भाजपा के विधानसभा चुनाव जीतने वाले सांसद-मंत्रियों ने दिया इस्तीफा, हारे सांसदों का क्या होगा?

भाजपा के विधानसभा चुनाव जीतने वाले सांसद-मंत्रियों ने दिया इस्तीफा, हारे सांसदों का क्या होगा?

नई दिल्ली,  हाल में संपन्न चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने वाले बीजेपी के सभी सांसदों ने इस्तीफा दे दिया है। पार्टी ने इन सांसदों और मंत्रियों को विधानसभा चुनाव में टिकट दिया था। बीजेपी ने कुल 21 सांसदों को चुनाव मैदान में उतारा था। इसमें मध्य प्रदेश के पांच सांसद हैं। वहीं, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के सांसदों ने भी इस्तीफा दिया है। इनके इस्तीफा देते ही इन प्रदेशों की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। साथ ही इनके भविष्य को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं कि इनका क्या होगा। साथ ही पार्टी ने इन्हें भविष्य में क्या जिम्मेदारी देगी।

चुनावी मैदान में उतरे थे मध्य प्रदेश के ये सांसद और केंद्रीय मंत्री

बीजेपी ने राजस्थान और मध्य प्रदेश में 7-7, छत्तीसगढ़ में 4 और तेलंगाना में 3 सांसदों को विधानसभा का चुनाव लड़ाया। मध्य प्रदेश में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते, सांसद राकेश सिंह, गणेश सिंह, रीति पाठक और राव उदय प्रताप सिंह को चुनावी मैदान में उतारा गया था। इनमें तोमर, पटेल, राकेश सिंह, रीति पाठक और राव उदय प्रताप सिंह चुनाव जीत गए। कुलस्ते और गणेश सिंह चुनाव हार गए हैं।

राजस्थान में इन सांसदों ने जीता चुनाव

वहीं, राजस्थान में राज्यवर्धन सिंह राठौड़, दीया कुमारी, बाबा बालकनाथ, देव जी पटेल, नरेंद्र कुमार और भागीरथ चौधरी चुनाव में उतरे थे। राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा को भी चुनावी मैदान में उतारा गया था। इनमें राठौड़, दीया कुमारी, बाबा बालकनाथ और मीणा चुनाव जी गए।

छत्तीसगढ़ में सांसदों को दिया गया था टिकट

छत्तीसगढ़ में केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह, गोमती साय, अरुण साव और विजय बघेल ने चुनाव लड़ा। इनमें विजय बघेल चुनाव हार गए। वहीं, तेलंगाना में बीजेपी ने बंडी संजय, अरविंद धर्मपुरी और सोयम बापूराव को चुनाव मैदान में उतारा। ये तीनों चुनाव हार गए।

हार गए सांसदों का क्या होगा?

एक सवाल उन सांसदों के बारे में है, जो चुनाव हार गए हैं। इनमें केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते भी हैं। जाहिर है कि इन 9 सांसदों की सांसदी तो बरकरार है। लेकिन साख पर बट्टा लग गया है। एक सांसद के नीचे औसतन पांच से छह विधायक होते हैं। अब जो सांसद विधायक नहीं बन पाया, क्या वो दोबारा सांसद बनेगा। क्या पार्टी दोबारा लोकसभा का टिकट देगी? इसके जवाब के लिए इंतजार करना होगा।

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