सरकारी नीतियों की मार से कराह रहीं मप्र की बिजली कंपनियां

सरकारी नीतियों की मार से कराह रहीं मप्र की बिजली कंपनियां
भोपाल, सस्ती बिजली के नाम पर उपभोक्ताओं को रिझाने की पहले भाजपा और अब कांग्रेस सरकार की नीतियां बिजली कम्पनियों पर भारी पड़ रही हैं। राज्य सरकार ने बिजली कम्पनियों को फिलहाल पूर्व सरकार के कार्यकाल में शुरू की गई योजनाओं के 3200 करोड़ रुपए की सब्सिडी देने से मना कर दिया है। साथ ही लोन लेकर खर्च चलाने की नसीहत दी है। इसके बाद बिजली कम्पनियों ने 3500 करोड़ रुपए लोन लेने की तैयारी शुरू कर दी है। भाजपा की तत्कालीन सरकार ने मुख्यमंत्री सरल बिजली बिजली बिल माफी योजना और समाधान योजना के माध्यम से बिजली बिल माफ करने और 200 रुपए महीने में बिजली देने की योजना शुरू की थी। इसके अंतर्गत 200 रुपए में बिजली देने के बदले कम्पनियों पर 700 करोड़ और माफी योजना के चलते 2500 करोड़ रुपए का भार आ चुका है। इस तरह 3200 करोड़ रुपए की डिमांड कम्पनियों की ओर से राज्य सरकार से किए जाने के बाद ऊर्जा विभाग ने आर्थिक संकट के चलते सब्सिडी देने से मना कर दिया है। बिजली कम्पनियों के मुताबिक सरकार ने काम चलाने के लिए वित्तीय सीमा के आधार पर मिलने वाली गारंटी पर लोन लेने के लिए कहा है। पूर्व में तीनों ही कम्पनियों ने 2000 करोड़ रुपए का लोन एक बार ले लिया है और अब 500-500 करोड़ रुपए के लोन फिर लेने की तैयारी की जा रही है। इधर मप्र विद्युत मंडल अभियंता संघ ने कम्पनियों द्वारा की जाने वाली बिजली खरीदी पर आर्थिक अनियमितता के आरोप भी लगाए हैं। संघ ने कहा है कि खरीदी अनुबंधों के प्रावधानों की जांच कराई जाए तो करोड़ों रुपए के आर्थिक भुगतान में भ्रष्टाचार का खुलासा हो जाएगा।