विश्व हिन्दू परिषद बजरंग दल ने किया विधि विधान से शस्त्र पूजन
विश्व हिन्दू परिषद बजरंग दल ने किया विधि विधान से शस्त्र पूजन
मुख्य अतिथियों ने कहा शस्त्र पूजन शौर्यता का प्रतीक
मण्डला - गुरूवार को विश्व हिन्दू परिषद बजरंग दल मंडला के द्वारा भव्य शस्त्र पूजन का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता शारदात्माकनंद जी महाराज ने की। वहीं मुख्य वक्ता के रूप में अरविंद तिवारी विश्व हिन्दू परिषद विभाग संगठन मंत्री मंडला रहे। साथ ही मुख्य अतिथि के तौर पर अभिषेक चौबे संचालक मां रेवती कॉलेज मंडला विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। साथ ही मंच में विभाग प्रचारक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पंकज पांडे, प्रदीप गुप्ता प्रांत सहमंत्री विश्व हिन्दू परिषद एवं जिला उपाध्यक्ष शक्ति क्षैतीजा, वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक खरया एवं वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज फागवानी के साथ प्रद्युम जी बजरंग दल जिला पालक रहे।
कार्यक्रम के आरंभ में श्रीराम दरबार, महिष्मासुर मर्दनी एवं बजरंग बली के तैल्यचित्र पर माल्यार्पण करते हुए शस्त्रों का विधि-विधान से पूजन किया गया। अतिथियों को तिलक लगाते हुए भगवा वस्त्र भेंट किया गया। रामभक्तों को संबोधित करते हुए प्रदीप गुप्ता प्रांत सहमंत्री विश्व हिन्दू परिषद ने कहा कि नवरात्रि आरंभ से लेकर विजयदशमी तक पूरे भारत वर्ष में विश्व हिन्दू परिषद बजरंग दल शस्त्र पूजन का आयोजन करता है। जिसका मुख्य उद्देश्य यह है कि शस्त्र हमे आत्मरक्षा करना सिखाते हैं वही हमे विषम परस्थितियों में हमारी रक्षा भी करते है और जब धर्म की बात आती है तब तो शस्त्र का उपयोग करने का वर्णन शास्त्रों में भी किया गया है। वहीं विभाग प्रचारक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पंकज पांडे ने कहा कि शस्त्र पूजन शौर्यता का प्रतीक है उन्होंने कहा कि मां दुर्गा की अराधना का पर्व चल रहा है उनकी आठों भुजाओं में कोई न कोई शस्त्र हमे दिखाई देता है जो हमे धर्म की रक्षा, समाज की रक्षा, परिवार की रक्षा के साथ देश की रक्षा का संदेश देता है।
वहीं मुख्य वक्ता अरविंद तिवारी विश्व हिन्दू परिषद विभाग संगठन मंत्री मंडला ने कहा कि मुसलमान और ईसाई गलत दिशा में काम कर रहे हैं धर्मपरिवर्तन कराने के लिए जनजाति समाज को प्रलोभन दे रहे हैं और उन्हें तरह-तरह के अवसर बताकर धर्म परिवर्तन कराते हैं। वहीं उन्होंने कहा कि 14 अगस्त 1947 को देश का विभाजन किया गया और जनसंख्या से अधिक जमीन का आवंटन किया गया। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य हिंदू समाज को संगठित करना, उसे मजबूत करना और हिंदू धर्म की सेवा, रक्षा करना है। यह सामाजिक सेवा परियोजनाओं में शामिल रहा है और हिंदू मंदिरों के निर्माण और जीर्णोद्धार को प्रोत्साहित करता रहा है। यह सामाजिक सेवा परियोजनाओं में शामिल रहा है। जात-पात में बांट कर गंदे तरीके की जो राजनीति हो रही है उसे हमको बचकर रहना है। हम सब हिंदू हैं। हम सब बराबर हैं। हम मैं कोई बड़ा छोटा नहीं है। मान्यताओं के अनुसार रामायण काल से ही शस्त्र पूजा की परंपरा चली आ रही है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार दशहरा के दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर राक्षस का वध किया था और इसी दिन भगवान श्रीराम ने लंका के राजा रावण का भी वध किया था। इस उपलक्ष्य में हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा मनाया जाता है। इसे विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। शस्त्र पूजन का भी विधान है। कहते हैं कि रावण का वध करने से पहले भगवान राम ने शस्त्रों की पूजा की थी। तभी से इस दिन शस्त्र पूजन किया जाता है। बता दें कि विजयदशमी के दिन जगह-जगह धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। साथ ही देशभर में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों का दहन किया जाता है। इस साल दशहरा पर रवि और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में शस्त्र पूजन करने से जीवन में चल रही सभी परेशानियां और कष्ट, दरिद्रता दूर होती हैं। आश्विन शुक्ल पक्ष दशमी को शस्त्र पूजन का विधान है। 9 दिनों की शक्ति उपासना के बाद 10वें दिन जीवन के हर क्षेत्र में विजय की कामना के साथ चंद्रिका का स्मरण करते हुए शस्त्रों का पूजन करना चाहिए। विजयादशमी के शुभ अवसर पर शक्तिरूपा दुर्गा, काली की आराधना के साथ-साथ शस्त्र पूजा की परंपरा है। शस्त्र पूजन की परंपरा का आयोजन रियासतों में आज भी बहुत धूमधाम के साथ होता है। शासकीय शस्त्रागारों के साथ आमजन भी आत्मरक्षार्थ रखे जाने वाले शस्त्रों का पूजन सर्वत्र विजय की कामना के साथ करते हैं। राजा विक्रमादित्य ने दशहरे के दिन देवी हरसिद्धि की आराधना की थी। छत्रपति शिवाजी ने भी इसी दिन मां दुर्गा को प्रसन्न करके भवानी तलवार प्राप्त की थी। दशहरा पर्व के चलते हथियारों के पूजन का विशेष महत्व है। शस्त्र पूजन कार्यक्रम में रामभक्त के साथ समाजसेवी गणमान्य नागरिक भी उपस्थित रहे। वहीं कार्यक्रम में पूर्व केन्द्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते अपने साथियों के साथ पहुंचे।