WHO के 4 नए नुस्खे, अब बेअसर नहीं होंगे ऐंटीबायॉटिक

WHO के 4 नए नुस्खे, अब बेअसर नहीं होंगे ऐंटीबायॉटिक

कई बार हम बुखार या सिरदर्द या एक सामान्य इंफेक्शन होने पर खुद ही दवाई ले लेते हैं और डॉक्टर से कंसल्ट करना जरूरी नहीं समझते। कई बार ऐसा भी होता है कि अगर हमारे पास डॉक्टर का दिया दवाई का पुराना पर्चा होता है तो उसी से दवाई लेकर खाते रहते हैं। लेकिन असल में यह बेहद खतरनाक है। इसकी वजह से ऐंटीमाइक्रोबियल रेजिस्‍टेंस यानी एएमआर की स्थित विकराल रूप ले रही है। यह एक तरह का मेडिकल संकट है, जिसे हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2019 की टॉप 10 वैश्विक स्‍वास्‍थ्‍य चुनौतियों में शामिल किया था।

इतना ही नहीं, ऐंटीमाइक्रोबियल रेजिस्‍टेंस यानी एएमआर से निपटने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चार नयी कैटिगरी बनायी हैं ताकि इनका गलत तरीक से इस्तेमाल न किया जा सके। ये कैटिगरी हैं:

ऐक्सेस
ये ऐसे ऐंटीबायॉटिक होते हैं जोकि सामान्य इंफेक्शन के लिए फर्स्ट या फिर सेकंड लाइन ट्रीटमेट का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये ऐंटीबायॉटिक आसानी से उपलब्ध होने चाहिए।

रिजर्व
इस कैटिगरी में ऐसे ऐंटीबायॉटिक आते हैं जोकि मल्टी या फिर बड़े पैमाने पर प्रतिरोधी बैक्टीरिया के प्रति ज्यादा असरदार हैं। ऐसे ऐंटीबायॉटिक बहुमूल्य हैं और इन्हें बेहद समझदारी से इस्तेमाल करने की जरूरत है क्योंकि ये नॉन रिन्युबल होते हैं।

वॉच
इस कैटिगरी में आने वाले ऐंटीबायॉटिक उन बीमारियों के इलाज में प्रभावी हैं जिनके बारे में स्पष्ट जानकारी है। लेकिन इनके इस्तेमाल की करीबी से जांच की जानी चाहिए और सीमित उपयोग करना चाहिए।

डिसकरेज्ड
कुछ ऐंटीबायॉटिक ऐसे होते हैं जो मनुष्यों में किसी भी तरह के इंफेक्शन में असर नहीं करते। इससे न सिर्फ एएमआर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है बल्कि मरीज की सुरक्षा पर भी संकट आ जाता है।