मुख्यमंत्री की पहल पर रिम्स स्थापना के काम को मिल रही गति

रिम्स के विकास की दिशा में तेजी से आगे बढेंगे कदम
चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं होंगी और सुदृढ़
प्रदेश के युवाओं को मिलेगी विश्वस्तरीय चिकित्सा शिक्षा
जयपुर। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की पहल पर एम्स की तर्ज पर जयपुर में रिम्स की स्थापना के काम को प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है। इसी कड़ी में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली और राजस्थान सरकार के चिकित्सा शिक्षा विभाग के बीच मंगलवार को राजस्थान आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स), जयपुर की स्थापना और संचालन के लिए एक एमओयू हस्ताक्षरित किया गया। एमओयू पर एम्स नई दिल्ली के निदेशक डॉ. एम. श्रीनिवास और राजस्थान सरकार के चिकित्सा शिक्षा आयुक्त डॉ. इकबाल खान ने हस्ताक्षर किए।
चिकित्सा शिक्षा सचिव अम्बरीष कुमार ने बताया कि यह समझौता संस्थागत विकास पर केंद्रित है, जिसमें तकनीकी, शैक्षणिक और संगठनात्मक सहायता के माध्यम से पारस्परिक लाभ पर जोर दिया गया है, जिससे नवाचार और उत्कृष्टता को बढ़ावा मिलेगा। एम्स की वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त विशेषज्ञता का लाभ लेकर रिम्स को एक अग्रणी तृतीयक चिकित्सा संस्थान के रूप में विकसित किया जाएगा, जिससे स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और अनुसंधान में अंतरराष्ट्रीय मानक सुनिश्चित हो सकेंगे।
एम्स नई दिल्ली के निदेशक डॉ. एम. श्रीनिवास ने कहा कि एम्स अपनी संस्थागत विरासत को रिम्स जैसे उभरते उत्कृष्टता केंद्रों के साथ साझा करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह एमओयू दूरदृष्टि और विशेषज्ञता का एक सहज संयोजन है, जो राजस्थान के युवाओं और समुदायों को विश्वस्तरीय चिकित्सा शिक्षा देने के साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त करेगा।
चिकित्सा शिक्षा आयुक्त डॉ. इकबाल खान ने कहा कि एम्स के साथ साझेदारी रिम्स जयपुर के लिए एक परिवर्तनकारी कदम है। यह पहल चिकित्सा क्षेत्र में बुनियादी ढांचे को मजबूत करेगी। साथ ही, चिकित्सा अनुसंधान और सार्वजनिक स्वास्थ्य में टिकाऊ प्रगति को भी बढ़ावा देगी, जो राज्य के आमजनों को लाभान्वित करेगी।
एमओयू के तहत एम्स द्वारा रिम्स के लिए साइट योजना, रोगी प्रवाह डिजाइन, नियामक अनुपालन और वास्तुशिल्प ढांचे पर मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा, ताकि रिम्स में अत्याधुनिक सुविधाएं सुगमता से विकसित की जा सकें। प्रदेश में एमबीबीएस और स्नातकोत्तर शिक्षण के लिए पाठ्यक्रम डिजाइन, संकाय प्रशिक्षण, विनिमय कार्यक्रम और मेंटरशिप में संयुक्त प्रयास किया जायेगा, जिससे नैदानिक और शैक्षणिक क्षमताओं का संवर्द्धन होगा। साथ ही, संगठनात्मक ढांचे, मानव संसाधन नीतियों, खरीद फ्रेमवर्क, जैव-सुरक्षा मानकों, नैतिकता समितियों और आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन सेल की स्थापना में सहायता मिल सकेगी।
एमओयू के क्रियान्वयन से अनुसंधान और नैदानिक उत्कृष्टता आयेगी। संयुक्त अनुसंधान पहल, नैदानिक प्रयोगशालाएं और मानक संचालन प्रक्रियाएं बेहतर हो सकेंगी, जिससे साक्ष्य-आधारित अभ्यास और रोगी परिणामों में सुधार होगा।