भूपेश बघेल के मंत्रिमंडल में 13 की जगह, रेस में हैं इतने दावेदार
रायपुर
छत्तीसगढ़ प्रदेश की पांचवीं सरकार में भूपेश बघेल ने तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में सोमवार को शपथ ले ली. मुख्यमंत्री की शपथ के बाद मंत्रिमंडल का गठन होना है. ऐसे में विधानसभा की कुल 68 सीटें जीतने वाली कांग्रेस के लिए कैबिनेट गठन एक बड़ी चुनौती है. क्योंकि संवैधानिक बाध्यता के चलते छत्तीसगढ़ में 13 मंत्री ही बनाए जाएंगे. जबकि दावेदारों की संख्या लगभग 20 है.
बताया जा रहा है कि कांग्रेस आला कमान इस चुनौती से निपटने के लिए एक रणनीति पर काम कर रही है. इसके तहत क्षेत्र, जाति व वर्ग का भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है. हालांकि, इसको लेकर कांग्रेस की ओर से कोई अधिकृत प्रतिक्रिया अब तक नहीं आई है. कांग्रेस के संचार प्रमुख शैलेष नितिन त्रिवेदी मीडिया से चर्चाओं में कई बार कह चुके हैं. मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण के बाद ही इसपर कवायद की जाएगी. भूपेश बघेल का नाम बतौर सीएम ऐलान होने के बाद मीडिया से चर्चा में उन्होंने कहा कि वरिष्ठता के साथ युवाओं, महिलाओं की भी हिस्सेदारी होगी.
भूपेश कैबिनेट में ये हैं कुर्सी के दावेदार
टीएस सिंहदेव
क्यों: सरगुजा के राजा टीएस सिंहदेव मुख्यमंत्री के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे. सरगुजा संभाग से इस बार कुल 14 सीटें जिताने में कारगर रणनीति बनाई. इनकी अगुवाई में बनाया गया घोषणा-पत्र ही कांग्रेस की जीत का आधार बना. ऐसे में इनकी जगह लगभग पक्की मानी जा रही है.
चरणदास महंत
क्यों: पूर्व केंद्रीय मंत्री के रूप में प्रशासनिक अनुभव है. चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष भी रहे. एमपी में गृहमंत्री का अनुभव है. सीएम पद के दावेदारों में इनका भी नाम था.
सत्यनारायण शर्मा
क्यों: कांग्रेस के सबसे अनुभवी विधायकों में से एक हैं. दिग्विजय सिंह और अजीत जोगी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं.
रविंद्र चौबे
क्यों: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं. जनसंपर्क, पीडब्लूडी विभागों के कामकाज का अच्छा अनुभव रहा है.
धनेन्द्र साहू
क्यों: पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं. अजीत जोगी की सरकार में मंत्री रह चुके हैं. पीसीसी अध्यक्ष भी रहे. प्रदेश में सियासी तौर पर शक्तिशाली माने जाने वाले साहू समाज से जनप्रतिनिधि हैं.
शिव डहरिया
क्यों: सतनामी समाज से अनुभवी विधायक हैं. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष हैं, इसलिए दावेदारी प्रमुख मानी जा रही है.
अमरजीत भगत
क्यों: तेजतर्रार आदिवासी नेता हैं. सरगुजा संभाग में 14 में से सभी 14 सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया है. ऐसे में इनको मंत्री बनाया जाना लगभग तय माना जा रहा है.
खेलसाय सिंह
क्यों: अनुभवी विधायक खेलसाय सिंह भी सरगुजा संभाग से हैं. मंत्रिमंडल के लिए मजबूत दावेदारी है.
लखेश्वर बघेल
क्यों: लगातार दूसरी बार विधायक हैं. आदिवासी समाज में अच्छी पकड़ है. साफ-स्वच्छ छवि, मिलनसार व्यक्तित्व है.
उमेश पटेल
क्यों: युवा चेहरा हैं. स्व. नंदकुमार पटेल के बेटे हैं. हाईप्रोफाइल प्रत्याशी ओपी चौधरी को पराजित कर लगातार दूसरी बार विधायक बने हैं.
प्रेमसाय टेकाम
क्यों: जोगी सरकार में कृषि मंत्री रहे. 6 बार के विधायक हैं. सरगुजा में सक्रिय विधायक और आदिवासी समाज में पकड़ है.
अनिला भेड़िया
क्यों: लगातार दूसरी बार जीतीं. आदिवासी समाज से आती हैं. मंत्री पद के लिए प्रबल दावेदारी है.
कवासी लखमा
क्यों: कवासी लखमा लगातार चौथी बार विधायक बनकर आए हैं. बस्तर के घोर नक्सल प्रभावित इलाके से आते हैं. सदन में आक्रामक नेता की छवि है.
अरुण वोरा
क्यों: दुर्ग शहर से चुनाव जीतकर आए अरुण वोरा भी तजुर्बेकार विधायक हैं. हाईकमान के सबसे करीबी राष्ट्रीय महामंत्री प्रशासन मोतीलाल वोरा के बेटे हैं.
ताम्रध्वज साहू
क्यों: मुख्यमंत्री की दौड़ में रहे ओबीसी वर्ग के कद्दावर नेता. मंत्रिमंडल में जगह देकर उनकी नाराजगी दूर की जा सकती है.
अमितेष शुक्ल
क्यों: अनुभवी नेता हैं. जोगी सरकार में मंत्री रह चुके हैं. शुक्ल परिवार के सदस्य. इस बार 58 हजार से ज्यादा वोट से चुनाव जीते. पार्टी आलाकमान से बेहतर संबंध हैं.
मोहम्मद अकबर
क्यों: पार्टी का अल्पसंख्यक चेहरा व अनुभवी विधायक हैं. डॉ. रमन सिंह के गृहनगर यानी कवर्धा से सर्वाधिक वोटों के अंतर से चुनाव जीतने का रिकॉर्ड बनाया. इनकी दावेदारी भी मजबूत है.
विकास उपाध्याय
क्यों: प्रदेश के कद्दावर मंत्री राजेश मूणत को हराकर चुनाव जीता. युवा चेहरा होने के साथ ही संगठन में सक्रिय रहे हैं.
देवेन्द्र यादव
क्यों: प्रदेश के कद्दावर नेता प्रेमप्रकाश पांडेय को हराया. भिलाई नगर से विधायक हैं, जिसे मिनी इंडिया कहा जाता है. पार्टी के युवा चेहरा हैं.