rajesh dwivedi
सतना। अजब एमपी का कानून भी गजब है। तिनके सी शिकायत पर जिलाधीश की कुर्सी हिल जाती है। दिखाया जाता है कि आयोग कितना सख्त है, कायदे का भी और कानून का भी। लगा कि इस कुर्सी में बैठने वाला चुनाव को प्रभावित करेगा चुनाव मटियामेट हो जाएगा। ठीक भी है, आशंका थी तो एक्शन लेना जरूरी था।

खैर ये तो बाहरी थे आए हैं तो जाएंगे ही, लेकिन उनका क्या जो इसी शहर के हैं, इसी जिले के हैं, नेता से लेकर जनता तक, पक्ष से लेकर विपक्ष तक और सड़क से लेकर सिस्टम तक अंदर से लेकर बाहर तक इनका आना-जाना है। क्या इनके जमा रहने से चुनाव प्रभावित नहीं होगा? आखिर आयोग की पैनी नजर इन पर क्यों नहीं पड़ती? जी हां! हम बात कर रहे हैं नगर निगम में अंगद की तरह पांव जमाए बैठे कर्मचारियों की इनकी कुर्सी छोटी से बड़ी हो गई, लेकिन हिली नहीं। कभी झंडा-बैनर लेकर गाड़ियों के पीछे दौड़ने वाले नेता बन गए, पार्षद से लेकर मेयर तक, महामंत्री से लेकर विधायक तक सबसे इनके ताल्लुकात हैं। अब आयोग ही तय करे कि पांच पंचवर्षीय योजना को जिन्होंने इसी शहर में गुजार दिया, क्या वो निष्पक्ष चुनाव होने देंगे? या फिर कायदे-कानून का सख्त माना जाने वाला आयोग सतना नगर निगम की तरफ भी अपनी नजरें इनायत करेगा? और 30 से 36 सालों से जमे अमले की सर्जरी करने की जहमत उठाएगा। हद हो गई, इसी कुर्सी पर जवान हुए, पद से प्रमोशन ले लिया, लेकिन तबादले की आंच भी नहीं आई! गौरतलब है कि मंगलवार को भोपाल नगर निगम ने वर्षों से पदस्थ 6 कर्मचारी आयोग के निर्देश पर हटाए गए हैं, ऐसे में क्या यहां भी ऐसी कोई कार्रवाई होगी?
दायरे में एक दर्जन से ज्यादा बाबू
ऐसा नहीं है कि उच्च पदों पर पदस्थ अधिकारी ही पिछले तीन दशकों से नगर निगम में पदस्थ हैं, इनमें लगभग एक दर्जन से ज्यादा बाबू ही हैं, जो पिछले 30 से 35 सालों से नगर निगम में अंगद के पैर की तरह जमे हुए हैं। सभी स्थानीय कर्मचारी हैं, जो स्थानीय राजनीति में भी सक्रिय रहते हैं, लेकिन इसके बावजूद इनको यहां से हटाने की कार्रवाई न तो विभागीय स्तर पर हुई और न ही आयोग ने कभी इस पर संज्ञान लिया।
37 सालों में बदले 34 कमिश्नर
अगर नगर निगम के गठन की बात करें, तो 26 जनवरी-1981 को नगर पालिका से नगर निगम में तब्दील हुई थी, तब से लेकर अब तक 37 सालों में कार्यालय 34 कमिश्नर देख चुका है, लेकिन यहां 1982 से पदस्थ हुए कर्मचारी आज भी यहीं पदस्थ हैं। नगर निगम सतना के पहले कमिश्नर केपी सिंह थे, जिन्होंने 26.01.1981 को चार्ज लिया था, जबकि निगम के मौजूदा व 34वें कमिश्नर प्रवीण सिंह अढ़ायच हैं, जिन्होंने 22 मई-2018 को पदभार ग्रहण किया है।
कौन कब से पदस्थ
कार्यपालन यंत्री
एसके सिंह: 28.6.1997
योगेश तिवारी: 2.01.1990
अरुण तिवारी: 2.01.1990
नागेन्द्र सिंह: 2.01.1990
सहायक आयुक्त
अजय मिश्रा: 27.10.2014
कार्यालय अधीक्षक
अनिल कुमार श्रीवास्तव : 1.1.1993
प्रदीप खरे: 25.07.2000
सहायक यंत्री
कमलेश शर्मा : 22.06.1995
आरपी सिंह : 19.02.1996
विनय गुप्ता : 08.06.2015
उपयंत्री
केपी गुप्ता : 26.03.2011
राजेश गुप्ता : 16.11.2009
मुकेश चतुर्वेदी : 11.11.2009
अशोक कुमार चतुर्वेदी : 16.08.2013
सहायक स्वास्थ्य अधिकारी
अशोक मिश्रा : 13.11. 1990
राजू साकेत : 27.06.2003
रामनिवास पाण्डेय : 11.12.2000
(प्रभारी सहायक राजस्व अधिकारी)
रामहर्ष मिश्रा : 1994
(सहायक नगर निवेशक)
दिनेश त्रिपाठी : 1997