जल्द ही बिक जाएंगी 6 और सरकारी कंपनियां, सरकार ने दी हरी झंडी
नई दिल्ली, मोदी सरकार की इस वित्त वर्ष में 6 और सरकारी कंपनियों को बेचने की योजना है। इनमें बीपीसीएल के अलावा बीईएमएल, शिपिंग कॉर्प, पवन हंस, सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक और नीलांचल इस्पात शामिल हैं। बीपीसीएल के निजीकरण की प्रक्रिया चल रही है। साथ ही BEML, Shipping Corp, Pawan Hans, Central Electronic और Neelanchal Ispat की फाइनेंशिल बिडिंग दिसंबर-जनवरी में हो सकती है। इनके निजीकरण की प्रक्रिया भी इसी वित्त वर्ष में पूरा होने की संभावना है।
जल्द ही आ सकता है एलआईसी का आईपीओ
निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांता पांडेय ने हाल में यह बात कही थी। इसके साथ ही देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी के बहुप्रतीक्षित आईपीओ का इंतजार भी अब खत्म होने वाला है। कंपनी का आईपीओ मौजूदा वित्त वर्ष की चौथी तिमाही यानी जनवरी से मार्च के बीच बाजार में दस्तक दे सकता है। सरकार एलआईसी में 10 फीसदी तक हिस्सेदारी बेचने जा रही है। इससे उसे 10 लाख करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है।
दुनिया का सबसे बड़ा आईपीओ जल्द
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल के बजट भाषण में एलआईसी में हिस्सेदारी बेचने की घोषणा की थी लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसकी प्रक्रिया प्रभावित हुई। अगर सरकार एलआईसी में 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचती है तो यह देश का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ होगा। 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचने पर यह दुनिया में किसी बीमा कंपनी का दूसरा सबसे बड़ा आईपीओ होगा।
बीपीसीएल में 52.98% हिस्सेदारी बेच रही
सरकार साथ ही बीपीसीएल में 52.98% हिस्सेदारी बेच रही है। इसके लिए सरकार को तीन कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है। इसमें वेदांता ने 59 हजार करोड रुपये की बोली लगाई है। इसके अलावा Apollo Global Management और I Squared Capital ने भी इसमें दिलचस्पी दिखाई है। लेकिन उन्हें इसके लिए ग्लोबल पार्टनर खोजने में दिक्कत हो रही है। सरकार ने हाल में एयर इंडिया को टाटा ग्रुप को बेचने का फैसला किया था।
हिंदुस्तान जिंक में हिस्सेदारी बिक्री को हरी झंडी
साथ ही सरकार को हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (एचजेडएल) में अपनी बाकी हिस्सेदारी बेचने के लिए भी हरी झंडी मिल गई है। केंद्र ने सबसे पहले 1991-92 में हिंदुस्तान जिंक में 24.08 फीसदी हिस्सेदारी बेची थी। अप्रैल 2002 में वाजपेयी सरकार ने कंपनी में 26 फीसदी हिस्सेदारी 445 करोड़ रुपये में स्टलाइट को बेच दी थी। कंपनी ने फिर हिंदुस्तान जिंक में अपनी 64.92 फीसदी पहुंचा दी। 2012 में केंद्र सरकार ने कंपनी में अपनी 29.54 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया था। लेकिन 2002 के सौदे में वित्तीय अनियमितताओं के कारण सुप्रीम कोर्ट ने इस पर पाबंदी लगा दी थी।
वित्त वर्ष में 1.75 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य
सरकार ने पिछले साल दिसंबर में हेलीकॉप्टर कंपनी पवन hans को बेचने की प्रोसेस को नए सिरे से शुरू किया था। इसमें सरकार की 51 फीसदी और ओएनजीसी की 49 फीसदी हिस्सेदारी है। इससे पहले भी सरकार कई बार इसे बेचने की कोशिश कर चुकी है लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। केंद्र सरकार ने इस वित्त वर्ष में 1.75 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य रखा है। अब तक सरकार ने पीएसयू में अल्पांश हिस्सेदारी और एक्सिस बैंक में SUUTI स्टेक बेचकर 9,330 करोड़ रुपये जुटाए हैं।