प्रशासन ने एक दिन में शुक्ला डेयरी, सांई बाबा मिल्क डेयरी पर हुई कार्यवाही
awdhesh dandotia
मुरैना। मिलावटी खाद्य पदार्थों को लेकर जहां एक ओर प्रशासनिक व्यवस्था चुस्त दुरूस्त नजर आ रही है वहीं सामाजिक व्यक्तियों का झुकाव भी इस तरफ आवश्यक है।

अधिकांशत: खोआ, पनीर, सिंथेटिक दूध, नकली घी बनाने वालों की दुकानें और कारखाने लोगों के पडोस में बने रहते हैं और कोई भी व्यक्ति प्रशासन की टीम को खबर नहीं देता। इसी कारण मिलावटी खाद्य पदार्थ बेचने वालों का कारोबार काफी फल फूल रहा है। जब-जब प्रशासन ने मिलावट खोरों पर कमर कसी तब-तब एक नहीं दर्जनों डेयरी संचालक और मिलावट खोरों का बडे से बडा कारोबार प्रशासन की गिरफ्त में आया। इतना ही नहीं प्रशासन की कार्यवाही पर लाखों करोडों रूपये जुर्माना भी किया गया लेकिन मिलावटी खाद्य पदार्थ के कारोबारी अपने कारोबार को अनयंत्र पहुंचाकर जगह बदल लेते हैं और निरंतर कारोबार संचालित रखते हैं।
मुरैना जिले से मध्यप्रदेश के भोपाल, जबलपुर, इंदौर, गुजरात, दिल्ली और बॉम्बे तक मावा और पनीर की सप्लाई की जाती है। कभी वो वीडियो कोच बसों के द्वारा डिलेवरी करते हैं तो कभी रेल्वे के माध्यम से पहुंचाते हैं और कुछ स्वयं की गाडियां भी चला रहे हैं। बडे स्तर पर चल रहे कारोबार में निचले तबके के थाना और अधिकारीगण पूरी तरह सेटिंग कर रखे जाते हैं। इस कारण उनके कारोबार में कभी कोई रूकावट नहीं आती। जब कभी इन कारोबारियों का आपसी द्वंद्ध चल बैठता है तब प्रशासन को सरमती जैसा कारोबारी हाथ में आ जाता है। मजे की बात तो यह है कि मिलावट की घी, दूध, मावा और पनीर बेचने वाले कारोबारी अपने ही पडोस से लेकर और उन सभी वृद्ध, महिला, पुरूष, युवा बच्चों को धोखाधडी कर उनके जीवन से खिलवाड करते हैं। मिलावटी खाद्य पदार्थ का सेवन करने से आये दिन तरह-तरह की बीमारियां लोगों को शिकार बना रही है। अस्पतालों और चिकित्सकों को इन दिनों मरीजों की भरमार के कारण फुर्सत नहीं मिल रही है। एक तरफ गंगदी का साम्राज्य और दूसरी तरफ मिलावटी खाद्य पदार्थों का सेवन करने से आम आदमी का जीवन खतरे में पडता जा रहा है।
प्रशासन के लोग कितना भी प्रयास कर लें, लेकिन मिलावटी खाद्य पदार्थों का कारोबार तब तक बंद नहीं होगा तब तक आम आदमी स्वयं उसके लिए जागरूक होकर उसका विरोध नहीं करेगा। केवल दूध के निर्मित पदार्थों में ही मिलावट नहीं यहां तेल, मशाला, आटा, मेहंदा, बेसन, रिफाइंड में भी मिलावट की जाती है और मिलावटी पदार्थों से आदमी को बचने के लिए स्वयं जागरूक होने की आवश्यकता है।
दूध से निर्मित मिलावटी खाद्य पदार्थ
नकली घी जिसमें पॉमोलीन, रिफाइंड, मोमबत्ती, आलू, बॉयल कद्दू सहित पदार्थ मिलाकर नकली घी की बडी खपत हो रही है वहीं गुलुकोश, यूरिया और रिफाइंड से सिंथेटिक दूध, लाखों टन बनाया जा रहा है। मावा में आलू, शक्कर, रवा, मेहंदा आदि मिलाई जाती है। इसी प्रकार पनीर को नकली बनाया जाता है और मुरैना से बाहर भी विक्रय के लिए भेजा जाता है। खुशबू के लिए एसेंस का उपयोग किया जाता है।
सरसों के तेल में भी होती है मिलावट
असली सरसों के तेल का एसेंस पॉमोलीन में डालकर सरसों के तेल का छाग और खुशबू डालकर बेचा जाता है इसके अलावा सरसों के साथ राईस की भुसी और गुली की मिलावट कर तेल निकाला जाता है जो काफी बजनदार तेल और सरसों की तेल की तरह दिखाई देता है। राईस ब्राउन सडा हुआ ऑयल कई तरह के पदार्थ मिलाकर सरसों के तेल की बिक्री की जाती है। ऐग मार्का चलाने वाले लोग भी मिलावट करते हैं। रिफाइंड में फॉमोनियन की मिलावट और डालडा में भी मिलावट की जाती है।
मसाले व अन्य पदार्थ भी मिलावटी
मिलावटी मसाले और अन्य खाद्य पदार्थ भी मार्केट में है। हल्दी, मिर्च, धनिया, गर्म मशाला में भी मिलावट की जाती है लोग अन्य गलत पदार्थों को पीस कर रख लेते हैं और कलर डालकर ग्राहकों को बेचते हैं। इसके अलावा गेहूं का आटा, चने का बेशन में भी मिलावटें की जाती है मुख्यत: दालों में बारीक पत्थर मिलाकर ग्राहकों को ठगा जाता है।
शुद्ध देशी घी के नाम से रिफाइंड की मिठाईयां बाजार में
शहर के लगभग दुकानदार शुद्ध देशी घी से निर्मित मिठाईयों की साख भरकर दिवाली पर हजारों टन मिठाई बेचते हैं। सिंथेटिक दूध का बना हुआ नकली मावा और रिफाइंड में एसेंस डालकर घी की खुशबू निर्मित की जाती है जिसमें मिठाईयां बनाई जाती है। मिठाई का नकली कारोबार शहर में व्यापक पैमाने पर फैला हुआ है। सुप्रसिद्ध मिठाईयों की दुकानों के सेम्पल कई बार लिए गए और पूरी तरह फैल हुए इसके बाद भी मिलावटी मिठाईयों पर प्रतिबंध नहीं लगा।