World AIDS Day 2018: एड्स का बचाव ही इसका इलाज है
1 दिसंबर को वर्ल्ड एड्स डे के रूप में मनाया जाता है। एचआईवी पॉजिटिव होने का मतलब आमतौर पर जिंदगी का अंत मान लिया जाता है, पर यह अधूरा सच है। एड्स से पीड़ित लोग भी लंबे समय तक सामान्य जीवन जी सकते हैं। लेकिन इसके लिए कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखने की आवश्यकता है। इस बारे में धर्मशिला नारायणा सुपर स्पेशिऐलिटी अस्पताल में सीनियर कंस्लटेंट डॉ गौरव जैन कहते हैं...
- सुरक्षित यौन संबंध के लिए कॉन्डम का इस्तेमाल करें।
- हमेशा जीवाणुरहित अथवा डिस्पोजेबल सिरिंज ही उपयोग करें।
- एच.वाई.वी. संक्रमित महिला गर्भधारण के दौरान अपने खून में संक्रमण की मात्रा को कम करने वाली दवाइयां नियमित लें ताकि उनके आने वाले नवजात शिशु को संक्रमण से बचाया जा सके। इससे जन्म के पश्चात बच्चे का इलाज कराने भी मदद मिलेगी।
- संक्रमित व्यक्ति ऐंटीरेट्रोवायरल दवाइयां लें ताकि शुरूआती चरण में ही बीमारी की रोकथाम की जा सके।
- इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए हेल्दी एवं संतुलित भोजन का सेवन करें।
- संक्रमण से पीड़ित व्यक्तियों में सिगरेट के कारण हार्ट अटैक और फेफड़ों में कैंसर होने की संभावना अधिक होती है इसलिए इस हालात में सिगरेट पीने से परहेज करें।
21 लाख लोग एड्स से पीड़ित
आज पूरे विश्व में तकरीबन 3 करोड़ 70 लाख लोग एड्स की समस्या से जूझ रहे हैं। वहीं भारत में भी लगभग 21 लाख लोग इस समस्या से पीड़ित हैं। लाइलाज होने के कारण एड्स आज दुनियाभर में सबसे गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन गई है जो हमारे शरीर में एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडिफिशंसी वायरस) के संक्रमण से होती है।
HIV के अंतिम चरण में एड्स बन जाता है
यह वायरस मुख्यतः खून में मौजूद टी कोशिकाओं (जो शरीर को बाहरी रोगों से सुरक्षा प्रदान करती है) और मस्तिष्क की कोशिकाओं को प्रभावित करता है और धीरे-धीरे उन्हें ख़त्म करता रहता है। कुछ साल बाद (6 से 10 साल) स्थिति यह हो जाती है कि शरीर आम रोगों के कीटाणुओं से अपना बचाव नहीं कर पाता और तरह-तरह के इन्फेक्शन का शिकार होने लगता है। एचआईवी वायरस अपने अंतिम चरण में पहुंचकर एड्स बन जाता है। जानकारी के अभाव में और सावधानी न बरतने पर संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु तक हो जाती है। एड्स के कारण मरने वालों की संख्या भारत में अब तक लगभग डेढ लाख तक पहुंच चुकी है।
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