अटेर उपचुनाव से लगातार विवादों में थीं सलीना सिंह

भोपाल
 विधानसभा चुनाव से पहले हटाई गईं मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सलीना सिंह लगातार विवादों में थीं। अटेर विधानसभा उपचुनाव के समय वोटर वेयरीफायबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) के प्रदर्शन में लापरवाही हुई थी। हर दूसरी पर्ची में वोट भाजपा प्रत्याशी को जाता नजर आ रहा था।

हालांकि पड़ताल में यह बात सामने आई थी कि जिन मशीनों का प्रदर्शन किया गया, उन्हें खाली नहीं किया था। भिंड कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों को चुनाव आयोग ने हटा दिया था।

हाल ही में ईवीएम और वीवीपैट के प्रशिक्षण के दौरान इंदौर कलेक्टर निशांत वरवड़े ने भी मशीनों को लेकर टिप्पणी की थी। उनसे जवाब-तलब करने की तैयारी भी हो गई है। वहीं, कांग्रेस लगातार मतदाता सूची में गड़बड़ी को लेकर आरोप लगा रही थी। इससे चुनाव की शुचिता को लेकर सवाल उठने लगे थे।

सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस विधानसभा चुनाव को लेकर मतदाता सूची का मुद्दा लगातार उठा रही थी। मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत से भी इसकी शिकायत की गई थी। इसके मद्देनजर आयोग ने अपनी टीम भेजकर जांच भी कराई थी।

इसमें कांग्रेस के आरोप पूरी तरह तो प्रमाणित नहीं हुए पर गड़बड़ी जरूर पकड़ में आई। मई 2018 तक मतदाता सूची से 14 लाख अपात्रों के नाम हटाए जा चुके हैं। इसके पहले मुंगावली और कोलारस उपचुनाव के समय भी मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आई थी।

इस दौरान भाजपा के पदाधिकारियों ने उनकी शिकायतों पर त्वरित कार्यवाही न होने के आरोप भी लगाए थे। उधर, सूचना अधिकार कार्यकर्ता अजय दुबे ने एक माह पहले लोकायुक्त संगठन में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग को लेकर शिकायत की थी।

देर शाम वापस ऑफिस लौटीं सिंह

सूत्रों के मुताबिक मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सलीना सिंह को उनके हटाए जाने की खबर देर शाम लग गई थी। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय में चुनाव आयोग से ईमेल आया। इसके बाद वे देर शाम वापस ऑफिस आईं और लगभग डेढ़ घंटे रहीं।