वन मंत्री ने 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस को बताया विवादास्पद
9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस को वन मंत्री विजय शाह ने बताया विवादास्पद
15 नवंबर बिरसा मुंडा की जयंती को जनजाति गौरव दिवस के रूप में मनायेगी प्रदेश सरकार
कांग्रेस विधायक डॉ. अशोक मर्सकोले ने किया वन मंत्री पर पलटवार
मध्य प्रदेश में आदिवासियों को साधने को लेकर एक बार फिर सियासत शुरू हो गई है। भाजपा सरकार ने कांग्रेस द्वारा शुरू की गई विश्व आदिवासी दिवस पर सार्वजनिक छुट्टी की जगह अब बिरसा मुंडा की जयंती पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है। इस दिन को मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार भोपाल में भव्य रूप से मनाएगी। इस कार्यक्रम में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी शिरकात करेंगे। इसे जनजातीय गौरव दिवस का नाम दिया गया है। मध्य प्रदेश सरकार के वन मंत्री विजय शाह ने 9 अगस्त को पूरी दुनिया में मनाये जाने वाले विश्व आदिवासी दिवस पर सवाल खड़ा करते हुए उसे विवादास्पद कह दिया। प्रदेश सरकार के वन मंत्री और भाजपा के बड़े आदिवासी नेता विजय शाह ने कहा कि 9 अगस्त की जो बात है, वह बड़ी कंट्रोवर्शियल है, ये दिन क्यों मना रहे हैं, क्या मना रहे हैं, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर क्या है ? मैं इसमें नहीं जाना चाहता। हम 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती को भव्यता साथ जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मना रहे है। 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस पर भी एक्छिक अवकाश है। लोग अपनी श्रद्धा के हिसाब से जो मनाना चाहते है मनाये, किसी को रोका नहीं गया है। 15 नवंबर को बिरसा मुंडा जयंती पर आदिवासी समाज को आगे लाने की चर्चा मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री करेंगे और उसके बाद आदिवासी समाज के विकास की नई कहानी सामने आएगी।
भाजपा को नहीं है आदिवासियत की समझ - डॉ. अशोक मर्सकोले
विश्व आदिवासी दिवस को विवादास्पद कहने पर मंडला जिले की निवास विधान सभा से कांग्रेस विधायक डॉ. अशोक मर्सकोले ने किया वन मंत्री पर पलटवार किया है। डॉ. अशोक मर्सकोले ने कहा कि ये आदिवासियत को समझते ही नहीं है। इन्होने पड़ा नहीं है समझा नहीं है। आदिवसियों के बारे में इनकी सोच कुछ नहीं है। आदिवासी वोट बैंक को साधने की कवायद हो रही है। ये नारों के माध्यम से केवल राजनीतिक मंच तलाश करने की जुगत है। विश्व आदिवासी दिवस को संयुक्त राष्ट्र संघ ने घोषित किया है। काफी चिंतन मनन के बाद इसकी घोषणा हुई है। पूरा विश्व भव्यात से मनाते आये है। यह कैसे गलत हो। भाजपा कैसे नकार सकती है। इस दिन आदिवासी एकत्र होकर चिंतन मनन करते है।