वैक्सीन आने तक इलाज से बेहतर है कि घातक बीमारी से बचाव किया जाए: विजयलक्ष्मी आई. बालेकुंद्री

वैक्सीन आने तक इलाज से बेहतर है कि घातक बीमारी से बचाव किया जाए: विजयलक्ष्मी आई. बालेकुंद्री

कोरोना वारयरस रोकथाम के लायक, पर इलाज वैक्सीन से ही संभव

बेंगलुरु, देशभर में कोरोनावायरस के मामलों में कमी आने का कोई संकेत नजर नहीं आने के बीच बेंगलुरु की प्रख्यात पीडिएट्रिक कॉर्डियोलॉजिस्ट विजयलक्ष्मी आई. बालेकुंद्री ने कहा कि कोरोनोवायरस से बचा जा सकता है, लेकिन इसका टीका आने तक यह उपाचारात्मक नहीं है। बेंगलुरु मेडिकल कॉलेज और रिसर्च इंस्टीट्यूट की एमेरिटस प्रोफेसर ने आईएएनएस को दिए विशेष साक्षात्कार में कहा कि संक्रमित होने से बचने का एकमात्र तरीका मास्क पहनना, हाथ धोना और शारीरिक दूरी बनाए रखना है, क्योंकि जब तक वैक्सीन नहीं मिलती है, तब तक इलाज से बेहतर है कि घातक बीमारी से बचाव किया जाए। विजयलक्ष्मी से जब पूछा गया कि अन्य वायरस से कोविड-19 क्यों और कैसे अलग है? तो उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस बैक्टीरिया या फंगस की तरह एक जीवित जीव नहीं हैं। वे नॉन-लिविंग (निर्जीव) बड़े, लिपिड कैप्सूल एनवेलप्ड और पॉजिटिव, स्ट्रेन्डेड आरएनए वायरस हैं। अन्य वायरस की तरह, कोरोनवायरस एक सेल में समाहित होने की कोशिश करता है और इसे वायरस-रेप्लिकेटिंग फैक्ट्री में बदल देता है। यदि यह सफल होता है, तो यह गले, श्वसन प्रणाली, हृदय, मस्तिष्क, रक्त वाहिकाओं और मानव शरीर में सभी 100 ट्रिलियन कोशिकाओं में संक्रमण पैदा कर सकता है। वायरस किस प्रकार की कोशिकाओं को निशाना बनाता है और यह कैसे उनमें प्रवेश करता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि यह कैसे बना है। आनुवांशिक रूप से यह एक वेक्टर के बिना मानव से मानव में फैलता है और एक वायु संक्रमण के रूप में नाक, गले और आंखों के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। यह रक्त वाहिकाओं के माध्यम से शरीर में महत्वपूर्ण अंगों और कोशिकाओं को प्रभावित करता है।