मंडला में भाजपा के अजेय योद्धा से कांग्रेस का मुकाबला
निवास में भाजपा के दिग्गज के सामने राजनीति में पदार्पण कर रहे कांग्रेस के प्रत्याशी
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कांग्रेस के तीनों अधिकृत प्रत्याशी...[/caption]
Syed Javed Ali
मंडला - जिले की तीनों विधानसभा में रोचक और संघर्षपूर्ण मुकाबला देखने को मिल रहा है। मंडला विधान सभा में तो सीधा मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही है लेकिन निवास और बिछिया में गोंडवाना दोनों राष्ट्रीय पार्टी के प्रत्याशियों का भविष्य तय करेगी। वर्ष 2019 में होने वाले लोक सभा चुनाव के लिहाज से यह विधान सभा चुनाव भाजपा और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के लिए काफी अहम है। यह समझते हुए भाजपा ने मंडला जिले से अपने तीनों दिग्गजों को चुनावी बिसात पर उतारा है। मंडला विधान सभा क्षेत्र से भाजपा ने अपने सबसे सीधे, सरल और सहज नेता देव सिंह सैयाम पर भरोसा जताया है। देव सिंह ने अपनी राजनीती की शुरुआत पंचायती चुनावों से की। देव सिंह ने आज तक हार का मुँह नहीं देखा। सरपंच से लेकर पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री तक का सफर तय कर चुके सैयाम विधान सभा चुनाव में चौथी बार ताल ठोंक रहे है। इसके पहले लगातार वो तीन बार विधायक रह चुके है। तीसरी बार विधायक बनने पर उन्हें पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री बनाया गया था। रानी दुर्गावती शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मंडला से प्राध्यापक के पद से स्तीफा देकर जब मंडला के वर्तमान विधायक प्रोफेसर संजीव छोटेलाल उइके ने अपनी राजनीति की शुरुआत की थी तब देव सिंह सैयाम ने ही उन्हें पटखनी दी थी। पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री होने के बावजूद पिछले विधान सभा चुनाव में भाजपा ने उनकी जगह वर्तमान राजयसभा सांसद श्रीमती सम्पतिया उइके को टिकट दिया था। इस बार प्रोफेसर संजीव छोटेलाल उइके जीतने में कामयाब रहे और श्रीमती सम्पतिया उइके को हार का मुँह देखना पड़ा। एक बार फिर भाजपा ने देव सिंह सैयाम पर भरोसा जताते हुए प्रोफेसर संजीव छोटेलाल उइके के सामने मैदान पर उतारा है। मुकाबला दिलचस्प है। व्यवहार के मामले में संजीव उइके, देव सिंह सैयाम से पीछे नहीं है। पूरे विधान सभा क्षेत्र में लोग दोनों नेताओं द्वारा किये गए विकास कार्यों को लेकर सवाल उठाकर राजनैतिक पंडितों के लिए मुश्किल खड़ी कर रहे है। हालांकि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की जनसभा के बाद विधान सभा क्षेत्र में उसके कार्यकर्त्ता भी हरकत में नज़र आने लगे है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से किशन लाल उईके मैदान में है। तीनों विधान सभा क्षेत्रों में मंडला ही केवल ऐसा विधान सभा क्षेत्र है जहां गैर आदिवासी मतदाता की तादाद अच्छी खासी है। ऐसे में सपाक्स पार्टी के मनोज गोंटिया भाजपा प्रत्याशी के माथे में बल ला सकते है। इनके अलावा बहुजन समाज पार्टी के लक्ष्मण उईके व आम आदमी पार्टी के प्रेमलाल वरकडे़ भी अपनी किस्मत आज़मा रहे है।
बिछिया विधान सभा क्षेत्र से भाजपा ने शिवराज शाह को अपना उम्मीदवार बनाया। शिवराज अपने पहले विधान सभा चुनाव में हार का सामना करने के बाद परिपक़्व नेता बन चुके। मंडला जनपद के अध्यक्ष रहते हुए उन्हें उमा भारती ने मंडला से प्रत्याशी बनाया था और शिवराज विधान सभा पहुंचने में कामयाब रहे थे। इसके बाद मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान से नज़दीकी और लगातार कोशिशों के बावजूद पिछले दो विधान सभा चुनाव में उन्हें टिकट नहीं मिल सकी। शिवराज को टिकट भले ही न मिली हो लेकिन इसके बावजूद वे अनुसूचित जनजाति आयोग और मध्य प्रदेश वित्त विकास निगम के अध्यक्ष के रूप में मंत्री दर्जा का सुख भोगते रहे है। इस बार शिवराज शाह को प्रत्याशी बनाये जाने के बाद उपजे घटनाक्रम ने भाजपा को शुरूआती नुक्सान पहुंचा दिया। भाजपा के वर्तमान विधायक पंडित सिंह धुर्वे, जिला पंचायत अध्यक्ष सरस्वती मरावी, नगर पंचायत अध्यक्ष विजेंदर सिंह कोकड़िया, मंडी अध्यक्ष सुनील नामदेव, जिला पंचायत सदस्य व भाजपा जिला महामंत्री नीरज मरकाम, अध्यक्ष जनपद पंचायत बिछिया राय सिंह उरवेती, नीतू मरकाम आदि ने शिवराज शाह को प्रत्याशी बनाये जाने से नाराज़गी जाहिर करते हुए भाजपा कार्यालय में जमकर हंगामा किया। विधायक सहित सभी दावेदारों ने शिवराज शाह को बहारी प्रत्याशी बताते हुए उसे बदलने की मांग की। शिवराज शाह को हराने के लिए हनुमान जी की मूर्ति के सामने शपथ भी ली गई लेकिन पार्टी के हंटर के बाद एक - दो को छोड़कर बाकी लोगों ने बागी तेवर छोड़ दिए। शिवराज शाह को बिछिया के पूर्व विधायक और कांग्रेस प्रत्याशी नारायण सिंह पट्टा से कड़ी चुनौती मिल रही है। क्षेत्र में लगातार सक्रिय नारायण सिंह पट्टा को चुनावी फायदा मिल सकता है। नारायण सिंह पट्टा के लिए जिला महिला कांग्रेस की अध्यक्ष श्रीमती सावित्री धूमकेती बागी प्रत्याशी के रूप में परेशानी पैदा कर रही है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के कमलेश तेकाम भी कांग्रेस के लिए परेशानी पैदा कर रहे है। राष्ट्रीय गोंडवाना पार्टी के चन्द्रप्रकाश सिरसाम भी अपने चुनाव चिन्ह ट्रेक्टर चलाता किसान की ही तरह खुद ट्रेक्टर चलते हुए प्रचार कर लोगों को आकर्षित करने में कुछ हद तक कामयाब रहे है। सपाक्स पार्टी के सोनूलाल मरावी मंडला में आरएसएस के जिला कार्यवाह रह चुके है। इस लिहाज से वे भाजपा की राह में खासी मुश्किल पैदा कर रहे है। इनके साथ - साथ बहुजन समाज पार्टी के सुन्दर लाल कुम्हरे, आम आदमी पार्टी के अशोक शाह धुर्वे, शिवसेना के पूरनसिंह, निर्दलीय प्रत्याशी अमरसिंह पट्टावी, लालसिंह और समारू भी वोटों का अंतर प्रभावित कर रहे है। जिले में सबसे ज्यादा 13 प्रत्याशी राष्ट्रीय पार्टियों के समीकरण गड़बड़ा रहे है।
जिले में सबसे चर्चित मुकाबला निवास विधान सभा में देखने को मिल रहा है। यहाँ भाजपा के दिग्गज आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते के छोटे भाई राम प्यारे कुलस्ते को तमाम अटकलों के बावजूद भाजपा ने चौथी बार अपना उम्मीदवार बनाया है। राम प्यारे कुलस्ते भी मंडला के भाजपा प्रत्याशी की ही तरह अजय योद्धा है। पिछली तीन बार से लगातार विधायक है। इस बार उनका मुकाबला शासकीय चिकित्सा सेवा छोड़कर हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए डॉ. अशोक मर्सकोले से है। डॉ. अशोक मर्सकोले कुलस्ते बंधुओं के लिए कड़ी चुनौती पेश कर रहे है। राजनीति के जानकारों की माने तो यदि सब कुछ सामान्य रहा तो राम प्यारे कुलस्ते के लिए माहौल अनुकूल नहीं है। ऐसे में हमेशा की तरह फग्गन सिंह कुलस्ते कुशल प्रबंधन के सहारे ही अपनी साख बचा सकते है। डॉ. अशोक मर्सकोले को आदिवासी महापंचायत का लाभ मिल सकता है। निवास विधान सभा से बहुजन समाज पार्टी के अनीता उइके, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के रम्मू लाल कुलस्ते, सपाक्स पार्टी के राज कुमार मरावी तथा निर्दलीय घनश्याम कुड़ापे भी मैदान में है। यहाँ अक्सर गोंडवाना, कांग्रेस की राह मुश्किल करती रही है। माना जाता है कि यहाँ अनेक प्रत्याशियों को कुलस्ते मैदान में उतारते रहे जिससे उनकी राह आसान हो जाती थी। इस बार यहाँ से भाजपा - कांग्रेस को मिलाकर भी केवल 6 प्रत्याशी ही मैदान में है। इस लिहाज से भी कुलस्ते के लिए राह आसान नज़र नहीं आती। मंडला जिले में पार्टी से ज्यादा प्रत्याशियों की साख दांव पर लगी नज़र आ रही है। शायद यही वजह है कि संगठन के मुकाबले प्रत्याशी ही ज्यादातर जगह चुनाव लड़ते नज़र आ रहे है।