भाजपा राज में हो रही आदिवासियों की नृशंस हत्याएं - भाजपा मना रही उत्सव - कांग्रेस

भाजपा राज में हो रही आदिवासियों की नृशंस हत्याएं - भाजपा मना रही उत्सव - कांग्रेस
खोखले हैं विकास के दावे-पुरानी घोषणाएं अब तक अधूरी
प्रेस कांफ्रेंस कर कांग्रेस विधायकों ने भाजपा और प्रदेश सरकार पर बोला हमला
मण्डला - मप्र की भाजपा सरकार के 17 वर्षों के कार्यकाल में प्रदेश के आदिवासियों का शोषण और उनपर अत्याचार चरम पर पहुंच गया है। 17 साल में भाजपा अब आदिवासियों की हत्याएं करवाने तक के स्तर में पहुंच चुकी है और हत्याओं पर संवेदना जताने की जगह उत्सव मनाया जा रहा है। यह कहना है जिले के बिछिया विधायक नारायण सिंह पट्टा व निवास विधायक डॉ अशोक मर्सकोले का। गुरुवार को जिला कांग्रेस कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में विधायक द्वय ने सिवनी के कुरई थाना अंतर्गत बजरंग दल कार्यकर्ताओं द्वारा की गई दो आदिवासी नागरिकों की नृशंश हत्या के मुद्दे को लेकर आक्रामकता के साथ अपनी बात रखी और कहा कि भाजपा के राज में हमारा आदिवासी समाज असुरक्षित हो गया है, भाजपा के समर्थित संरक्षित और पोषित लोगों के द्वारा लगातार हमारे आदिवासी समाज के नागरिकों के साथ हिंसा की घटनाएं कारित की जा रही हैं। नेमावर के सामूहिक हत्याकांड की विभीषिका अभी ठंडी भी नहीं हुई है और अब कुरई में भाजपा समर्थित लोगों ने हमारे आदिवासी नागरिकों को पीट पीटकर मौत के घाट उतार डाला। पूरे प्रदेश में हर रोज आदिवासियों के विरुद्ध हिंसा शोषण और अत्याचार की घटनाएं हो रही हैं। यह बात हम ही नहीं कह रहे बल्कि नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो के आंकड़े इस बात को प्रमाणित करते हैं। आदिवासियों के विरुद्ध हिंसा अत्याचार के मामले में मप्र देश में पहले नंबर पर है। पूरे प्रदेश का आदिवासी समाज कुरई की घटना से आक्रोशित है और अब सड़कों पर उतरकर भाजपा सरकार से आर पार की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हो चुका है। हिंसा और हत्या की घटनाओं से हम आदिवासियों को डराने की नाकाम कोशिश की जा रही है लेकिन इन्हें ये याद रखना चाहिए कि हम आदिवासी लोग भगवान बिरसा मुंडा, क्रांतिकारी टंट्या भील, अमर शहीद राजा शंकर शाह रघुनाथ शाह, वीरांगना रानी दुर्गावती के वंशज हैं। हम न तो डरते हैं और न ही झुकते हैं हम लड़ते हैं जीतते हैं। कुरई में हुई हत्याओं के लिए पीड़ित परिजनों को 8 लाख रुपये का नाममात्र का मुआवजा दिया गया है और दैनिक वेतन भोगी की नौकरी देकर मदद देने की नौटंकी की जा रही है। इसमें भी भाजपा का आदिवासियों के प्रति हलकापन दिखाई देता है। हमने मांग रखी है कि मुआवजा 1 करोड़ रुपये दिया जाए और मृतकों के परिजनों को नियमित शासकीय नौकरी दी जाए।
गोंड़कालीन विरासतें अब भी असुरक्षित-पुरानी घोषणाएं अधूरी, फिर कैसा आदि उत्सव -
गोंड़कालीन विरासत को खुद में समेटे हुए हमारे मण्डला जिले में सभी गोंड़कालीन विरासतें अब भी असुरक्षित हैं। जिस मोतीमहल के सामने 2015 से आदि उत्सव किया जा रहा है 2018 से उसी मोतीमहल को संरक्षित श्रेणी से बाहर कर दिया गया है। सारे महल बाबलियाँ जर्जर होकर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। इन इमारतों में असामाजिक तत्व घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। वर्ष 2015 से लगातार हुए आदि उत्सवों में भाजपा के केंद्रीय मंत्रियों सहित प्रदेश के मुख्यमंत्री व मंत्रियों ने अनेक घोषणाएं की लेकिन एक भी घोषणा आजतक पूरी नहीं हो सकी। जिसमें ग्राम चौगान में 4 करोड़ की लागत से जनजातीय संग्रहालय का निर्माण, आदिवासी सामुदायिक भवन का निर्माण, रामनगर से काला पहाड़ तक 1 करोड़ 22 लाख की लागत से सड़क निर्माण, 65 लाख रुपये की लागत से पेयजल व्यवस्था का कार्य, ग्राम रामनगर को केंद्र बनाकर गोंडी टूरिज्म सर्किल का निर्माण, अमर शहीद राजा शंकर शाह कुंवर रघुनाथ शाह के नाम पर कल्याणकारी योजना का शुरू किया जाना शामिल है। इन घोषणाओं के अलावा 22 नवंबर 2021 को ग्राम रामनगर में मुख्यमंत्री द्वारा आवास निर्माण में फ्री रेत प्रदाय की घोषणा भी सिर्फ धोखा ही बनकर रह गई। जिस आदिवासी उपयोजना मद से आदिवासी क्षेत्रों का विकास होता है तीन साल से उस आदिवासी उपयोजना मद की राशि केंद्र सरकार द्वारा नहीं दी गई है, आदिवासियों के विकास का ढिंढोरा पीटा जा रहा है लेकिन वास्तव में विकास में नाम पर आदिवासियों को सिर्फ धोखा मिला है। आदिवासियों के नाम पर बड़े बड़े आयोजन और इवेंट्स करके भाजपा खुद को आदिवासियों का हितैषी बताना चाहती है लेकिन इनका आदिवासी प्रेम सिर्फ इवेंट्स तक सीमित है। कुरई में आदिवासियों की नृशंश हत्या हो जाती है और केंद्रीय मंत्री कुलस्ते सिवनी जाकर भी पीड़ितों के घर तक नहीं जाते, संवेदना के दो शब्द तक नहीं जताते, जबकि वे खुद इसी समाज से आते हैं। शायद उनके संगठन ने उन्हें ऐसा करने से रोका होगा। किसी की मौत हो जाये और उत्सव मनाया जाए यह शायद भाजपा राज में ही संभव है। हम इस आयोजन का विरोध शुरुआत से ही करते आ रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे।