सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हो गया चंद्रयान 3, चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ 23 अगस्त को  

सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हो गया चंद्रयान 3, चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ 23 अगस्त को  

नई दिल्ली, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मिशन चंद्रयान-3 के लिए आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। दरअसल, इस यान ने चार अगस्त को दो-तिहाई दूरी पूरी कर ली। वहीं, एक दिन बाद इसका चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्व प्रवेश हो गया है।  चंद्रमा की कक्षा में चंद्रयान-3 पहुंच गया है। यह काफी अहम पड़ाव था। चंद्रयान-3 ने 22 दिन के सफर के बाद आज शाम करीब 7:15 बजे चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया। चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हो गया है। अब 6 अगस्त 2023 को रात करीब 11 बजे चंद्रयान की ऑर्बिट को कम किया जाएगा।' लैंडिंग से पहले चंद्रयान अब 4 बार अपनी ऑर्बिट बदलेगा।
इससे पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने शुक्रवार को कहा कि चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान ने 14 जुलाई को लॉन्चिग के बाद से चंद्रमा की लगभग दो-तिहाई दूरी तय कर ली है। चंद्रयान-3 को लॉन्च किए जाने के बाद से उसे कक्षा में ऊपर उठाने की प्रक्रिया को पांच बार सफलतापूर्वक पूरा किया गया है।

एक अगस्त को ‘ट्रांसलूनर कक्षा’ में डाल दिया गया
एक अगस्त को अंतिरक्ष यान को पृथ्वी की कक्षा से ऊपर उठाकर चंद्रमा की ओर बढ़ाने की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा किया गया और यान को ‘ट्रांसलूनर कक्षा’ में डाल दिया गया।

23 अगस्त को चंद्रयान-3 की चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराने की कोशिश करेगा
ISRO ने कहा था कि अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की कक्षा में स्थापित करने की प्रक्रिया पांच अगस्त को शाम करीब 7 बजे के लिए निर्धारित है। इसरो ने कहा कि यह प्रयास तब किया जाएगा जब चंद्रयान-3 चंद्रमा के सबसे पास होगा। इससे पहले, उसने कहा था कि वह 23 अगस्त को चंद्रयान-3 की चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराने की कोशिश करेगा।

कैसे करेगा पृथ्वी की ओर वापसी?
पृथ्वी की ओर चंद्रयान-3 की वापसी यात्रा दोनों खगोलीय पिंडों के गुरुत्वाकर्षण बलों से प्रभावित होगी। अगर अंतरिक्ष यान चंद्रमा की सतह के बहुत करीब परिक्रमा करता है, तो चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल इसके दुर्घटनाग्रस्त होने का कारण बन सकता है। अगर यह सैटेलाइट चंद्रमा से बहुत दूर हुई तो पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल इसको खींच लेगा और इसे चंद्रमा से बेहद दूर फेंक देगा। पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के बिना, सैटेलाइट अंतरिक्ष में तैरती रहेगी।

37,200 किमी प्रति घंटे की रफ्तार
चंद्रयान अभी करीब 37,200 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चांद की ओर बढ़ रहा है। चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने के बाद यह उसकी सतह से लगभग 40 हजार किलोमीटर दूर रह जाएगा। अंतरिक्ष एजेंसी पूर्व में बता चुकी है कि भारत के तीसरे चंद्र मिशन की स्थिति पूरी तरह सामान्य है और 23 अगस्त को चांद की सतह पर इसकी सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया जाएगा।

चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बनेगा भारत
चंद्रयान-3 की अगर चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग होती है तो भारत अमेरिका, चीन और रूस के बाद इस क्षमता को हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा। लैंडिंग पर यह यान एक चंद्र दिवस के लिए काम करेगा, जो कि पृथ्वी पर 14 दिनों के बराबर होता है। 

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