17 को 'रविपुष्यामृत योग', सब कुछ अनुकूल करने का संयोग

17 को 'रविपुष्यामृत योग', सब कुछ अनुकूल करने का संयोग
पंडित शरद द्विवेदी वैदिक ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्र हैं। इनमें 8वें स्थान पर पुष्य नक्षत्र आता है, जो बेहद ही शुभ एवं कल्याणकारी नक्षत्र है, इसलिए इसे नक्षत्रों का सम्राट भी कहा जाता है। रविवार के साथ पुष्य नक्षत्र का संयोग " रविपुष्यामृत योग " कहलाता है । यह योग मंत्रसिद्धि और औषधि - प्रयोग के लिए विशेष फलदायी है । रविपुष्यामृत योग रविवार (17 मार्च 2019 ) को हैं। रविपुष्यामृत योग सूर्योदय से रात 08:45 तक रहेगा। ‘शिव पुराण’ में पुष्य नक्षत्र को भगवान शिव की विभूति बताया गया है। पुष्य नक्षत्र के प्रभाव से अनिष्ट-से-अनिष्टकर दोष भी समाप्त और निष्फल-से हो जाते हैं, वे हमारे लिए पुष्य नक्षत्र के पूरक बनकर अनुकूल फलदायी हो जाते हैं। इस योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है परंतु पुष्य में विवाह व उससे संबधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित हैं। इस योग में ग्रहों की सभी बुरी दशाएँ अनुकूल हो जाती हैं, जिसका परिणाम सदैव आपके लिए शुभकारी होता है। इस योग में सोने के आभूषण, प्रॉपर्टी और वाहन आदि की खरीददारी करना लाभदायक होता है। रवि पुष्य योग में नए व्यापार और व्यवसाय की शुरुआत करना भी श्रेष्ठ बताया जाता है।