ग स्वस्थ रह सकें। साथ ही वो हर तरह की बुराइयों से बचे रहें। बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देने वाले इस पर्व के दौरान होलिका और भक्त प्रह्लाद को याद किया जाता है। होलिका दहन उस घटना के स्मरण में आज भी मनाया जाता आ रहा है। कथा के अनुसार भक्त प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप को अपने पुत्र से बहुत नफरत थी और इसकी वजह थी की वो अपने पिता के बजाय भगवान विष्णु की पूजा करता था।

अपने भाई की ख़ुशी के लिए होलिका, जिसे अग्नि से ना जलने का वरदान प्राप्त था, प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ गयी। भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की लेकिन वरदान का गलत उपयोग करने वाली होलिका जल गयी। ये घटना आज भी लोगों को सच्चाई का साथ देने के लिए प्रेरित करती है।