बीमारी के खतरे से बचने के लिए 6 से 8 घंटे की नींद जरूरी

बीमारी के खतरे से बचने के लिए 6 से 8 घंटे की नींद जरूरी
हमारी युवा पीढ़ी में ऐसे लोगों की संख्या बहुत सीमित है, जिनके लिए पर्याप्त नहीं लेना अच्छी सेहत के लिए जरूरी चीजों में शामिल होता है। नहीं तो ज्यादातर युवा 7 से 8 घंटे की जरूरी नींद भी नहीं लेते हैं। वहीं, कुछ ऐसे हैं जो सिर्फ आलस के चलते बेड पर पड़े रहते हैं। लेकिन यह स्थिति नींद पूरी करने में किसी भी तरह सहायक नहीं होती है। इसके साथ ही उन युवाओं की भी बड़ी फौज है, जो घंटों लैपटॉप, कंप्यूटर, मोबाइल और टीवी के साथ व्यस्त रहते हैं। इस कारण उनके ब्रेन को सही समय पर नींद के सिग्नल नहीं मिल पाते हैं। साथ ही उनके ब्रेन में हॉर्मोनल डिसबैलंस हो जाता है। जो इंसोमनिया (अनिद्रा) की वजह बन जाती है। नींद पूरी ना होने पर होती हैं ये समस्याएं -जो लोग नींद को लेकर बहुत अधिक लापरवाही दिखाते हैं और कभी पूरी नींद नहीं लेते हैं। उन्हें अक्सर शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इनमें थकान - तनाव - उलझन बनी रहना - मूड खराब रहना - अनिर्णय की स्थितियों का सामना करना -आत्मविश्वास की कमी होना जैसी मानसिक और भावनात्मक समस्याएं भी शामिल हैं। -ऐसा नहीं है कि नींद पूरी ना होने पर केवल लाइफस्टाइल से जुड़ी समस्याओं और बीमारियों का सामना करना पड़ता है। बल्कि नींद की कमी के चलते कई जानलेवा बीमारियां भी हो सकती हैं। इनमें हार्ट अटैक यानी दिल का दौरा पड़ना, बीपी की समस्या, ब्रेन हैमरेज आदि शामिल हैं। -नींद पूरी ना होने का हमारे शरीर पर बहुत बुरा असर पड़ता है। आमतौर पर इस कारण सबसे पहला शिकार हमारा हार्ट बनता है। क्योंकि नींद पूरी ना होने पर शरीर में हर समय थकान बनी रहती है। इस कारण रक्त का प्रवाह बाधित होता है और इसका असर हार्ट की पंपिंग पर पड़ता है। -जिन लोगों को स्मोकिंग करने की आदत होती है, वे भी अनिद्रा की समस्या से जूझते हैं। -बहुत अधिक मात्रा में चाय-कॉफी यानी कैफीन का सेवन करनेवाले लोग भी नींद की कमी से जूझते हैं। -नाइट शिफ्ट में काम करनेवाले ज्यादातर लोगों की बायॉलजिकल क्लॉक डिस्टर्ब हो जाती है, इस कारण वे भी नींद की कमी की समस्या से जूझते हैं। -इसके साथ ही बिस्तर पर लेटकर घंटों तक मोबाइल का उपयोग करनेवाले लोगों का ब्रेन भी नींद के लिए जरूरी मेलाटॉनिन हॉर्मोन का उत्पादन सही मात्रा में नहीं कर पाता है। -स्वस्थ जीवन जीने के लिए स्वस्थ लाइफस्टाइल को अपनाना बहुत जरूरी है। आजकल 35 साल से कम उम्र के युवओं में हार्ट अटैक की समस्या देखने को मिलने लगी है, जो एक चिंता का विषय है। यदि आप चाहते हैं कि आप या आपका कोई प्रियजन कम उम्र में इस जानलेवा अनुभव से ना गुजरे तो बेहतर होगा कि पूरा परिवार एक ऐक्टिव और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाए।