आपातकाल भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में काली रात: मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा
मुख्यमंत्री ने लोकतंत्र सेनानियों का व्यक्तिगत रूप से किया सम्मान
राजस्थान लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि अधिनियम लेकर आएगी राज्य सरकार
जयपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में आपातकाल एक काली रात के रूप में जाना जाता है। 25 जून, 1975 को तत्कालीन सरकार ने देश में आपातकाल लगाकर लोकतंत्र का दम घोट दिया था। ये आपातकाल 21 माह तक चला और भारतीय लोकतंत्र पर कभी न मिटने वाला धब्बा छोड़कर चला गया।
शर्मा मंगलवार को मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित मीसा बंदी लोकतंत्र सेनानी सम्मान समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र के उस कठिन दौर में लोकतंत्र सेनानियों ने अपने अदम्य साहस और संघर्ष के साथ लोकतंत्र की ज्योति को प्रज्वलित रखा। इन महान विभूतियों ने निरंकुश सत्ता के विरूद्ध संघर्ष किया, जेल की यातनाएं सही, प्रताड़नाओं का सामना किया, मगर अपना सिर नहीं झुकाया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपातकाल के दौरान नागरिकों के मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए। प्रेस पर सेंसरशिप लागू की गई, राजनीतिक विरोधियों को बिना मुकदमे के जेल में डाल दिया गया और कई प्रकार की नागरिक स्वतंत्रताएं प्रतिबंधित कर दी गई। शर्मा ने कहा कि विरोध प्रदर्शनों को भी बल पूर्वक दबाया गया। लाठी चार्ज, गिरफ्तारियां और यातनाएं देने जैसे काम किए गए। मगर लोकतंत्र के रखवालों ने अपने संघर्ष को जारी रखा।
मुख्यमंत्री ने दिखाई सहृदयता
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सहृदयता और संवेदनशीलता से यह समारोह यादगार बन गया। शर्मा ने जब देखा कि प्रत्येक लोकतंत्र सेनानी अपना सम्मान उनके ही हाथों से करवाना चाहते हैं, तो उन्होंने सहृदयता और संवेदनशीलता का परिचय देते हुए सभी को व्यक्तिगत रूप से सम्मानित किया। करीब 5 घण्टे तक लगातार मंच पर खड़े रहकर उन्होंने सभी सेनानियों को शॉल ओढ़ाकर एवं स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। इस दौरान कई भावुक क्षण भी आए, जब मुख्यमंत्री ने बुजुर्ग लोकतंत्र सेनानियों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया तथा व्हील चेयर पर आए लोकतंत्र सेनानियों को मंच से उतरकर सम्मानित किया। शर्मा की इस संवेदनशीलता को देखकर समारोह में आए सभी लोकतंत्र सेनानी गदगद हो उठे।
लोकतंत्र सेनानियों के प्रति संवेदनशील राज्य सरकार
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र और लोकतंत्र सेनानियों के प्रति संवेदनशील राज्य सरकार ने पूर्ववर्ती सरकार द्वारा बंद की गई राजस्थान लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि-2008 को बहाल कर दिया है। लोकतंत्र सेनानियों को अब 20 हजार रुपये मासिक पेंशन और 4 हजार रुपये की मासिक चिकित्सा सहायता उपलब्ध करवाई जा रही है। यही नहीं, सरकार यह भी सुनिश्चित कर रही है कि लोकतंत्र सेनानियों को भविष्य में निर्बाध रूप से पेंशन मिलती रहे। इसके लिए सरकार राजस्थान लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि अधिनियम लेकर आ रही है।
शर्मा ने कहा कि लोकतंत्र सेनानियों का साहस और बलिदान देश के इतिहास में हमेंशा स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। लोकतंत्र के प्रति उनका समर्पण और त्याग आने वाली पीढ़ियों को हमेंशा प्रेरणा देता रहेगा।
इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा, जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री बाबूलाल खराड़ी, संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल, राज्य विधानसभा में सरकारी मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग, शिक्षा मंत्री मदन दिलावर, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत, गृह राज्यमंत्री जवाहर सिंह बेढ़म, उद्योग एवं वाणिज्य राज्य मंत्री कृष्ण कुमार के.के. विश्नोई, सांसद घनश्याम तिवाड़ी व राजेन्द्र गहलोत सहित जनप्रतिनिधि एवं राज्य के सभी जिलों से आए 1 हजार से अधिक लोकतंत्र सेनानी एवं उनके परिजन मौजूद रहे।