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अशोकनगर। शरद पूर्णिमा का पर्व आज जिलेभर में पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ मनाया गया। इस दौरान सुहागिन महिलाएं घरों में उपवास रख विधि-विधान से पूजन-अर्चन करेंगी और मावे से बने लड्डूओं का पारंपरिक तरीके से भोग लगाया जाएगा। इस मौंके पर विभिन्न मंदिरों और अन्य स्थानों पर प्रसाद के रूप में खीर का वितरण भी किया जाएगा। इस दौरान एक ओर जहां घरों में विधि-विधान से पारम्परिक तरीके से पूजन-अर्चन किया जाएगा। वहीं रात्री में मंदिरों में प्रतिवर्ष की तरह प्रसाद के रूप में साबूदाने से बनी खीर का वितरण किया जाएगा।

पंडित किशनलाल मिश्र के अनुसार शरद पूर्णिमा जिसे कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा भी कहते हैं। पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। वहीं ज्योतिष के अनुसार पूरे साल में केवल इसी दिन चन्द्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। इसी दिन श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। मान्यता है इस रात्रि को चन्द्रमा की किरणों से अमृत झडता है। तभी इस दिन उत्तर भारत में खीर बनाकर रात भर चाँदनी में रखने का विधान है।
खूब बिके सिंथेटिक मावे के लड्डू- शरद पूर्णिमा के चलते मिठाई की ुदुकानों पर मावे के लड्डू खरीदने के लिए ग्राहकों की खासी भीड देखी गई। इस दौरान मिठाई की दुकानों के अलावा गांधी पार्क सहित अन्य स्थानों पर हाथ ठेलों पर भी लड्डू बिकते हुए देखे गये। इस दौरान सिंथेटिक मावे से बने लड्डुओं की भी खूब खरीद फ रोख्त की गई। वहीं हर वार की तरह इस बार भी सबंधित विभाग द्वारा कार्रवाई के नाम सिर्फ औपचारिकताएं ही निभाई गई।
क्या है पौराणिक मान्यता- यदि जानकारों की मानें तो पौराणिक कथाओं के अनुसार एक साहुकार के दो पुत्रियाँ थीं। दोनों पुत्रियाँ पुर्णिमा का व्रत रखती थीं। परन्तु बडी पुत्री पूरा व्रत करती थी और छोटी पुत्री अधुरा व्रत करती थी। परिणाम यह हुआ कि छोटी पुत्री की सन्तान पैदा होते ही मर जाती थी। उसने पंडितो से इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया की तुम पूर्णिमा का अधूरा व्रत करती थी जिसके कारण तुम्हारी सन्तान पैदा होते ही मर जाती है। पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपुर्वक करने से तुम्हारी सन्तान जीवित रह सकती है। उसने पंडितों की सलाह पर पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक किया। उसके लडका हुआ परन्तु शीघ्र ही मर गया। उसने लडके को पीढे पर लिटाकर ऊपर से कपडा ढक दिया। फि र बडी बहन को बुलाकर लाई और बैठने के लिए वही पीढा दे दिया। बडी बहन जब पीढे पर बैठने लगी जो उसका घाघरा बच्चे का छू गया। बच्चा घाघरा छुते ही रोने लगा। बडी बहन बोली तू मुझे कंलक लगाना चाहती थी। मेरे बैठने से यह मर जाता। तब छोटी बहन बोली, यह तो पहले से मरा हुआ था। तेरे ही भाग्य से यह जीवित हो गया है। तेरे पुण्य से ही यह जीवित हुआ है। उसके बाद नगर में उसने पुर्णिमा का पूरा व्रत करने का ढिंढोरा पिटवा दिया।
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योग गुरु आज करेंगे सभा को संबोधित,
एक हजार योग साधक लेंगे हिस्सा
अशोकनगर। बुधवार को योगगुरु विदेह देव महाराज का आगमन हो रहा है। इस दौरान विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेगें। योग गुरु स्वामी रामदेव महाराज के दीक्षित शिष्य वैदिक गुरु परंपरा के संवाहक राष्ट्र एवं समाज के उत्कर्ष के लिए अपने जीवन को समर्पित करने वाले पतंजलि योग प्रचारक प्रकल्प प्रमुख स्वामी विदेह देव महाराज 24 अक्टूबर को अशोकनगर आ रहे हैं। इस दौरान वे विभिन्न कार्यक्रमों में उद्बोधन देंगे। उनके आगमन पर आध्यात्मिक प्रवचन एवं आदर्श योग शिक्षक सम्मान समारोह योग प्रचारक प्रकल्प हरिद्वार के तत्वाधान में आध्यात्मिक प्रवचन एवं योग शिक्षक सम्मान समारोह संपन्न होगा। यह आयोजन वायपास रोड स्थित श्री कृष्ण संस्थान में सुबह 9 से 12 के बीच संपन्न होगा। इस आयोजन में शहर के समस्त प्रबुद्ध जन, समाजसेवी, नियमित योग कक्षा चलाने वाले योग शिक्षक एवं लगभग 1000 योग साधक हिस्सा ले रहे हैं कार्यक्रम में आदर्श योग शिक्षकों को सम्मानित भी किया जाएगा। वहीं इस मौके पर एक योग अध्यात्म चेतना यात्रा का आयोजन भी किया जाएगा। यह वाहन यात्रा श्रीकृष्ण संस्थान से प्रारंभ होकर विभिन्न मार्गों से गुजरेगी। आयोजन को सफ ल बनाने के लिए व्यापक तैयारियां की जा रही हंै।