'दस्तक' देते-देते बढ़ गयी इनकी धड़कन, अब कोई नाराज़ है तो कोई परेशान
प्रदेश कांग्रेस की कमान संभालने के साथ पीसीसी चीफ कमलनाथ ने संभावित प्रत्याशियों को अपनी-अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में घर-घर दस्तक अभियान चलाने का जिम्मा सौंपा था. लेकिन टिकट की आस लगाए दावेदारों को जैसे ही भनक लगी कि उनका टिकट कट सकता है, उन्होंने दस्तक देने से कन्नी काट ली.
कमलनाथ ने पीसीसी चीफ बनते ही घर-घर दस्तक अभियान से हर विधानसभा सीट के एक-एक संभावित दावेदार को जोड़ा था. इस अभियान के तहत ज़्यादातर संभावित प्रत्याशी अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में सक्रिय हो गए थे. दावेदारों ने विधानसभा क्षेत्र में जाकर जनता के बीच बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाना शुरू कर दिया था. कई घरों में तो लोगों को कांग्रेस की सदस्यता दिलाने के साथ उन्हें जोड़ना भी शुरू कर दिया था.
ये अभियान अभी चल रहा है. लेकिन टिकट वितरण से ठीक पहले जब कांग्रेस ने आवेदन के ज़रिए 230 विधानसभा सीट से दावेदारों के नाम मांगे, तो शुरुआती दौर में ही 3200 नाम सामने आ गए. यानि 1 सीट से 13 दावेदार. ये सीन सामने आते ही अभियान से जुड़े उन दावेदारों को अपना टिकट कटने की चिंता सताने लगी है, जो कमलनाथ के कहने पर घर-घर जाकर कांग्रेस के लिए प्रचार-प्रसार कर रहे हैं. हालांकि पार्टी लगातार कह रही है कि टिकट वितरण से पहले कोई मुश्किल नहीं होगी. सर्वे के आधार पर ही टिकट दिए जाएंगे.
कांग्रेस में मची इस उथल-पुथल से बीजेपी खुश है. वो इसमें अपना फायदा देख रही है. वो तो दावा कर रही है कि कांग्रेस के कई संभावित और नाराज़ दावेदार लगातार उसके संपर्क में हैं.
टिकट वितरण को लेकर दावेदारों में नाराजगी कोई नई बात नहीं है. लेकिन पहले टिकट का लॉलीपॉप देकर दावेदारों को प्रचार में झोंका गया और अब टिकट कटने की आशंका कांग्रेस के सामने मुसीबत खड़ी कर सकती है.
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