मंगलयान-2: लाल ग्रह के रहस्यों का पता लगाने अपना हेलीकॉप्टर भेजेगा भारत 

मंगलयान-2: लाल ग्रह के रहस्यों का पता लगाने अपना हेलीकॉप्टर भेजेगा भारत 

नई दिल्ली, भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो सफलता पूर्वक मिशन मंगलयान को पूरा कर चुका है। मंगलयान की सफलता के बाद इसरो अब मंगल ग्रह पर वापसी करने की तैयारी कर रहा है। मंगलयान-2 मिशन के जरिए इसरो ने मंगल ग्रह की ऑर्बिट की स्टडी की थी। वहीं मंगल ग्रह के अगले मिशन से इसरो लाल ग्रह के और भी रहस्यों के बारे में पता लगाएगा। इसरो के इस मिशन का लक्ष्य मंगल की सतह पर एक रोवर और हेलीकॉप्टर उतारना है। इस मिशन के मॉडल को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के अवसर पर स्पेस ऐप्लीकेशन सेंटर पर दिखाया गया। यदि मिशन सफल हुआ तो भारत अमेरिका और चीन के बाद मंगलग्रह पर यान उतारने वाला तीसरा देश बन जाएगा ।

'आकाश क्रेन' की मदद से उतरेगा रोवर

मिशन मंगलयान-2 के तहत इसरो का रोवर एक नए तरीके से मंगल की सतह पर उतरेगा। पुराने तरीकों की बजाय इसरो एक खास क्रेन 'आकाश क्रेन' की मदद से रोवर को धीरे से मंगल की सतर पर उतारा जाएगा। ये अत्याधुनिक आकाश क्रेन टेक्नलॉजी ये सुनिश्चित करेगी कि सतह कितनी ही ऊबड़-खाबड़ क्यों न हो रोवर सुरक्षित और सही जगह पर उतरे। यह अत्याधुनिक तकनीक आने वाले बीस सालों में मंगल ग्रह पर मनुष्य को उतारने के लिए भी इस्तेमाल की जा सकती है।

मिशन के लिए बन रहा सुपरसोनिक पैराशूट

इस मिशन के लिए एक सुपरसोनिक पैराशूट भी बनाया जा रहा है। क्योंकि मंगल ग्रह पर सामान्य पैराशूट काम नहीं करता है, लेकिन यह सुपरसोनिक पैराशूट बहुत ही तेज गति पर भी खुल जाएगा, जिससे रोवर तेजी से नीचे आने की गति को कम कर सकेगा। इससे रोवर सुरक्षित उतरेगा। इसी तरह के पैराशूट का इस्तेमाल अमेरिका ने 2021 में अपने रोवर को मंगल पर उतारने के लिए किया था।

मंगल पर इसरो का हेलीकॉप्टर!

मिशन मंगलयान का सबसे खास हिस्सा होगा इसका हेलीकॉप्टर। ये खास तरह का हेलीकॉप्टर है, जिसे मंगल ग्रह जैसे वातावरण में उड़ान भरने के लिए ही तैयार किया जा रहा है। 'मार्शियन बाउंड्री लेयर एक्सप्लोरर' (MarBLE) नाम की ये खास मशीन 100 मीटर की उड़ानों के दौरान मंगल के वातावरण का अध्ययन करने के लिए वैज्ञानिक उपकरण ले जाएगा। अगर यह सफल होता है, तो अमेरिका के इनजीनुअटी हेलीकॉप्टर के बाद मंगल ग्रह पर हेलीकॉप्टर उड़ाने वाला भारत दूसरा देश बन जाएगा और इस रेस में चीन को पीछे छोड़ देगा।

मिशन से पहले भेजा जाएगा कम्युनिकेशन सैटेलाइट

रोवर और हेलीकॉप्टर के साथ लगातार संपर्क बनाए रखने के लिए इसरो मुख्य मिशन से पहले एक रिले कम्युनिकेशन सैटेलाइट लॉन्च करने की योजना बना रहा है। यह सैटेलाइट मंगल और पृथ्वी के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करेगा, जिससे डेटा का निरंतर प्रवाह और मिशन कंट्रोल सुनिश्चित होगा। मंगलयान-2 को इसरो के अब तक के सबसे शक्तिशाली रॉकेट लॉन्च व्हीकल मार्क-III (LVM3) का उपयोग करके लॉन्च किया जाएगा। मंगल ग्रह पृथ्वी से लगभग 22.5 करोड़ किलोमीटर दूर है और वहां पहुंचना कई महीनों का लंबा सफर होगा।

क्या मंगल ग्रह हो सकता है इंसानों का अगला घर?

अमेरिका चीन और अब भारत मंगल ग्रह पर अपने स्पेस मिशन भेजने की तैयारी कर रहा है। स्पेस से जुड़े वैज्ञानिकों का मानना है कि मंगल ग्रह भविष्य में इंसानों का अगला घर हो सकता है। वहां का वातावरण काफी हद तक इंसानों के रहने लायक है। यही वजह है कि दुनियाभर की स्पेस एजेंसी मंगल ग्रह पर फोकस कर रही हैं। मंगल ग्रह अपने आप में बेहद खास ग्रह है। इसे लाल ग्रह के नाम से भी जानते हैं। गर्मियों के मौसम में मंगल का तापमान 20 डिग्री तक रहता है वहीं सर्दियों में ये तापमान माइनस 73 डिग्री तक पहुंच जाता है। अब तक तमाम स्पेस एजेंसियों ने 50 से अधिक मिशन मंगल पर भेजे हैं जिनमें से आधे से कम ही सफल हुए हैं। मंगलयान-2 मिशन अंतरिक्ष शक्ति के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करता है। 2050 तक मंगल ग्रह इंसानों का नया घर बन सकता है और भारत इस यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

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