रज़ा साहब को 100वें जन्म दिवस पर किए गए श्रद्धासुमन अर्पित

रज़ा साहब को 100वें जन्म दिवस पर किए गए श्रद्धासुमन अर्पित

रज़ा साहब को 100वें जन्म दिवस पर किए गए श्रद्धासुमन अर्पित

राजस्थानी लोक गायक नाथू खान ने मोह लिया श्रोताओं का दिल

मंडला - मंगलवार को पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित विश्व प्रसिद्ध चित्रकार सैयद हैदर रज़ा को उनके 100वें जन्म दिवस पर पूरी शिद्दत से याद किया गया। रज़ा साहब के चाहने वालों ने उनकी कब्र पर पहुंचकर श्रद्धासुमन अर्पित किए। रज़ा उत्सव में शामिल कलाकार, रज़ा फाउंडेशन से जुड़े लोग और स्थानीय चाहने वालों ने उनकी व उनके पिता की कब्र पर चादर चढ़ाकर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी।

कला के क्षेत्र में रज़ा साहब का है स्वर्णिम योगदान -
चित्रकार सैयद हैदर रज़ा को उनके 100वें जन्म दिवस पर श्रद्धासुमन अर्पित करने पहुंचे जयदत्त झा ने कहा कि मशहूर चित्रकार सैयद हैदर रज़ा के 100वें जन्म दिवस पर उनके फाउंडेशन के द्वारा जो सांस्कृतिक कार्यक्रम व चित्रकला कार्यशाला आयोजित किए जा रहे वो रज़ा साहब को सच्ची श्रद्धांजलि है। रज़ा साहब ने स्वर्णिम योगदान कला के क्षेत्र में दिया है। रज़ा साहब ने कला के क्षेत्र इससे कला के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है व् उन्हें मंच मिला है। खैरागढ़ विश्वविद्यालय में भी अब मंडला के बच्चे को प्रवेश लेने में मदद मिल रही है। उन्होंने रज़ा फाउंडेशन से आग्रह किया है कि वो लगातार ऐसे ही कार्यक्रम आयोजित कर लोगों की प्रतिभा को निखारने और उन्हें उपयुक्त मंच तक पहुँचाने का प्रयास करे।

युवा कलाकारों को हमेशा मंच उपलब्ध कराते थे रज़ा -
रज़ा उत्सव के संयोजक योगेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि जब मैं पढता था तब उन्हें अपनी पेंटिंग दिखाता था। रज़ा साहब अपना जन्मदिन भारत में ही मनाते थे। उनके जन्मदिन पर युवा कलाकारों की प्रदर्शनी या कोई न कोई कार्यक्रम जरूर होता। इसमें हम सभी शामिल होते है। वो युवाओं को हमेशा मंच उपलब्ध कराते थे। उन्हें संगीत, नृत्य से भी काफी लगाव था। इसी वजह से फाउंडेशन भी हर विधा के कला के प्रोत्साहन के लिए काम कर रहा है। मंडला में तो काम होना ही है। मंडला ही नहीं यदि मध्य प्रदेश से भी कोई उनसे मिलने पहुँचता तो वो गदगद हो जाते थे।

रज़ा की हर पेंटिंग में होता था मंडला -
वरिष्ठ चित्रकार पुरषोत्तम लाल डोंगरे ने बताया कि रज़ा साहब भले ही पेरिस में रहते थे लेकिन मैंने महसूस किया कि उनकी हर पेंटिंग में किसी न किसी जगह मंडला जरूर रहता था। उन्होंने जब भी पेंटिंग की तो प्रकृति को ऐसा निखारा है वह किसी कलाकार के बस की बात नहीं थी। रज़ा साहब की पेंटिंग से मुझे काफी कुछ सीखने को मिला है। मंडला में कला को लेकर बेहतरीन माहौल बना है। अब यहाँ के बच्चे भी पेंटिंग की शिक्षा लेकर आगे बढ़ेंगे।

राजस्थानी लोक संगीत में झूमे श्रोता -
सोमवार की रात रज़ा साहब के जन्म दिन की पूर्व संध्या रज़ा कला वीथिका में राजस्थानी लोक गायक नाथू खान बैखा की टीम ने सहनदार प्रस्तुति से श्रोताओं का मंत्रमुग्ध कर दिया। बीकानेर राजस्थान से आए लोक गायक नाथू खान बैखा की टीम में बाबू खां, दलीप खां, जेठाराम, किसन और मानेखां शामिल थे। कार्यक्रम का श्रीगणेश, गणेश वन्दना से किया गया। इसके बाद माण्ड केसरीया बालम स्वागत गीत, निबुरा नीबुरा, छाप तिलक सब छीनी, म्हारा मीठोरा महामान घर आया, चौधरी गीत, पधारो मारे देश, सहित कई राजस्थानी लोक गीत सुनाये। हज़रत अमीर खुसरों और बाबा बुल्लेशाह के सूफियाना कलाम की भी शानदार प्रस्तुति दी। दर्शकों की फरमाइश पर भी गीत सुनाए गए। करीब दो घंटे तक चले इस कार्यक्रम का श्रोताओं ने खूब आनंद लिया।

ये रहे उपस्थित -
इस कार्यक्रम में अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी श्रीमती मीना मसराम, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गजेंद्र सिंह कँवर, एसडीएम पुष्पेंद्र अहके, कान्हा टाइगर रिज़र्व के सहायक संचालक सुनील कुमार सिन्हा, सेवानिवृत संघ्र अध्यक्ष श्रीमती हेमन्तिका शुक्ला, जिला पर्यटन अधिकारी कपिल तिवारी, राजेश शाहू, जगदीश कछवाहा, राजेंद्र शर्मा, प्रफुल्ल मिश्रा, विनय मिश्रा, चंद्रेश खरे, अनिल भोयर, अनादि वर्मा, मनोज द्धिवेदी, प्रसन्न सराफ, श्रीमती जया सराफ, श्रीमती मुक्ता पांडे, श्रीमती प्रीती सोनी आदि उपस्थित थे।

इनका रहा योगदान -
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में गजेंद्र सोनी, आशीष कछवाहा, शुभांशी कांसकार, गरिमा ताम्रकार, भीखम प्रजापति, अशोक सोनवानी के साथ - साथ शुभम पन्द्रे, आशीष पड़वार, प्रवीण बर्मन, संदीप बर्मन, संध्या बर्मन, नवीन झारिया, ब्रजेश सेन, विशाल अहिरवार, रानू चंद्रोल, दीपमणी खैरवार सहित टीम इनर वॉइस का उल्लेखनीय योगदान रहा।