कुल मतदाता- 2,07,327
पोलिंग बूथ- 274
nadeem khan
पन्ना। जिले की आरक्षित विधानसभा सीट क्रमांक 59 गुनौर में प्रत्याशी चयन को लेकर दोनों ही पार्टियों में मंथन चल रहा है। इस सीट पर पार्टी से अधिक प्रत्याशी की छवि के आधार पर चुनाव लडा जाता है। पिछले विधानसभा चुनाव में गुनौर में हुए कांटे के मुकाबले में भाजपा प्रत्याशी महेन्द्र बागरी ने जीत दर्ज की थी, जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार शिवदयाल बागरी हार गये थे। इस चुनाव में बसपा प्रत्याशी कुछ खास नहीं कर सके। जबकि 2013 से पूर्व हुए चुनाव में बसपा यहां दूसरे नम्बर की पार्टी रही है। भाजपा ने यहां 2008 के बाद 2013 का चुनाव भी जीता था, लेकिन दोनों चुनावों में पार्टी ने अलग-अलग प्रत्याशियों को मौका दिया था। बताया जाता है कि गुनौर विधानसभा का इतिहास रहा है कि यहां कोई भी प्रत्याशी कभी लगातार दो बार चुनाव नहीं जीत सका। अधिकांशतः पार्टीयों ने उनकी टिकट काट दी या टिकट दी भी गई तो वे जीत नहीं सके। यही कारण है कि तत्कालीन विधायक को टिकट देने में पार्टियां कतरा रहीं हैं। गुनौर विधानसभा क्षेत्र में विकास और वादों की हकीकत को देखा जाये, तो यहां चुनाव में नेताओं ने कई वादे किये हैं, लेकिन धरातल पर कोई वादा पूरा होता नहीं दिख रहा है। क्षेत्र में विकास की रफ्तार शुन्य है। ऐसे में यहां के लोग भी बदलाव की बात कर रहे हैं। लेकिन बदलाव के साथ साथ प्रत्याशी की छवि यहां के वोटरों के लिये ज्यादा अहम है।
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विधानसभा का जातिय समीकरण
गुनौर विधानसभा में ब्राम्हण वोटरों का वर्चस्व है। जो चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। आरक्षित विधानसभा होने के कारण प्रत्याशियों के लिये इस वर्ग को लुभाना काफी मुश्किल होता है। वहीं विधानसभा में दलित और आदिवासी वोटरों की संख्या में अधिक है। इसके अलावा पिछडा वर्ग के मतदाता भी चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं। यहां मुस्लिम वोटरों की संख्या बेहद कम है।
पिछले चुनाव में मिले वोट
प्रत्याशी पार्टी वर्ष वोट
राजेश वर्मा भाजपा 2008 33012
जीवन लाल सिद्धार्थ बसपा 2008 28184
महेन्द्र बागरी भाजपा 2013 41980
शिवदयाल बागरी कांग्रेस 2013 40643
विधानसभा के क्षेत्र के मुद्दे
गुनौर विधानसभा क्षेत्र के लिये मुख्य चुनावी मुद्दा रोजगार है। यहां बेरोजगारी के चलते लगातार पलायन हो रहा है। कई गांवों में तो घरों में ताले लटके हुए है। लोग रोजगार की तलाश में महानगरों की ओर देख रहे हैं। गुनौर क्षेत्र में लाइमस्टोन और सेलस्टोन मिलता है। जिससे यहां कई तरह के उद्योगों के विकास की संभावना है। यह क्षेत्र का मुख्य चुनावी मुद्दा है।
संभावित प्रत्याशी
भाजपा- महेन्द्र बागरी, राजेश वर्मा, अमिता बागरी
कांग्रेस- शिवदयाल बागरी, सूर्यप्रकाश वर्मा, खुशीराम प्रजापति
जमीनी हकीकत
भाजपा और कांग्रेस के बीच में इस बार फिर मुकाबले की संभावना है। बसपा की ओर से कोई सशक्त दावेदार सामने नहीं आया है। जिससे सीधा मुकाबला होने की संभावना है। क्षेत्र में भाजपा का जनाधार है, लेकिन कांग्रेस नेताओं की सक्रियता से यहां आदिवासी क्षेत्रों में कांग्रेस के लिये बेहतर परिणामों की उम्मीद है। यही कारण है कि जमीनी स्तर पर दोनों ही पार्टियों के बीच कडा मुकाबला संभाव है, टिकट वितरण के बाद स्थिति और साफ हो सकती है।
चुनावी वादे
गुनौर विधानसभा में दोनों ही पार्टियों की ओर से क्षेत्र के विकास का वादा किया गया था। सताधारी दल भाजपा की ओर से क्षेत्र में विकास के नाम कुछ अदद सडकों का निर्माण कराया गया है। इसके अलावा यहां कोई विकास नजर नहीं आता। सिर्फ विकास के नाम पर चुनाव में उतरे प्रत्याशी भी अपने वादों को पूरा करने का दावा करते हैं। लेकिन क्षेत्र की जनता इन दावों को स्वीकार नहीं करती।