NHM की रिपोर्ट में खुलासा: भोपाल में सबसे ज्यादा होता है अबॉर्शन

भोपाल
एक जमाने में जहां भोपाल को बेगमों यानी महिला शासकों ने चलाया. 100 साल से ज्यादा जहां 4 महिला शासकों ने भोपाल की बागडोर संभाली, वो राजधानी आज अबॉर्शन सिटी बनकर रह गयी है. दरअसल, नेशनल हेल्थ बुलिटिन की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पूरे प्रदेश से भी 9 प्रतिशत ज्यादा अबॉर्शन सिर्फ राजधानी में हो रहे हैं.
किसी भी प्रदेश की राजधानी आदर्श होती है जहां के इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ लोगों की मानसिकता को विकसित समझा जाता है, लेकिन एमपी में हालात उलट हैं. यहां सिटी ऑफ लेक्स य़ानि राजधानी भोपाल अबॉर्शन सिटी बन गया है. नेशनल हेल्थ मिशन के ताजे हेल्थ बुलेटिन 2018 अप्रैल से सिंतबर के आंकड़े बताते हैं कि राजधानी भोपाल एक और जहां प्रदेश के सेक्स रेशियो के मामले में 49वें नंबर पर है तो वहीं अबोर्शन में अव्वल है.
अप्रैल से सिंतबर के एनएचएम के आंकड़े बताते हैं
इन महीनों के बीच में कुल 34,913 महिलाओं ने एंटी नेटल रजिस्ट्रेशन कराए
इनमें कुल 4,458 महिलाओं के अबोर्शन हुए जो कुल प्रेगनेंसी के 12.8% है
पूरे एमपी का प्रेगनेंसी लॉस 3.8 प्रतिशत है
यानी भोपाल में एमपी की तुलना में 9% ज्यादा अबॉर्शन होते हैं
भोपाल में हो रहे ये अबॉर्शन कहीं न कहीं भोपाल के लगातार कम हो रहे लिंगानुपात का कारण भी बनते हैं. भोपाल के लिंगानुपात की अगर बात करें तो पिछले 3 सालों में ये रेशियो 923 से घट कर अब 880 तक पहुंच गया है.
लगातार घट रहा लिंगानुपात
- साल लड़के लड़कियां सेक्स रेशियो
- 2016-17 25489 23537 923
- 2017-18 26447 4133 911
- 2018-19 12446 10942 880
(अप्रैल से सितंबर)
वहीं प्रदेश के सबसे कम लिंगानुपात वाले जिलों की बात करें तो ये हैं सबसे कम सेक्स रेशियो वाले जिले
नंबर एक पर है सतना जहां 1000 लड़कों पर सबसे कम 867 लड़कियां
दूसरे पर होशंगाबाद जहां जहां 1000 पर हैं 876 लड़कियां
वहीं तीसरे नंबर पर राजधानी भोपाल जहां हैं सिर्फ 880 लड़कियां
वहीं इस मामले में डॉक्टरों का कहना है कि लोगों का बदलता लाइफस्टाइल बढ़ते अबॉर्शन की एक वजह है. जिसका सीधा असर सेक्स रेशिया पर भी पड़ता है. ये आंकड़े बानगी हैं कि भोपाल अब वो भोपाल नहीं रहा जहां गौहर बेगम से लेकर सिकंदर जहां और शाहजहां बेगम ने राज किया और मिसाल दी की महिलाएं किसी से कम नहीं लेकिन इन आंकड़ो को देखकर तो अब ये बातें बेमानी लगती हैं.