चार मौतों के अलावा शहर के कई बच्चे और युवा ग्वालियर-आगरा से लेकर दिल्ली तक भर्ती हैं
मुरैना के जिला अस्पताल में व्हाइट प्लेटलेट निकालने की कोई सुविधा नहीं।
awdhesh dandotia
मुरैना। डेंगू जान ले रहा है कुछ ही दिनों में डेंगू से चार लोगों की मौत हो गई है। जिसमें रविवार को ही चौथी मौत हुई। इससे शहर की स्थिति भयावह हो रही है, क्योंकि दो दो लाख से अधिक की आबादी के मान से एक प्रतिशत लोगों को देखें तो 2000 से ज्यादा लोग बुखार से पीडि़त हैं। जिसमें 1000 लोगों को गंभीर बुखार है, डेेंगू है। शहर के कई बच्चे और युवा ग्वालियर से लेकर आगरा और दिल्ली तक डेंगू का इलाज ले रहे हैं। जबकि इधर नगर निगम डेंगू को लेकर गंभीर नहीं है।
फोग के नाम पर धोखा
मुरैना में फोग के नाम पर जनता को धोखा दिया जा रहा है। निगम के कर्मचारी मनमाने शेड्यूल में हाईस्पीड से फोग को करते हुए केवल खानापूर्ति कर रहे हैं। जबकि उसके बनावटी वीडियो बनाकर अपनी ओके रिपोर्ट भी निगम को दे रहे हैं। हकीकत है कि कहीं फोग से मच्छर नहीं मर रहे, क्योंकि उसमें केवल केरोसिन का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो मच्छररोधी दवा डालनी चाहिए, वह पर्याप्त खर्च नहीं की जा रही है। ऐसे में कलेक्टर को इस मामले की जांच करानी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।
दिल्ली जाकर हो गई थी मौत
एडीज इजिप्टाई नामक मच्छर के डंक से पैदा होने वाला डेंगू मुरैना में अक्टूबर माह में ही बढ़ा है। पिछले दिनों ही कांग्रेस नेता और होटल राज पैलेस के मालिक रामलखन डंडोतिया के बेटे राज को डेंगू हुआ। उसका इलाज मुरैना में चला। जहां इलाज से सुधार नहीं हुआ तो इस बच्चे को ग्वालियर रैफर किया गया। वहां से दिल्ली भेजा गया, जहां उसकी मौत हो गई। इसी तरह रविवार को भी एक बच्चे की मौत डेंगू से होना बताई जा रही है। सूत्र बताते हैं कि अंशुमन शर्मा पुत्र गिर्राज शर्मा निवासी तिलक रोड, जो भाजपा नेता स्वर्गीय जाहरसिंह शर्मा कक्का के परिवार से है, की मौत दिल्ली में हो गई।
दिल्ली में भर्ती था अंशुमन
बताया जाता है कि अंशुमन को दिल्ली में 11 दिन पहले भर्ती किया गया था। वहां भी उसकी हालत नहीं सुधरी। जबकि इससे पहले उसका इलाज मुरैना में भी चला था। इसी तरह रामलखन के बेटे का भी मुरैना में ही इलाज करते रहे थे। यह बच्चा भी हालत खराब होने पर मुरैना से रैफर किया गया। जहां उसकी जान नहीं बचाई जा सकी। रविवार को अंशुमन की मौत की खबर मुरैना में आते ही लोगों के बीच एक डर गहरा गया कि ये मौतें आखिर कैसे थमें।
दिल्ली ले गए, कोई आगरा
मुरैना के डेंगू पीडि़त बच्चों को कोई दिल्ली ले जा रहा है तो कोई आगरा भर्ती करा रहा है। हाल ही में मुरैना से आदित्य दुबे पुत्र राजकुमार दुबे को आगरा के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहां हालत मेें कुछ सुधार बताया जा रहा है। उधर शहर के गोपालपुरा से भय्यू पुत्र करतार राजपूत को दिल्ली गुडग़ांव के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जहां उसकी हालत में हल्का सुधार हुआ बता रहे हैं।
इस तरह पहचानें डेंगू को
जिला अस्पताल आईसीयू के पूर्व प्रभारी डॉ. केके गुप्ता एमडी मेडिसिन कहते हैं कि डेंगू को एकदम से पहचानना तो मुश्किल होता है, लेकिन बुखार के साथ उल्टियां और सिरदर्द लगातार चल रहा है तो तत्काल खून की जांच होनी चाहिए। इस तरह के केसों में डेंगू ही डायग्नोस होता है। डेंगू के इलाज में देरी बहुत दिक्कत देती है। क्योंकि प्लेटलेट लगातार गिरने से मरीज की जान पर बन आती है।
मुरैना में ही गिर जाती हैं प्लेटलेट
देखने में आ रहा है कि जानलेवा बुखार डेंगू में पेसेंट की प्लेटलेट एकदम से गिर जाती हैं। हीमोग्लोबिन परसेंट कम होकर प्लेटलेट मात्र 25 हजार की काउंट पर उतर आती हैं। जबकि डेंढ़ लाख प्लेटलेट तो मिनिमम मानक है। ऐसे में मरीज को व्हाइट प्लेटलेट, जिसे आम बोलचाल में सफेद खून कहते हैं, को चढ़ाए जाने की व्यवस्था हो तो मरीज को कुछ राहत मिलती है, लेकिन इसके इंतजाम मुरैना में नहीं हैं, मतलब यहां व्हाइट प्लेटलेट ब्लड में से अलग करने की मशीन नहीं है।
अस्पताल में प्लेटलेट निकालने की मशीन आनी चाहिए
डेंगू बुखार में मरीजों को खास लाभ पहुचाने के लिए मुरेना मेें वह मशीन आनी चाहिए, जिससे प्लेटलेट व्हाइट व रेड अलग-अलग की जा सकें। इसकी मांग पिछले वर्षों में भी हुई है, लेकिन प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के विधायकी क्षेत्र को भी अब तक वह मशीन नहीं मिल पाई है।
खुले में पैदा होता है एडीज इजिप्टाई
इधर शहर में फोग के पर्याप्त इंतजाम नहीं होने से हालात लगातार बिगड़ रहे हैं। निगम के कर्मचारी फोग मशीन में मिट्टी का तेल भरकर उसे एक मोहल्ले से दूसरे मोहल्ले में इतनी तेजी से ले जाते हैं कि धुअंा कहीं असर कर ही नहीं पाता। साथ ही उसमेें जरूरी दवा न होने से उसका कोई आंशिक असर भी नहीं हो रहा है।
मच्छर मरे तो काम बने
जानकारों का मानना है कि अगर मच्छर ही नहीं रहेगा तो डेंगू कहां रहेगा। अगर नगर निगम डेंगू को खत्म करने की मंशा रखे तो उसे एडीज इजिप्टाई मच्छर को मारने के इंतजामों में कमी नहीं छोडऩी चाहिए। क्योंकि इस साल तेज बारिश के कारण सैकड़ों स्थानों पर पानी भरा रहा, जिसमें कहीं स्वच्छ पानी रहा तो डेंगू का मच्छर ज्यादा पनप गया। इसीलिए इस साल डेंगू का बुखार लगातार बढ़ता जा रहा है।
डेंगू के प्रकार हैं
जिला अस्पताल के एमडी मेडिसिन डॉ. राघवेंद्र सिंह यादव भी आजकल डेंगू मरीजों को इलाज दे रहे हैं। वे कहते हैं कि डेंगू के भी प्रकार हैं। साथ ही वायरल बुखार बढऩे और कंट्रोल न किए जाने से भी मरीजों की प्लेटलेट गिर जाती हैं। वह खतरे की स्थिति में पहुंचता है। इसलिए जरूरी है कि बुखार पीडि़त को शुरू से ही गंभीरता से लिया जाए। जिला अस्पताल के एमडी मेडिसिन डा.योगेश तिवारी भी डेंगू मरीजों को लगातार इलाज दे रहे हैं। मुरैना से डेंगू के मरीज बाहरी जिलों मेंं भी ज्यादा जा रहे हैं।
सरकारी और निजी अस्पतालों में बढ़ी भीड़
डेंगू के मरीजों की भीड़ आजकल जिले के सरकारी अस्पतालों के अलावा प्राइवेट अस्पतालों में भी ज्यादा हो रही है। जहां भी जाओ वहां बुखार पीडि़त मरीज मिल रहे हैं। जिसमें डेंगू के अलावा वायरल के मरीज भी बहुतायत में हैं। खासकर एमबीबीएस और एमडी मेडिसिन डाक्टरों के अस्पतालों पर मरीजों की भीड़ ज्यादा है।
तहसीलों का दबाव जिला मुख्यालय पर
डेंगू मरीजों के मामले में एक और तथ्य देखेें तो तहसील स्तर से आने वाले मरीजों का दबाव भी जिला मुख्यालय पर है। जबकि शहर की दो लाख से अधिक की आबादी सहित नगर निगम में जुड़ी 80 हजार की आबादी मेें भी लगातार डेंगू पनप रहा है। क्योंकि फोग के इंतजाम कहीं पुख्ता नहीं हैं।
पहले ग्वालियर ले जाते हैं, फिर दिल्ली
डेंगू मरीज को मुरैना के डाक्टर तो ग्वालियर ले जाने की ही सलाह देते हैं, लेकिन यह सलाह तब दी जाती है जब मरीज की हालत ज्यादा खराब हो जाती हैं। फिर लोग मरीज को ग्वालियर ले जाते हैं और उसके बाद वे उसे दिल्ली ले जाने को मजबूर होते हैं। क्योंकि ग्वालियर में भी मरीजों को सही इलाज नहीं मिल रहा है। वहां से भी मरीज दिल्ली ही ज्यादा जा रहे हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
- यह मच्छर खुले में साफ पानी में पनपता है। इसको मारने का एक ही सही तरीका है कि फोग किया जाए। जहां तक डेंगू के मरीज को पहचानने का सवाल है तो शुरू में बुखार के साथ उल्टी, सिरदर्द आता है। खून की जांच में प्लेटलेट कम हो जाती हैं। इससे डेेंगू का पता चलता है।
डॉ. केके गुप्ता, एमडी मेडिसिन, पूर्व आईसीयू प्रभारी जिला अस्पताल मुरैना