खनन माफिया के खिलाफ आंदोलन शुरू करेंगी उमा भारती

खनन माफिया के सामने शासन-प्रशासन, सत्ता दीन हो गए हैं
दावा किया कि मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनेगी
भोपाल, शहडोल में अवैध खनन रोकने गए पटवारी प्रसन्न सिंह की हत्या ने पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती को द्रवित कर दिया है। अब उन्होंने प्रदेश में खनन माफिया के खिलाफ आंदोलन शुरू करने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि वह नर्मदा जी का आशीर्वाद लेकर ब्योहारी से अभियान की शुरुआत करेंगी। उन्होंने कहा कि शासन-प्रशासन, सत्ता उनके सामने दीन हो गए हैं। क्या अब मुझे लठ लेकर खड़ा होना होगा।
मुख्यमंत्री से अकेले में खनन माफिया को लेकर बात करेंगी
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों की मतगणना के तीन दिन पहले भाजपा की तेजतर्रार नेत्री उमा भारती ने दावा किया कि मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनेगी। वह मुख्यमंत्री से अकेले में खनन माफिया को लेकर बात करेंगी। यदि कोई कार्रवाई नहीं हुई तो वह खुलकर बोलेंगी और आंदोलन शुरू करेंगी। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भरपूर तारीफ भी की। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने अपने निवास पर पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि यदि मैं पोजिशन में रहकर कोई योगदान नहीं दे सकी तो मेरी पोजिशन का क्या मतलब रह जाएगा?
राजमाता के कारण ही मेरा संघ से संपर्क हो सका था
भाजपा नेत्री ने कहा कि भाजपा पर मेरी निष्ठा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी मेरे नेता हैं। अमित शाह जी ने धारा 370 हटाने की हिम्मत दिखाई है। मोदी जी ने राम मंदिर का शिलान्यास किया है। राजमाता के कारण ही मेरा संघ से संपर्क हो सका था। अटल जी और आडवाणी जी के बाद पार्टी को खड़ा करने में मुझे झोंक दिया गया था। मोदी जी, आपकी राजनीतिक प्रतिष्ठा पर कभी संकट नहीं आएगा। मैं आपके साथ हमेशा रहूंगी। इस देश पर मैं जान दे सकती हूं। यह तीन चीज मेरे लिए अटल हैं।
संगठन मुझे कोई भी दायित्व दें, लेकिन मैं अपने मुद्दे नहीं छोडूंगी, 2024 का चुनाव लड़ने की इच्छा जताई
उमा ने कहा कि चुनावों से पहले पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी। उनसे 2024 के लोकसभा चुनावों और संगठन में जिम्मेदारी मांगी थी। संगठन मुझे कोई भी दायित्व दें, लेकिन मैं अपने मुद्दे नहीं छोडूंगी। गाय, शराब और खनन के प्रति मेरा अभियान जारी रहेगा। उमा ने कहा कि 17 नवंबर 1992 को मैंने संन्यास की दीक्षा ली थी। महिलाओं को उस समय दीक्षा की परंपरा नहीं थी। गुरुजी ने परंपरा तोड़कर मुझे दीक्षा दी थी। केन-बेतवा नदियों के साथ ही भोजशाला में वाग्देवी की प्रतिमा को लेकर हमेशा मुखर रहूंगी।