नीतीश सरकार का ऐलान, SKMCH में 62 करोड़ की लागत से तैयार होगा 100 बेडों वाला ICU

नीतीश सरकार का ऐलान, SKMCH में 62 करोड़ की लागत से तैयार होगा 100 बेडों वाला ICU

मुजफ्फरपुर
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को कैबिनेट की मीटिंग सम्पन्न हुई है. कैबिनेट की इस मीटिंग में राज्य सरकार के कुल 18 एजेंडों पर सहमति बनी. इसमें सबसे महत्वपूर्ण मुजफ्फरपुर में 62 करोड़ की लागत से तैयार होने वाले आईसीयू को लेकर है. मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच अस्पताल में यह आधुनिक संसाधनों से युक्त एक 100 बेडों वाला आईसीयू होगा. जिसमें मरीजों के साथ आए तीमारदारों के लिए धर्मशाले की भी व्यवस्था होगी.

गौरतलब है कि बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं में भारी कमी के चलते पिछले कुछ महीनों से लगातार मौतें हो रही हैं. विशेष रूप से एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रॉम (AES) यानी चमकी बुखार के चलते बच्चों की मौत का आंकड़ा दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है. स्वास्थ्य सेवाओं में कमी के चलते इसको रोक पाने में सरकार पूरी तरह से असफल रही है. चमकी के सर्वाधिक मामले मुजफ्फरपुर में देखे जा रहे हैं. अभी तक यहां के एसकेएमसीएच अस्पताल में बच्चे की इलाज के दौरान मौत हो रही है.

चमकी से प्रभावित बच्चों के इलाज में सबसे अधिक कमी आईसीयू की देखी गई है. मुजफ्फरपुर में बच्चों की बीमारी को देखते हुए चार ICU चालू किए गए हैं, फिर भी बेड कम पड़ रहे हैं. एक बेड पर दो-दो बच्चों का इलाज किया जा रहा है. इस बीच SKMCH से अच्छी खबर भी आ रही है और इलाज के लिए भर्ती कुछ बीमार बच्चे ठीक हो रहे हैं. 6 बच्चों को इलाज के बाद PICU से सामान्य वार्ड में शिफ्ट किया गया है.

इससे पहले सूबे के सीएम नीतीश कुमार ने इस मामले में विभाग के प्रधान सचिव को ध्यान देने की नसीहत दी. सीएम ने कहा था कि बच्चों की मौत पर सरकार चिंतित है और इससे कैसे निपटा जाए इस पर काम चल रहा है. सीएम ने मुख्य सचिव को AES पर खुद नजर रखने का निर्देश दिया. जबकि इस बीमारी को लेकर उन्‍होंने जागरुकता फैलाने की जरुरत बताई है.

स्वास्थ्य मंत्री ने इन मौतों का कारण कुछ और बताया था. मंगल पाण्डेय ने कहा था कि अभी तक 11 बच्चों के मौत की पुष्टि हुई है, लेकिन इसमें एईएस यानी इनसेफेलाइटिस से अभी तक किसी बच्चे की मौत नहीं हुई है. उन्‍होंने कहा कि हाईपोगलेसिमिया से 10 बच्चों की मौत हुई है जबकि एक बच्चे की मौत जापानी इनसेफेलाइटिस से हुई है. जबकि बच्चों की मौत को लेकर विभाग गम्भीर है. बिहार में AES यानि (एक्यूट इन्सेफेलाइटिस) से 12 जिले और 222 प्रखंड प्रभावित हैं.