विरोध की आग में जल रहा फ्रांस, सांसत में फंसी मैक्रों सरकार  

विरोध की आग में जल रहा फ्रांस, सांसत में फंसी मैक्रों सरकार  

 
पेरिस

पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण फ्रांस की मैक्रों सरकार सांसत में है। पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर फ्रांस में हिंसक प्रदर्शन का दौर जारी है। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प में 110 से ज्‍यादा लोग घायल हुए हैं। इस सिलसिले में 400से ज्‍यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है। इस प्रदर्शन में तीन लोगों की मौत हो गई है। इस बीच फ़्रांस के निजी एंबुलेंस ड्राइवर भी सरकार विरोधी प्रदर्शनों में शामिल हो गए हैं और उन्होंने संसद के पास के मुख्य चौराहे को ब्लॉक कर दिया । देश के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने हालत को संभालने और उसका स्थाई हल निकालने के लिए आपातकालीन बैठकें की हैं। प्रदर्शन कर रहे लोग ऊंचे ईंधन कर और बढ़ती क़ीमतों का विरोध कर रहे हैं। इस बीच फ़्रांस के क़ानून मंत्री ने कहा है कि हिंसा फैलाने वाले लोगों से क़ानून सख़्ती से निपटेगा। 
 आइए जानते हैं 16 महीने पहले बनी इमैनुएल मैक्रों की सरकार में कैसे हैं  राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक हालात और क्यों गिर रही हैं राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की साख?दरअसल, फ्रांस की जनता के इस आक्रोश के पीछे चुनाव के दौरान राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का वह वादा है, जिसमें उन्‍होंने जनता को देश मेें आर्थिक वृद्धि का सुनहरा सपना दिखाया था। उन्‍होंने कहा था कि युवाओं को रोजगार के अवसर मुहैया कराए जाएंगे। वहां की जनता ने उन पर भरोसा किया और वह देश के राष्‍ट्रपति बनें।
 मैक्रों की सबसे ज्‍यादा किरकिरी उनकी सुरक्षा में तैनात एलेक्ज़ेंड्रे बैनेला मामले में हुई। इस साल जुलाई में मैक्रों के 26 वर्षीय सुरक्षाकर्मी बैनेला का एक वीडियो सामने आया था, इसमें वह एक प्रदर्शनकारी को निर्मम तरीके से पीटते हुए नज़र आ रहे थे। इस घटना को लेकर देश में तमाम आलोचनाएं हुईं, लेकिन एलेक्ज़ेंड्रे को फ़्रांस सरकार ने पद से हटाया। इसके बाद से ही सरकार पर सवाल उठने लगे कि आख़िर सब कुछ जानते हुए भी मैक्रों ने क्यों एलेक्ज़ेंड्रे बैनेला को बचाने की कोशिश की? इस घटना के बाद फ़्रांस के लोगों को ये लगा कि कुछ कुलीन लोगों के लिए सरकार के अलग नियम हैं और बाक़ी देश के लिए अलग नियम लागू किया जा रहा है।कई बार कैमरे पर अति उत्‍साह के कारण मैक्रों अपने देश के नागरिकों के लिए अपमानजनक टिप्पणी कर चुके हैं। हाल में उन्होंने बाग़ान के मालियों के लिए कहा था कि माली जो काम ना मिलने की शिकायत करते हैं, उन्हें अन्य व्यवसाय की ओर रुख़ करना चाहिए। वे खाना परोसने का काम सीख सकते हैं। बता दें कि यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था फ्रांस में आर्थिक मंदी के कारण नौकरियों का सृजन बहुत कम हुआ है, जिसकी वजह से अक्टूबर में बेरोजगारों की संख्या में 1.2 प्रतिशत वृद्धि हुई।
 

फ्रांस के श्रम मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले महीने फ्रांस में 34,400 बेरोजगारों की संख्या दर्ज की गई, जिससे देश में नौकरी की तलाश करने वालों की संख्या बढ़कर 28 लाख 10 हजार हो गई है। यदि प्रवासी विभाग और कर्मचारियों को भी जोड़ लिया जाए तो इस वक्त बेरोजगारों की संख्या 44 लाख 50 हजार है। सालाना आधार पर देखा जाए तो बेरोजगारों की संख्या में 4.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

 यहां के कई सर्वेक्षण एजेंसियों का दावा है कि मैक्रों की लोकप्रियता सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुकी है। ओपिनियन-वे के मुताबिक फ़्रांस की केवल 28 फ़ीसद जनता मैक्रों के कामकाज से संतुष्ट हैं। छह माह पूर्व यानी जुलाई में यह आंकड़ा 35 फीसद था। मैक्रों की लोकप्रियता पूर्व राष्ट्रपति फ़्रास्वां ओलांद और निकोलस सरकोज़ी से भी कम है। अगर सर्वेक्षण पर भरोसा करें तो मैक्रों की लोकप्रियता निरंतर घट रही है। हालांकि, इमैनुएल मैक्रों के कार्यकाल के अभी साढ़े तीन साल शेष है। उनके पास अभी देश की आर्थिक व्‍यवस्‍था को सुधारने के लिए पर्याप्‍त समय बचा है। ऐसे में यह उम्‍मीद की जा रही है वह देश की आर्थिक स्थिति को बेहतर कर सकते हैं।