विधानसभा सत्र पर अड़े हुए हैं गहलोत, कोरोना बना पायलट का कवच

विधानसभा सत्र पर अड़े हुए हैं गहलोत, कोरोना बना पायलट का कवच
नई दिल्ली, राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच राजनीति वर्चस्व की जंग जारी है. विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी द्वारा सचिन पायलट समेत 19 विधायकों को दल-बदल के कानून के तहत दिए गए नोटिस पर शुक्रवार को हाई कोर्ट ने स्टे लगा दिया है. इस तरह से अदालत से पायलट समर्थक विधायकों को राहत मिल गई है. ऐसे में गहलोत विधानसभा सत्र के जरिए राजनीतिक मात देना चाहते हैं, लेकिन कोरोना काल पालयट और उनके खेमे के लिए रक्षाकवच बन गया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से कहा गया है कि उन्होंने विधानसभा सत्र बुलाने की अपील की है, लेकिन राज्यपाल की ओर से कोई फैसला नहीं लिया गया है. हालांकि, राज्यपाल कलराज मिश्र की ओर से अभी कोरोना संकट का हवाला दिया गया है. सूत्रों की माने तो राज्यपाल की ओर से कहा गया है कि अभी बीजेपी, कांग्रेस के विधायक कोरोना वायरस से पीड़ित हैं. ऐसे में विधानसभा का सत्र बुलाना ठीक नहीं होगा. राज्यपाल यह फैसला पायलट के लिए संजीवनी बन रहा है. दरअसल, हाई कोर्ट से राहत मिलने के बाद गहलोत खेमा बागी विधायकों को घेरने के लिए विधानसभा सत्र के जरिए फ्लोर टेस्ट करने का दांव चलना चाहती है. गहलोत ने 102 विधायकों का समर्थन जुटाकर रखा है. ऐसे में गहलोत अपनी सरकार को बचाए रखने के लिए पूरी तरह कॉन्फिडेंट हैं, लेकिन सरकार पूरी तरह से सुरक्षित रखने के लिए सत्र का दांव चलना चाहते हैं. विधानसभा सत्र की इजाजत मिलते ही मुख्य सचेतक महेश जोशी व्हिप जारी कर देंगे. व्हिप के जरिए विधायकों से कहा जाएगा कि वे विधानसभा में मौजूद रहें और सरकार के पक्ष में मतदान करें. पार्टी के किसी विधायक ने व्हिप का उल्लंघन किया, यानी सदन में मौजूद नहीं हुआ या सरकार के पक्ष में वोट नहीं डाला तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. गहलोत इस दांव से पायलट और उनके समर्थक विधायकों को एक तरफ हरियाणा के मानेसर से जयपुर आने के लिए मजबूर कर देंगे. वहीं, हॉर्स ट्रेडिंग को लेकर एसओजी पायलट के दो समर्थक विधायकों से पूछताछ के इंतजार में है. उनके जयपुर आते तो गिरफ्तारी की संभावना है. और अगर वो पार्टी के खिलाफ वोटिंग करते हैं तो संविधान की 10वीं अनुसूची की धारा 21 (1) (ए) के अनुसार उनके खिलाफ कार्रवाई का रास्ता साफ हो जाएगा. सचिन पायलट खेमे के पास एक ही रास्ता होगा कि वो पार्टी व्हिप का पालन करें. इसके बावजूद अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो पार्टी ऐसे विधायकों को अयोग्य घोषित करने की सिफारिश स्पीकर से कर सकती है. इस सूरत में स्पीकर उसे मानने को बाध्य होंगे. इसका सीधा सा अर्थ है कि विधायकों ने व्हिप का उल्लंघन किया तो वे अयोग्य घोषित कर दिए जाएंगे और फिर अपनी सदस्यता खारिज करने को कोर्ट में चैलेंज नहीं कर पाएंगे. ऐसे में कोरोना उनके लिए रक्षा कवच बन गया है. राज्यपाल कोरोना के चलते विधानसभा सत्र बुलाने की इजाजत नहीं दे रहे हैं.