पूर्व विधायक ने इस आईएएस पर लगाए गड़बड़ी के आरोप, सीबीआई को जांच के लिए लिखा पत्र
बालाघाट
मध्यप्रदेश के बालाघाट के लांजी से पूर्व विधायक किशोर समरीते ने सीबीआई को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने आईएएस अधिकारी रजनीश वैश्य द्वारा नर्मदा घाटी विकास में 11 हजार करोड की वित्तिय अनियमितता करने के मामले में पुन जांच की मांग की है।साथ उन्होंने कहा है कि संयुक्त निर्देशक सीबीआई भोपाल इस मामले में जांच अधिकारी नियुक्त कर नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण मध्यप्रदेश शासन के सभी कार्यो की जो रजनीश वैश्य आई.ए.एस एवं उपाध्यक्ष नर्मदा घाटी विकास तथा सदस्य पुनर्वास द्वारा कराये गये है, उनकी जांच की जाए।
किशोर ने पत्र में लिखा है कि भारत सरकार एवं विश्व बैंक से सहायता से बना सरदार सरोवर बांध जो नर्मदा नदी पर महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान एवं मध्यप्रदेश की सिंचाई एवं पेयजल आपूर्ति के लिये बना है। मप्र में उवाद्वश नर्मदा घाटी विकास तथा प्रमुख सचिव नर्मदा घाटी विकास की रजनीश वैश्य द्वारा विगत आठ वर्षो से इसे भरनी नही दिया जा रहा है। जबकी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सरदार सरोवर के निर्माण विस्थापन एवं पूनर्वास की जांच के लिये जस्टिस झा आयोग बनाया था जिसने सर्वोच्च न्यायालय को एवं भारत सरकार तथा चारों राज्य सरकारो को सौंपी गई पांच हजार पन्नो की रिपोर्ट में सरदार सरोवर के निर्माण पर उसकी मजबूती पर सवाल उठाये तथा सरदार सरोवर में विस्थापन एवं पुनर्वास प्रक्रिया में सवाल उठाये है। रजनीश श्रीवास्तव उपाध्यक्ष नर्मदा घाटी विकास सदस्य पुनर्वास नर्मदा घाटी विकास तथा प्रमुख सचिव नर्मदा घाटी विकास रहते हुये अनुमानित 11 हजार करोड की संपत्ति संग्रहित की है तथा इनकी कार्य प्रणाली पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित झा आयोग ने प्रतिकूल टिप्पणी की है इन सबके बावजूद मप्र शासन एवं भारत सरकार द्वारा रजनीश वैश्य आई.ए.एस के विरूद्ध सी.बी.आई जांच की अनुशंसा नहीं किया जाना विचारणीय है।उन्होंने मांग की है कि रजनीश खिलाफ मामला दर्ज कर पूरे मामले की जांच सीबीआई से करवाकर इसका खुलासा किया जाए।
मध्यप्रदेश में रजनीश वैश्य उपाध्यक्ष नर्मदा घाटी विकास तथा प्रमुख सचिव नर्मदा घाटी विकास मप्र शासन विगत आठ वर्षो से पदस्थ है तथा रजनीश वैश्य वही आईएस है जो बैतूल कलेक्टर रहते हुये मुलताई मे किसान आंदोलन में गोली चालन करवाया था जिसमे 24 किसानों की पुलिस गोली चालन में मौत हो गयी थी जिसके बाद रजनीश वैश्य को 8 वर्ष तक मप्र शासन ने प्रमुख सचिव नर्मदा घाटी विकास एवं उपाध्यक्ष नर्मदा घाटी विकास में मुख्य अभियंता, अधीक्षण यंत्री एवं कार्यपालन यंत्रीयो के माध्यम से 50 हजार करोड रूपयें ठेकेदारो से कमाई की। उन्होंने लिखा है कि नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण में एक य अभियंता 8 अधिक्षण यंत्री तथा 25 कार्यपालन यंत्री है। प्रमुख अभियंता 2 मु रजनीश वैश्य द्वारा 11 वर्ष के कार्यकाल में अपने पास तीन शासकीय वाहन रखकर तथा अपनी नीजि सचिव मुर्ससेन के माध्यम से लगभग 9 हजार टेण्डर लगाये तथा प्रशासकीय स्वीकृति जारी की । रजनीश वैश्य द्वारा टेण्डर का प्रारूप नियम एवं शर्ते स्वयं तैयार करके प्रमुख अभियंता के हस्ताक्ष करवाये जाते थे तथा किन कंपनियों को ठेका देना होता है उसी के अनुसार नियम शर्ते तैयार की जाती थी जिन्हे ठेका नही देना होता था उनके अनुभव प्रमाण पत्र बीट केपीसिटी के दस्तावेज फर्जी बताकर टेण्डर निरस्त कर दिये जाते है।
उन्होंने लिखा है कि रजनीश वैश्य अपने अधिन नर्मदा घाटी के विकास धन का दुरूपयोग करते है तथा रजा खान एवं आदिल खान को नियम विरूद्ध एक एक वर्ष की सेवावृद्धि पांच बार देकर बिना कार्य के आफिस में मात्र गप्पे मारने रखते है। एमडीएस परिहार को 68 वर्ष की उम्र में सलाहकार के रूप में शासकीय सेवा में रखा हुआ है। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण में श्री रजनीश वैश्य द्वारा प्रमुख अभियंता आर पी मालवीय को रखा गया है जो इन्दौर के रहने वाले है तथा भोपाल में रहते नही है प्रतिदिन इंदोर से से आना जाना करते है तथा कोई भी शासकीय योजना का निरीक्षण नही करते है। आ पी मालवीय प्रमुख अभियंता एवं सदस्य ट ऐरीगेशन में 500 करोड की योजना का अभियांत्रिकी रहते खरगौन लि कार्य स्टीमेट एवं अनुबंध के अनुसार नही करा पाये मेघा इंजीनियरिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 50 करोड की वसुली के आदेश पर वसुली नही कर पाये ट ऐरीगेशन का कार्य भी मेधा इंजीनियरिंगइसी तरह पुनासा लि इन्फ्रास्ट्रक्चर को दिया गया यह योजना 500 करोड की थी इसमे भी कंपनी ने कोई शर्त अनुबंध एवं स्टीमेट के अनुसार नही किया तथा इन दोनो योजनाओं में कपंनियों को कार्य में 100-100 करोड अधिक का भुगतान दिया गया। इन दोनो कार्यो की निविदा एवं निविदा की शर्ते रजनीश वैश्य ने स्वयं तैयार की थी एवं 20 करोड रूपये इन दोनो कार्यो के कमीशन दिया था। इन दोनो कार्यो में ठेका लेने वाली कंपनी मेघा इंजीनियरिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने अपने अनुभव प्रमाण पत्र तथा बीट केपीसीट के दस्तावेज फर्जी लगाये थे।
उन्होंने लिखा है कि आर पी मालवीय प्रमुख अभियंता एवं सदस्य अभियांत्रिकी बनने से पहले जबलपुर में अधिक्षण यंत्री के रूप मे पदस्थ थे तथा इन्होने नरसिंपुर जिले में दुधी नदी डेम एवं कनोल तथा शक्कर नदी डेम एवं केनाल के कार्य लेने नही दिये पूरा समय जबलपुर से इन्दौर आने जाने में बिता दिया। आर पी मालवीय के पिछले कार्यो की जांच इनकी टूर डायरी तथा कार्यो के निरीक्षण रिपोर्ट जां की जांच करवायी जावे तो इन्हे सेवा से बर्खास्त किया जा सकता है।