जागरूकता रथ के नाम पर 7 लाख का खेल

जागरूकता रथ के नाम पर 7 लाख का खेल
rajesh dwivedi सतना । विधानसभा निर्वाचन के दौरान व्यवस्था के नाम पर खेल भी खूब हो रहे हैं। मतदाता जागरूकता अभियान और अफसरों तथा अमले की दौड़ भाग के लिए वाहनों के इंतजाम में भी ऐसा ही बड़ा खेल इनदिनों सुर्खियों में है। विधानसभा चुनाव के कार्य के लिए वाहनों के इंतजाम के नाम पर नियम कायदों को ताक पर रख दिया गया है और वेंडर विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए एक्सप्रेस ट्रेन की रफ्तार से काम किया जा रहा है। सतना जिले में चुनाव के दौरान प्रशासन को वाहन उपलब्ध कराने का टेंडर मिला तो किसी और को था लेकिन वाहनों की सप्लाई कोई और कर रहा है। सूत्र बताते हैं कि ये टेंडर नितिन शर्मा नाम के किसी वेंडर को मिला था लेकिन वाहनों की सप्लाई एटूजेड ट्रेवल्स द्वारा की जा रही है। एटूजेड ट्रेवल्स बरदाडीह के उन्ही ललन सिंह की बताई जाती है जिनके एक आर्डर के चक्कर में जिले के एक अपर कलेक्टर तक को मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। मतदाता जागरूकता अभियान के लिए एटूजेड से रथ के उपयुक्त वाहन भी लिए गए और निर्वाचन कार्य में लगे अमले के लिए भी वाहनों की सप्लाई कराई गई है। मतदाता जागरूकता अभियान के तहत लिए गए रथों के भुगतान की कार्रवाई को कलेक्ट्रेट में एक्सप्रेस रफ्तार से निपटाया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि नियम कायदों को ताक पर रख कर एटूजेड को सप्लाई आर्डर तो दिया ही गया उसके भुगतान की फाइल भी 27 तारीख को एक ही दिन में बनाई ,चलाई और निपटा भी दी गई। एक ही दिन में बिल बना ,प्रस्तुत हुआ और उसी दिन में कुछ घंटों के अंदर न केवल पांच नोडल अफसरों के दस्तखत हो गए बल्कि कलेक्टर तक के हस्ताक्षर करा लिए गए। यह वही दिन था जब जिले का निजाम बदल रहा था और नए कलेक्टर चार्ज ले रहे थे। सूत्र बताते हैं कि तेजी के साथ चली भुगतान की इस नस्ती पर उपजिला निर्वाचन अधिकारी से अनुमोदन प्राप्त कर अब उसे गुरूवार को ट्रेजरी में भेजने का इंतजाम पक्का कर लिया गया है। लगभग 7 लाख 5 हजार 6 सौ रुपए के भुगतान की यह फाइल नवागत कलेक्टर के संज्ञान में न आये इसका भी खास ख्याल रखा गया है। उधर नितिन शर्मा ने अपने साथ हुए खेल की शिकायत भी कर रखी है लेकिन उसकी अभी तक कोई सुनवाई नहीं हो सकी है। शिकायत में शर्मा का आरोप है कि उसे कभी वाहन की मांग का पत्र तो नहीं मिला लेकिन उस पत्र के आधार पर सप्लाई न करने के एवज में टेंडर खत्म कर दिए जाने की नोटिस जरूर दे दी गई। स्टेशन के वाहन निर्वाचन कार्य के लिए जो वाहन उपलब्ध कराये गए हैं उनमे टैक्सी परमिट के वाहनों की संख्या न के बराबर है। जो वाहन उपलब्ध कराये गए हैं उनमे से अधिकांश रेलवे स्टेशन में खड़ी होने वाली वो निजी टैक्सियां हैं जो परिवहन विभाग में भी निजी वाहन के तौर पर पंजीकृत हैं। वाहन चालकों और स्वामियों में रेट को लेकर भी असंतोष है। कुछ वाहन मालिकों ने बताया कि निर्वाचन से जितना भुगतान प्रति वाहन लिया जा रहा है उससे काफी कम दर उन्हें दी जा रही है।