पेसा कानून उल्लंघन का मध्य प्रदेश में पहला मामला, HC ने सरकार समेत चार विभागों को जारी किया नोटिस

पेसा कानून उल्लंघन का मध्य प्रदेश में पहला मामला, HC ने सरकार समेत चार विभागों को जारी किया नोटिस

भोपाल। मध्य प्रदेश में पेसा कानून लागू हुए अभी एक साल भी नहीं हुआ है लेकिन उसके उल्लघन का मामला जरूर सामने आ गया है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीश रवि मलिमठ और विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने पेसा कानून उल्लंघन मामले में मध्य प्रदेश सरकार, माइनिंग विभाग, मंडला कलेक्टर और खनिज विभाग नोटिस जारी कर 4 हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है।

दरअसल अतिपिछड़ा वर्ग उत्थान समिति के अध्यक्ष संजय सेन द्वारा जनहित याचिका लगाईं गई है। याचिका में बताया गया है कि मध्य प्रदेश के मंडला समेत तमाम आदीवासी अधिसूचित जिलों में माईनिंग की नीलामी में पैसा कानून का उल्लंघन किया गया है, याचिका के माध्यम से हाई कोर्ट को बताया गया है कि, यहां पर बिना ग्राम पंचायत के परमिशन के ही माईनिंग का ऑप्शन किया गया है।

क्या कहता है पेसा कानून
आपको बता दे कि पेसा कानून के अधिनियम के तहत बिना ग्राम पंचायत की अनुमति के बगैर माईनिंग आक्शन नहीं किया जा सकता। याचिका में मध्य प्रदेश शासन तथा मंडला कलेक्टर पर आरोप लगाया गया है कि,भारत के संविधान की अनुसूची पांच में मंडला जिला ट्रायबल क्षेत्र में आता है। याचिका में कहा गया है कि, रेत खनन परिवहन भंडारण एवं व्यापार नियम 2019 के तहत परमिशन के लिए निविदाए आमंत्रित करके पेसा कानून के प्रावधानों के उलट और संबंधित ग्राम पंचायतों की अनुशंसा के बिना ही रेत खनन हेतु परमिशन जारी की गई है। अधिनियम 1996 की धारा 4 (के) (आई) के तहत आधिसूचित ट्रायबल  क्षेत्र में किसी भी प्रकार के खनिज के उत्खनन के पहले संबंधित ग्राम पंचायतों की अनुशंसा जरूरी है। मध्य प्रदेश गौण खनिज नियम 1996, के नियम 21(2) मे स्पष्ट प्रावधान है, की माइनिंग के लिए प्रथम वरीयता तथा प्राथमिकता अधिसूचित क्षेत्रो की जंनजातियों को दिया जाना आवश्यक है  लेकिन सभी नियम कानूनों को दर किनार करते हुए मध्य प्रदेश शासन तथा मंडला कलेक्टर द्वारा  अधिसूचित ट्रायबल मंडला जिला की समस्त रेत खदानों को रेत के बड़े ठेकेदारो/कंपनियाओ/माफियाओ को जारी कर दी गई है जो नियम के खिलाफ़ है।

राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने रखा पक्ष
सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश शासन की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह द्वारा कोर्ट में अपत्ति उठाई गई की, याचिका मे सम्बन्धित ठेकदारों को पक्षकार नहीं बनाया गया है जिसके बाद कोर्ट ने महाधिवक्ता की अपत्ति को खारिज करते हुए कहा ही कानून के खिलाफ़ अपनाई गई प्रक्रिया में लाभ प्राप्त करने वाले को पक्षकार बनाया जाना जरूरी नही है, कोर्ट ने कहा कि आपने पेसा कानून के प्रावधानों के अनुसार रेत की निविदा जारी की है या नहीं इसका जबाब दाखिल करे । याचिका कर्ता की ओर से पैरवी अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह तथा रूप सिंह मरावी ने की।

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