कैसे मिलती समय रहते आंधी-तूफान की चेतावनी, खराब पड़ा था जयपुर में लगा रडार

जयपुर 
प्राकृतिक आपदाओं को रोका नहीं जा सकता लेकिन इनके पूर्वानुमान से आपदा से होने वाले नुकसान को कम जरूर किया जा सकता है. ऐसे में संबंधित एजेंसियों की जिम्मेदारी और बढ़ जाती हैं जो सही वक्त पर आपदा का सटीक अनुमान लगाकर जान-माल के नुकसान को कम कर सकें. लेकिन दो दिन पहले आए तूफान के दौरान मौसम का पूर्वानुमान जारी करने वाली एजेंसियों की बड़ी लापरवाही देखने को मिली.   

मौसम की घटनाओं का सटीक पूर्वानुमान लगाने में एक महत्वपूर्ण घटक के तौर पर काम करने वाला जयपुर स्थित डॉप्लर रडार दो मई की रात को काम नहीं कर रहा था. इसी दिन बेहद तेज गति से धूल भरी आंधी-तूफान ने राजस्थान के कुछ हिस्सों में तबाही मचाई थी.

इसमें घटना में जान-माल का काफी नुकसान हुआ और इन घटनाओं में 35 से ज्यादा लोगों की जान चली गई. यह रडार जयपुर के मौसम विभाग कार्यालय के परिसर में स्थित है. मौसम विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी जानकारी दी. भारतीय मौसम विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक देवेंद्र प्रधान ने बताया कि फिनलैंड की कंपनी वैसाला द्वारा निर्मित यह डॉप्लर रडार पिछले 10 दिनों से काम नहीं कर रहा है.

प्रधान ने एजेंसी को बताया, 'जयपुर का डॉप्लर रडार पिछले 10 दिनों से कुछ तकनीकी खामियों की वजह से खराब पड़ा हुआ है. फिनिश कंपनी वैसाला के इंजीनियर यहां मौजूद हैं और अगले 2-3 दिनों में समस्या ठीक हो जाएगी.’

क्या होता है डॉप्लर रडार

डॉप्लर रडारों के अलावा मौसम विभाग मौसम का सटीक पूर्वानुमान लगाने के लिए वेधशालाओं और उपग्रहों पर निर्भर रहता है. डोप्लर रडार आंधी, तूफान, बारिश का बेहतर आकलन लगाने में मदद करता है और इससे 2-3 घंटों के भीतर मौसम का अलर्ट जारी करने में भी सहायता मिलती है. प्रधान ने कहा कि आपदा प्रबंधन के लिए यह एक महत्त्वपूर्ण साधन है और देश में फिलहाल ऐसे 27 डॉप्लर रडार हैं.

फिर लौट सकता है तूफान

तूफान से देशभर में 124 लोगों की जान चली गई लेकिन इसका खतरा अभी कम नहीं हुआ है. इंडियन मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट (IMD) ने अगले 24 घंटे में आंधी-तूफान के लौटने की आशंका जताई है. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में अलर्ट जारी किया है. मौसम विभाग के मुताबिक चक्रवात की स्थिति बनने की वजह से यह अनुमान लगाया गया है.