जन्मतिथि का प्रमाण नहीं है आधार कार्ड, जानिए क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने

जन्मतिथि का प्रमाण नहीं है आधार कार्ड, जानिए क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दुर्घटना के एक मामले में सुनवाई करते हुए जन्मतिथि के प्रमाण मानने को लेकर आधार कार्ड पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उम्र साबित करने के लिए आधार कार्ड वैलिड दस्तावेज नहीं है। जस्टिस संजय करोल और उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि आधार कार्ड पहचान स्थापित की जा सकती है, लेकिन इसे जन्मतिथि का प्रमाण नहीं माना जाता है।

रदद किया पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का आदेश

कोर्ट ने गुरुवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें मुआवजा देने के लिए सड़क दुर्घटना में जान गंवाने वाले व्यक्ति की आयु निर्धारित करने के लिए आधार कार्ड को प्रमाण के रूप में स्वीकार कर लिया गया था।

कोर्ट ने स्कूल सर्टिफिकेट को दी प्राथमिकता

फैसले में न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि मृतक की उम्र किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 94 के तहत विद्यालय परित्याग प्रमाणपत्र में उल्लिखित जन्मतिथि से निर्धारित की जानी चाहिए। 

पहचान स्थापित करने के लिए आाधार मान्य

पीठ ने कहा, "हमने पाया कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने अपने परिपत्र संख्या 8/2023 के माध्यम से, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा 20 दिसंबर, 2018 को जारी एक कार्यालय ज्ञापन के संदर्भ में कहा है कि एक आधार कार्ड पहचान स्थापित करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन यह जन्मतिथि का प्रमाण नहीं है।" 

अदालत ने दावेदार-अपीलकर्ताओं के तर्क को स्वीकार किया

शीर्ष अदालत ने दावेदार-अपीलकर्ताओं के तर्क को स्वीकार कर लिया और मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) के फैसले को बरकरार रखा, जिसने मृतक की उम्र की गणना उसके विद्यालय परित्याग प्रमाणपत्र के आधार पर की थी।

आधार कार्ड और स्कूल सर्टिफिकेट के उम्र में अंतर

हाईकोर्ट ने आधार कार्ड को प्रमाण माना और मौत के समय मृतक की उम्र 47 वर्ष आंकी थी। मृतक के परिजनों ने दलील दी कि हाईकोर्ट ने आधार कार्ड के आधार पर मृतक की उम्र निर्धारित करने में गलती की है, उन्होंने कहा कि स्कूल छोडने के प्रमाणपत्र के अनुसार मृत्यु के समय मृतक की उम्र 45 वर्ष थी।

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